कुछ नेताओं के द्वारा लगातार कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक बुलाए जाने की मांग करने के बाद आख़िरकार कांग्रेस नेतृत्व ने उनकी बात सुन ली है। पार्टी के महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल ने ट्वीट कर बताया है कि पार्टी में अहम फ़ैसले लेने वाली इस सर्वोच्च संस्था की बैठक 16 अक्टूबर को दिल्ली में स्थित पार्टी के राष्ट्रीय कार्यालय पर होगी।
वेणुगोपाल ने बताया कि इसमें ताज़ा राजनीतिक हालात, आने वाले राज्यों के चुनाव और संगठन के चुनावों पर चर्चा होगी।
कांग्रेस के लिए बीते कुछ महीने बेहद ख़राब रहे हैं। पंजाब कांग्रेस में लंबे वक्त तक चली सियासी उथल-पुथल के अलावा राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी सत्ता संघर्ष की ख़बरें सामने आईं। पंजाब तो अभी भी पार्टी के लिए सिरदर्द बना हुआ है। क्योंकि नवजोत सिंह सिद्धू की हरक़तों के कारण पार्टी को डर है कि उसका सत्ता में वापसी करना मुश्किल हो सकता है।
‘हूजूर-23 नहीं हैं’
कांग्रेस नेतृत्व को असहज करने वाले G-23 गुट के नेताओं ने भी लगातार बयान जारी किए। वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कुछ दिन पहले कहा कि कांग्रेस में अभी कोई निर्वाचित अध्यक्ष नहीं है और वे नहीं जानते कि पार्टी में कौन फ़ैसले ले रहा है। उन्होंने यह कहकर भी तंज कसा कि वे G-23 हैं, हूजूर-23 नहीं हैं।
इसके बाद पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनके घर के बाहर प्रदर्शन किया था। जिसे लेकर शशि थरूर सहित कुछ और नेताओं ने नाराज़गी जताई थी।
दबाव में है कांग्रेस आलाकमान
कांग्रेस आलाकमान पर अब नया अध्यक्ष चुनने और संगठन के चुनाव कराने का दबाव बढ़ गया है। सोनिया गांधी कह चुकी हैं कि अब वह कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर नहीं रहना चाहतीं। राहुल गांधी अध्यक्ष बनने के लिए तैयार नहीं हैं। पांच राज्यों के चुनाव मुंह के सामने खड़े हैं। कई बड़े नेता लगातार पार्टी छोड़ रहे हैं। G-23 गुट के नेता भी अपनी मांगों को लेकर दबाव बढ़ा रहे हैं। ऐसे में आलाकमान को तुरंत बड़े मसलों पर फ़ैसला लेना ही होगा।
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किसान आंदोलन, पेगासस जासूसी कांड, महंगाई, बेरोज़गारी जैसे अहम मुद्दों पर राहुल गांधी खासे सक्रिय दिखे हैं। लेकिन पार्टी के अंदर चल रहे झगड़ों को देखकर ऐसा लगता है कि हाईकमान पहले जैसा ताक़तवर नहीं रहा।
ऐसे में पार्टी को ख़ुद को चुस्त-दुरुस्त करते हुए पांच राज्यों के चुनाव में पूरी ताक़त के साथ उतरना होगा, वरना 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को चुनौती देना या चुनौती देने वाले किसी फ्रंट में मजबूत उपस्थिति दर्ज कराना कांग्रेस के लिए मुश्किल हो जाएगा।
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