बीजेपी के कार्यकर्ता, प्रवक्ता और भक्त सर्वत्र ही हैं। वे सिर्फ कश्मीर घाटी में नजर नहीं आते। कश्मीर घाटी में बीते चार दिनों में भयंकर रक्तपात हुआ है। सात नागरिकों को आतंकियों ने दिनदहाड़े मार डाला। आतंकी गांवों में घुसते हैं, पहचान-पत्रों की जांच करके हिंदू अथवा सिखों को मार डालते हैं। ऐसा हत्या का दौर ही फिलहाल कश्मीर में चल रहा है।
श्रीनगर में स्कूल की महिला प्राचार्य को आतंकियों ने मार डाला। यह प्राचार्या कश्मीरी सिख समाज से थीं। दीपक चंद नामक शिक्षक को गोली मार दी। वे कश्मीरी पंडित थे। सिर्फ कश्मीरी पंडित, हिंदू, सिख ही नहीं, बल्कि पुलिस विभाग में कर्तव्य का निर्वहन कर रहे मुसलिम अधिकारियों को भी आतंकियों द्वारा निशाना बनाया जा रहा है।
कश्मीर एक बार फिर हिंसाचार के ज्वालामुखी पर खड़ा है। नोटबंदी करने के कारण आतंकवाद रुकेगा, ऐसा केंद्र सरकार कह रही थी। नोटबंदी के कारण जाली नोटों का उत्पादन बंद हो जाएगा व आतंकियों की आर्थिक रसद बंद हो जाएगी, ऐसा कहा गया, जो कि सत्य साबित नहीं हुआ। इसके बाद अनुच्छेद-370 हटा दिया।
अनुच्छेद-370 हटाने से घाटी में हिंसाचार पर लगाम लगेगी और पाकिस्तानियों की चूलें हिल जाएंगी, ऐसा दावा किया गया था। वो भी झूठा साबित हुआ। कश्मीर घाटी में लोग जान हथेली पर लेकर ही जी रहे हैं।
कश्मीरी पंडितों की घर वापसी को लेकर बीजेपी ने काफी ताम-झाम किया था, परंतु पंडितों की घर वापसी छोड़ ही दें, बल्कि बचे-खुचे पंडित भी पलायन कर रहे हैं। हिंदुत्व का खोखला अभिमान दिखाते हो लेकिन कश्मीर में हिंदुओं को बचाने में आप नाकाम सिद्ध हुए हो।
अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार पाकिस्तानियों का पाप है और उनकी मदद से कश्मीर पर चढ़ाई करेंगे, ऐसा पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान का सपना है। उस सपने के चीथड़े कैसे उड़ाओगे, यह बताओ। खोखले भाषण, आश्वासनों व चुनावी मौकों पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ का बहाना बनाकर कश्मीर बचेगा नहीं तथा हिंदुओं की रक्षा भी नहीं होगी। फिर वहां नोटबंदी की सर्जिकल स्ट्राइक नहीं चली, ये भी ध्यान में रखना चाहिए।
कश्मीर के आतंकियों को मादक पदार्थों के कारोबार से आर्थिक रसद मिलती है। नोटबंदी के कारण मादक पदार्थों के कारोबार पर लगाम लगेगी, ऐसा उस समय कहा गया था। बीते दो वर्षों में हिंदुस्थान में मादक पदार्थों का कारोबार सौ गुना बढ़ गया है।
महीने भर पहले गुजरात में 3 हजार किलो ‘ड्रग्स’ पकड़ी गयी, जिसकी कीमत लगभग 25 हजार करोड़ जितनी है। कश्मीर घाटी में रोज ही मादक पदार्थों की खेप पकड़ी जा रही है। जो पकड़ा जाता है वो दिखता है। जो चलन में, व्यवहार में आ गया वह अदृश्य ही है। कुल मिलाकर, कश्मीर के बारे में नीति स्पष्ट रूप से विफल हो गई है।
कश्मीर समस्या को लेकर अनावश्यक राजनीति की गई। कश्मीर देश का चुनावी मुद्दा बन गया। ‘पाक अधिकृत कश्मीर भी हिंदुस्थान में जोड़ेंगे’ ऐसा कहकर वोट हासिल किए गए, परंतु अपने ही कश्मीर में हिंदुओं का जीना मुश्किल हो गया है।
क़ानून का राज ख़त्म
प्रधानमंत्री व गृहमंत्री को कश्मीर की समस्या को लेकर आर-पार की लड़ाई लड़नी चाहिए, ऐसा देश की जनता को लगना स्वाभाविक है क्योंकि कश्मीर घाटी रोज ही बेगुनाहों के खून से नम हो रही है। उनकी चीखें और क्रंदन दहलाने वाला है। इसके अलावा ऐसा भी है कि आतंकियों में डर शेष नहीं बचा है। लेकिन साथ ही कानून का राज भी घाटी में अस्तित्व में नहीं है।
दूसरे राज्यों में ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स (आईटी) आदि एजेंसियों का इस्तेमाल करके राजनीतिक विरोधियों की नब्ज दबाई जा सकती है लेकिन कश्मीर घाटी में आतंकियों के मामले में ऐसा भी नहीं किया जा सकता है।
सरकारी एजेंसियों पर कब्जा
मुंबई की ‘एनसीबी’ की छापेमारी के दौरान बीजेपी कार्यकर्ताओं के शामिल होने की बात सामने आई। ईडी, सीबीआई, आईटी जैसी एजेंसियां बीजेपी के आदेशानुसार चल रही हैं। इन जांच एजेंसियों पर मानो बीजेपी ने कब्जा जमा लिया है। फिलहाल, बीजेपी सर्वत्र दिखाई देती है। सिर्फ कश्मीर घाटी में निरपराधों की हत्या होने के दौरान केंद्र सरकार, बीजेपी का अस्तित्व नजर नहीं आता है।
बीजेपी के कार्यकर्ताओं का अस्तित्व क्रूज पर ‘रेव’ पार्टियों में, जिस तरह से ईडी, आईटी में दिखता है, उसी तरह से वे कश्मीर घाटी में दिखाई दें। बीजेपी के नेता लोग नशेड़ियों को, मादक पदार्थों का भंडार पकड़वाते हैं। ईडी की कार्रवाई को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं।
इतना ही नहीं, बल्कि आंदोलन करने वाले किसानों को ‘शांत’ करने के लिए ‘निजी आर्मी’ बनाई जाए, ऐसी सरेआम सलाह भी इस पार्टी के नेता अपने कार्यकर्ताओं को देते हैं। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने ही बीच में आंदोलन करने वाले किसानों को ‘जस का तस’ सबक सिखाने के लिए बीजेपी के स्थानीय कार्यकर्ताओं को हर जिले में ‘डंडा फोर्स’ अर्थात निजी आर्मी तैयार करें, ऐसा कहा था।
इस ‘डंडा फोर्स’ का इस्तेमाल देश के गरीब और न्याय मांगने वाले किसानों के खिलाफ करने के बजाय कश्मीर के आतंकियों के खिलाफ करें। कश्मीर घाटी में वर्तमान में आतंकियों द्वारा निरपराध पंडित एवं सिखों की हत्या की जा रही है, तो इन उत्साही कार्यकर्ताओं को सीना तानकर कश्मीर में जाना चाहिए। उनकी तारीफ ही होगी!
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