कुछ दिन पहले यह ख़बर आई थी कि इजरायली एनएसओ समूह ने पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर 1400 वॉट्सऐप यूजर्स की निगरानी की थी। वॉट्सऐप ने स्वीकार किया था कि लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान दो हफ़्ते के लिये भारत में कई पत्रकारों, शिक्षाविदों, वकीलों, मानवाधिकार और दलित कार्यकर्ताओं पर नज़र रखी गई थी। तब इसे लेकर ख़ासा हंगामा हुआ था क्योंकि वॉट्सऐप यह दावा करता है कि उसके प्लेटफ़ॉर्म पर जो चैटिंग होती है, वह पूरी तरह इनक्रिप्टेड है यानी चैटिंग कर रहे दो लोगों के सिवा कोई तीसरा शख़्स इसे नहीं पढ़ सकता है।
ख़बर सामने आने के बाद यह सवाल उठा था कि क्या केंद्र सरकार लोगों की जासूसी करवा रही है। इसे लेकर जब मंगलवार को संसद में डीएमके सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री दयानिधि मारन ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से सवाल पूछा कि क्या सरकार ने इजरायली समूह के पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल वॉट्सऐप कॉल और संदेशों को टैप करने के लिए किया था तो सरकार ने इसका जवाब नहीं दिया।
गृह मंत्रालय ने कहा कि फ़ोन और कंप्यूटर्स को इंटरसेप्ट करने के सरकार के पास जो अधिकार हैं, उन्हें केवल कानून, नियमों और मानक प्रक्रियाओं के प्रावधानों के अनुसार ही प्रयोग किया जा सकता है। मंत्रालय की ओर से कहा गया कि ऐसे अधिकार सुरक्षा उपायों और समीक्षा तंत्र के अधीन आते हैं।
सरकार ने झाड़ लिया था पल्ला
वॉट्सऐप यूजर्स की जासूसी की ख़बर के सामने आने के बाद जब भारत में हंगामा मचा था तो गृह मंत्रालय और सूचना प्रसारण मंत्रालय ने कहा था कि इस मामले से सरकार का कोई लेना-देना नहीं है। तब सरकार ने वॉट्सऐप को नोटिस भेजकर पूछा था कि वह बताए कि निजता का उल्लंघन करते हुए कैसे भारतीय यूजर्स को निशाना बनाया गया। सवाल इसलिए भी उठे थे क्योंकि एनएसओ समूह ने कहा था कि वह यह सॉफ़्टवेयर सिर्फ़ वैध सरकारी एजेंसियों को ही देता है।
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69 का हवाला देते हुए गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने संसद में कहा कि भारत की संप्रभुता और अखंडता के हित में सरकार को किसी भी कंप्यूटर में रखी गई या भेजी गई सूचनाओं को क़ानूनी रूप से इंटरसेप्ट करने, निगरानी करने का अधिकार है। रेड्डी ने कहा कि इंटरसेप्ट करने के काम के लिए 10 एजेंसियों को अधिकृत किया गया है। ये 10 एजेंसियां - इंटेलिजेंस ब्यूरो, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, सीबीडीटी, डीआरआई, सीबीआई, एनआईए, रॉ, पुलिस आयुक्त, दिल्ली आदि हैं।
रेड्डी ने कहा कि किसी भी सूचना का किसी भी तरह का इंटरसेप्शन या निगरानी का काम केवल इन अधिकृत एजेंसियों के द्वारा क़ानून के नियमों के अनुसार ही किया जा सकता है।
कांग्रेस ने बोला था हमला
इस मामले ने तूल तब पकड़ा था जब कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा था कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा को भी वॉट्सऐप से मैसेज आया था। सुरजेवाला ने सवाल पूछा था कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव 2019 से पहले आम लोगों और नेताओं की जासूसी की थी। उन्होंने कहा था कि वॉट्सऐप यूजर्स की जासूसी के मामले में हैरान करने वाले ख़ुलासे हुए हैं।
मामला सामने आने के बाद कांग्रेस सांसद राहुल गाँधी ने कहा था, 'सरकार की ओर से पेगैसस के बारे में वॉट्सऐप से सवाल पूछना वैसा ही है जैसा दसॉ से यह सवाल करना कि रफ़ाल जेट सौदे से किसने पैसे बनाए।'
सच्चाई क्या है?
वॉट्सऐप यूजर्स की जासूसी के मामले में असल बात क्या है, यह किसी के सामने नहीं आ पा रही है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि मोदी सरकार और वॉट्सऐप के दावों में विरोधाभास है। ख़बरों के मुताबिक़, केंद्र सरकार ने कहा था कि न तो वॉट्सऐप और न ही इसके स्वामित्व वाली कंपनी फ़ेसबुक ने उसे भारतीय यूजर्स की सुरक्षा में सेंध लगने के बारे में कोई जानकारी दी, जबकि गर्मियों के दौरान उसकी कंपनी के अधिकारियों के साथ कई बार बैठक हुई थी। दूसरी ओर, वॉट्सऐप ने कहा था कि उसने भारत को इस साल मई में यूजर्स की ‘सुरक्षा से जुड़े मुद्दे’ को लेकर जानकारी दी थी।
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