भारतीय छात्र हरजोत सिंह को कीव में एक नहीं दो गोलियां मारी गईं। उसके कंधे में गोली लगी और भागने के चक्कर में उसके एक पैर में फ्रैक्चर हो गया है। हरजोत पर उस वक्त फायरिंग हुई जब वो कीव से भागकर बॉर्डर की ओर बढ़ना चाहते थे। घायल हरजोत को उसके बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
हरजोत ने कीव से भारतीय मीडिया को बताया, डॉक्टरों ने मेरे सीने से एक गोली निकाल दी है। मेरा पैर टूट गया है। हरजोत ने कहा कि वो एक कैब में थे जब चारों तरफ से गोलियों की बारिश होने लगी। उन्हें नहीं पता कि बाकी साथ कहां गए या उनके साथ क्या हुआ।
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दिल्ली के पास छतरपुर के रहने वाले हरजोत सिंह ने कहा,"मुझे नहीं पता कि वे लोग जीवित भी हैं या नहीं... या वे लौट गए हैं।
इससे पहले आज सुबह, केंद्रीय मंत्री जनरल (रिटायर्ड) वी.के. सिंह ने कहा कि यूक्रेन में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए सरकार यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है कि जितना संभव हो, उतना कम नुकसान हो और अधिकतम छात्र यूक्रेन से बाहर आ सकें।
उन्होंने हरजोत के जख्मी होने की पुष्टि करते हुए कहा था कि
कीव के एक छात्र को गोली लगने की सूचना मिली थी और उसे तुरंत कीव के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। भारतीय दूतावास ने पहले ही बता दिया था कि सभी को कीव छोड़ देना चाहिए। युद्ध की स्थिति में, बंदूक की गोली किसी की ओर नहीं देखती है। न वो धर्म देखती है और न राष्ट्रीयता।
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बता दें कि 1 मार्च को यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव में रूसी गोलाबारी में भारतीय छात्र नवीन शेखरप्पा की मौत हो गई थी। वो कर्नाटक का मूल निवासी था और एमबीबीएस चौथे वर्ष का छात्र था। मंगलवार सुबह खारकीव में राज्य प्रशासन की इमारत को निशाना बनाकर किए गए मिसाइल हमले में वह मारा गया था।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, लगभग 20,000 भारतीय छात्र यूक्रेन में थे। भारत सरकार यूक्रेन के पश्चिमी पड़ोसियों जैसे रोमानिया, हंगरी और पोलैंड से विशेष उड़ानों के माध्यम से अपने नागरिकों को निकाल रही है क्योंकि 24 फरवरी से यूक्रेनी हवाई क्षेत्र बंद है। सरकार ने चार केंद्रीय मंत्रियों को यूक्रेन के पड़ोसी देशों में 'विशेष दूत' के रूप में भेजा है।
रूस के हमले का आज नौवां दिन है। भारत ने कई बार रूस और यूक्रेन दोनों से संपर्क किया है और अपने नागरिकों के लिए पश्चिमी सीमाओं तक सुरक्षित मार्ग की मांग की है।
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