भारतीय वायु सेना के एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने हल्के लड़ाकू विमान तेजस की डिलीवरी में देरी को दूर करने में नाकाम रहने के लिए सरकारी क्षेत्र की कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को फटकार लगाते हुए नाराजगी जताई है।
एपी सिंह ने बेंगलुरु में एयरो इंडिया 2025 के शुरू होने के मौके पर जारी किए गए एक वीडियो में कहा, "आपको (हमारी) चिंताएं दूर करनी होंगी और हमें अधिक भरोसा देना होगा। फिलहाल, मैं एचएएल पर भरोसा नहीं कर रहा हूं, जो कि बहुत गलत बात है।"
तेजस प्रोजेक्ट 1984 में शुरू हुआ था। लेकिन भारत ने जब पोखरण में परमाणु परीक्षण किया तो 1998 में उस पर यूएस ने कई तरह के प्रतिबंध लगा दिये। एचएएल के सीएमडी डी के सुनील का कहना है कि इस प्रतिबंध ने हमारे रास्ते में कई रुकावटें खड़ी कर दीं। सीएमडी ने भरोसा दिया कि एचएएल तय समय पर प्रोजेक्ट पूरा करेगा। साथ ही वायुसेना को ऑर्डर भी पूरा करेगा। सीएमडी ने कहा कि एचएएल सुस्त नहीं है।
एचएएल ने कहा कि वो "मार्च के अंत तक कम से कम 11 तेजस-एमके1ए विमान वायुसेना को सौंप देगा।" उसे कुल 83 विमान सौंपने हैं। इस विमान की शुरुआती सोच एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी की है। लेकिन इसे विकसित एचएएल ने किया। एचएएल ने 2014 के बाद मेक-इन-इंडिया के लिए जोर देने के बाद ही काम करना शुरू किया।
एचएएल के सीएमडी डीके सुनील का कहना है कि एचएएल अमेरिकी कंपनी जीई से जीई-414 इंजन के लिए 80% प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (टीओटी) समझौता करने का आग्रह कर रहा है। लेकिन जीई देरी कर रही है। सीएमडी के बयान का आशय यह है कि तेजस विमानों में इंजन अमेरिकी कंपनी जीई का लगेगा। भारत या एचएएल जीई से तकनीक ट्रांसफर करने का समझौता करना चाहते हैं, ताकि भारत और एचएएल कह सकें कि तेजस में इंजन भारत में बना हुआ लगा है। लेकिन असलियत में वो यूएस कंपनी का है।
- एचएएल के सीएमडी का कहना है कि एचएएल अमेरिकी कंपनी जीई से जीई-414 इंजन के लिए 80% प्रौद्योगिकी ट्रांसफर (टीओटी) करने का आग्रह कर रहा है। ताकि भारत एडवांस तेजस संस्करणों और भारत की पांचवीं पीढ़ी के विमान का उत्पादन कर सके। सूत्रों का कहना है कि सारी दिक्कत यहीं पर है, क्योंकि अमेरिकी कंपनी तकनीक ट्रांसफर को लेकर तरह-तरह के बहाने बनाती रही है। लेकिन अब बात बनती नजर आ रही है और अप्रैल 2025 तक स्थिति सुधर जाएगी।
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