हिजाब पर सुप्रीम कोर्ट में सातवें दिन बहस जारी रही। सीनियर वकील दुष्यंत दवे ने सोमवार 19 सितंबर को हिजाब के समर्थन में कई तर्क पेश किए। उन्होंने भारत को कई संस्कृतियों वाला देश बताते हुए, संविधान का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि संविधान के बिना हम कहीं के नहीं रहेंगे। लाइव लॉ के मुताबिक उन्होंने कहा कि कोई बताए कि मुस्लिम लड़कियों के हिजाब पहनने से उसकी भावनाएं भड़की हों। पहले तो सारा विवाद लव जिहाद पर था। अब शिक्षण संस्थाओं में मुस्लिम लड़कियों के हिजाब को मुद्दा बनाया जा रहा है। यह किसी समुदाय को हाशिए पर ढकेलने का एक पैटर्न है।
सुप्रीम कोर्ट में हिजाब पर जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच सुनवाई कर रही है। कर्नाटक सरकार ने अचानक ही सभी शिक्षण संस्थाओं में मुस्लिम लड़कियों के हिजाब पहनकर आने पर रोक लगा दी। उग्र दक्षिणपंथी संगठनों ने इसका संगठित विरोध भी किया। मुस्लिम लड़कियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर हिजाब बैन के खिलाफ गुहार लगाई। कर्नाटक हाईकोर्ट ने कर्नाटक सरकार के आदेश को वैध ठहराते हुए कहा कि हिजाब इस्लाम में आवश्यक प्रैक्टिस नहीं है। इसलिए बैन सही है। हालांकि हाईकोर्ट के इस फैसले पर देश में तीव्र प्रतिक्रिया हुई। तमाम स्तंभकारों और उलेमाओं ने लिखा कि हाईकोर्ट कुरान फिर से अध्ययन करे और देखे कि उसमें पर्दे का किस तरह जिक्र किया गया है।
सातवें दिन सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि मंगलवार को सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे को याचिकाकर्ता लड़कियों की ओर से बोलने की अनुमति होगी। इसके बाद किसी को उनकी ओर से बहस की अनुमति नहीं होगी। यानी हिजाब पर सुनवाई मंगलवार 20 सितंबर को जारी रहेगी।
लाइव लॉ के मुताबिक सोमवार को सुनवाई के दौरान सीनियर वकील दुष्यंत दवे ने कहा: यह यूनिफॉर्म के बारे में नहीं है। हम सैनिक स्कूलों के साथ डील नहीं कर रहे हैं, हम नाजी स्कूलों के साथ डील नहीं कर रहे हैं। हम प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों के साथ डील कर रहे हैं।
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जिस तरह सिखों के लिए पगड़ी जरूरी है, मुस्लिम महिलाओं के लिए हिजाब उतना ही महत्वपूर्ण है। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। यह उनका विश्वास है। कोई तिलक लगाना चाहता है, कोई क्रॉस पहनना चाहता है, सभी का अधिकार है। यही सामाजिक जीवन की खूबसूरती भी है।
- दुष्यंत दवे, सीनियर वकील, 19 सितंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट में
दवे ने कहा कि यह देश एक खूबसूरत संस्कृति पर बना है...परंपराओं पर बना है। और 5000 वर्षों में, हमने कई धर्मों को अपनाया है… भारत ने हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म को जन्म दिया। इस्लाम बिना जीत के यहां आया और हमने मान लिया। भारत ही एकमात्र ऐसी जगह है जहां यहां आए लोग अंग्रेजों को छोड़कर बिना किसी जीत के यहां बस गए।
यह बताते हुए कि कैसे डॉ बी. आर. आम्बेडकर और सरदार वल्लभभाई पटेल की आशंका सच हो रही थी, दवे ने कहा: यह कैसी विविधता में एकता है, जहां एक हिंदू को एक मुस्लिम से शादी करने के लिए मजिस्ट्रेट से अनुमति लेनी पड़ती है? आप प्रेम को कैसे बांध सकते हैं? और मजिस्ट्रेट अपना कीमती समय लेंगे और सभी फ्रिंज तत्व इसके अंदर घुस जाएंगे। यह कैसा लोकतंत्र है?
लाइव लॉ के मुताबिक इस बात का उल्लेख करते हुए कि पावरफुल पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं ने भी हिजाब पर एक नजरिया रखा और हिजाब की अनुमति दी है। अमेरिकी सेना ने पगड़ी की अनुमति दी है। सभी धर्मों के लिए उनके मन में यही सम्मान है। हमारे संविधान निर्माताओं ने पगड़ी की बात नहीं की, केवल कृपाण की है।
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इस अदालत के लिए एकमात्र धर्म जो मायने रखता है वह भारत का संविधान है। हिंदुओं के लिए गीता जितनी महत्वपूर्ण है, मुसलमानों के लिए कुरान, सिखों के लिए गुरु ग्रंथ साहिब और ईसाइयों के लिए बाइबल है। संविधान के बिना, हम कहीं के नहीं रहेंगे।
- दुष्यंत दवे, वरिष्ठ वकील, 19 सितंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट में
सुप्रीम कोर्ट में हिजाब के समर्थन में आखिरी बहस होनी है। इसके बाद कर्नाटक सरकार के वकील इस मामले पर अपने तर्क अदालत में पेश करेंगे। हिजाब के समर्थन में दस से ज्यादा वकील अपनी बात रख चुके हैं। जस्टिस हेमंत गुप्ता ने शुरुआत में सुनवाई के दौरान कई चर्चित टिप्पणियां की थीं लेकिन पिछली कई सुनवाइयों से वो सभी के तर्कों को ध्यान से सुन रहे हैं। उन्होंने ही कहा था कि सिखों की पगड़ी की तुलना मुस्लिम महिलाओं के हिजाब से नहीं की जा सकती है। सिखों के रीति रिवाज भारत में समाहित हो चुके हैं।
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