चंपाई सोरेन
बीजेपी - सरायकेला
जीत
चंपाई सोरेन
बीजेपी - सरायकेला
जीत
बाबूलाल मरांडी
बीजेपी - धनवार
जीत
1947 में ब्रिटिश हुक़ूमत की बेड़ियों से आज़ाद हुए मुल़्क भारत में 2014 से पहले कभी ऐसा नहीं हुआ कि सरकार के ख़िलाफ़ उठने वाली किसी बात को धर्म या देश के विरोध से जोड़ दिया गया हो और हुक़ूमत का विरोध करने वालों को देशद्रोही बता दिया गया हो।
लेकिन विरोध का यह तरीक़ा बाक़ी जगहों के लिए भी आज़माया जा रहा है। जैसे, योग गुरू रामदेव ने एलोपैथिक पद्धति को दिवालिया साइंस बताया तो विरोधी विचार रखने वालों को देशद्रोही बताने वाली ट्रोल आर्मी ने इसे फिर से धर्म से जोड़ दिया और सोशल मीडिया पर इसे सनातन या हिंदुत्व बनाम ईसाईयत से जोड़कर नया रंग दे दिया।
ऐसे हालात में लोगों को सच बताना बेहद मुश्किल हो गया है। डॉक्टर्स की संस्था आईएमए जब कहती है कि रामदेव एलोपैथ के ख़िलाफ़ प्रचार करके लोगों को गुमराह कर रहे हैं तो इस संस्था को ईसाई संस्था बता दिया जाता है और कहा जाता है कि यह नहीं चाहती कि भारत अपना वह पुराना गौरव हासिल करे, जहां ट्रोल आर्मी के मुताबिक़, आयुर्वेद से सब रोगों का इलाज संभव था।
आयुर्वेद की पद्धति का कोई विरोध नहीं है लेकिन आप दुनिया भर में लाखों लोगों का जीवन बचाने वाली एलोपैथिक पद्धति को ईसाईयत से जोड़ देंगे तो सवाल उठेंगे ही।
इसकी शुरुआत ख़ुद रामदेव के सहयोगी बालकृष्ण ने ट्वीट कर की। बालकृष्ण ने कहा कि पूरे देश को ईसाईयत में बदलने के षड्यंत्र के तहत रामदेव को निशाना बनाकर योग एवं आयुर्वेद को बदनाम किया जा रहा है और लोग गहरी नींद से जागें वरना आने वाली पीढ़ियां उन्हें माफ नहीं करेंगी।
उनके इस बयान के बाद ट्रोल आर्मी काम में जुट गई और उनके इन बयानों पर विश्वास करने वालों ने भी सोशल मीडिया क्या लिखा है देखिए।
आईएमए के अध्यक्ष डॉ. जॉनरोज ऑस्टीन जयलाल के कुछ पुराने कथित इंरटव्यू और बयानों को लेकर ट्रोल आर्मी ने उन पर हमला बोल दिया है और कहा कि चूंकि वह ख़ुद ईसाई हैं इसलिए उन्होंने एक चर्चा के दौरान कोरोना संक्रमण का प्रकोप कम होने का श्रेय डॉक्टर्स को न देकर जीजस को दिया है। उनके ख़िलाफ़ दिल्ली के एक थाने में शिकायत भी दर्ज कराई गई।
अब यहां मुश्किल ये खड़ी होती है कि देश की 70 फ़ीसदी ग़रीब और दो जून की रोटी कमाने की चिंता में डूबी जनता को सच कैसे बताया जाए। क्योंकि जब हर बात को धर्म से जोड़ दिया जाएगा या हुक़ूमत के ख़िलाफ़ बोलने वालों को देशद्रोही बता दिया जाएगा तो इससे नुक़सान देश के लोगों का ही होगा।
यह भी कहा जा सकता है कि इस तरह के मैसेज फैलाना या हर बात को धर्म या देश के ख़िलाफ़ बता देना, ये एक सुनियोजित साज़िश का हिस्सा है। इस साज़िश के तहत सरकार की विफ़लताओं पर बात न हो, इससे ध्यान भटकाने की यह पूरी कोशिश है।
पुलवामा में शहीद जवानों, नोटबंदी-जीएसटी की मार से लेकर कोरोना महामारी की दूसरी लहर में हज़ारों लोगों की मौत को लेकर सरकार से सवाल न हो, इसे छुपाने के लिए ऐसी कोशिशें की जाती रही हैं।
About Us । Mission Statement । Board of Directors । Editorial Board | Satya Hindi Editorial Standards
Grievance Redressal । Terms of use । Privacy Policy
अपनी राय बतायें