ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सोमवार को वाराणसी जिला कोर्ट ने फिर से सुनवाई शुरू की। सोमवार को भी मुस्लिम पक्ष ने दलीलें पेश कीं। दलीलें खत्म होने के बाद अदालत अब 4 जुलाई को इसकी सुनवाई करेगी। जिला कोर्ट इस बात की सुनवाई कर रहा है कि यह याचिका सुने जाने योग्य है या नहीं।
मंदिर पक्ष की ओर से पेश किए गए दावों पर मस्जिद कमेटी के वकील ने एक प्वाइंट एक प्वाइंट पर आपत्ति जताई। वकील ने पूजा स्थल अधिनियम 1991 का हवाला देते हुए मंदिर पक्ष और महिलाओं की ओर से पूजा की अऩुमति मांगने वाली याचिका को गैर कानूनी बताया। वकील अभयनाथ यादव ने कहा कि ज्ञानवापी परिसर वक्फ की संपत्ति है। वहां पर मुस्लिमों को नमाज पढ़ने का अधिकार है।
बता दें कि ज्ञानवापी में कथित शिवलिंग पाने का दावा किया गया था, लेकिन मस्जिद कमेटी ने इसे फव्वारा बताते हुए अफवाह न फैलाने की बात कही थी। पूजा स्थल अधिनियम 1991 किसी भी पूजा स्थल के धर्मांतरण पर रोक लगाता है और किसी भी पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र को बनाए रखने का आदेश देता है क्योंकि यह 15 अगस्त, 1947 को अस्तित्व में था।
बहरहाल, 1 जून से कोर्ट में गर्मी की छुट्टियां हो रही हैं। इसलिए अदालत ने अब 4 जुलाई अगली तारीख तय की है।
फास्ट ट्रैक कोर्ट में क्या हुआ
ज्ञानवापी से जुड़ी कुछ याचिकाओं की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में भी हो रही है। वाराणसी की फास्ट-ट्रैक अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर पाए गए कथित शिवलिंग की पूजा करने के लिए द्वारा की गई अंतरिम याचिका पर 8 जुलाई को सुनवाई करेगी। अदालत ने कहा कि चूंकि यूपी सरकार, वाराणसी के डीएम, वाराणसी पुलिस आयुक्त और अंजुमन मस्जिद समिति को वादी की प्रति नहीं मिली है। इसलिए, वादी की एक प्रति प्राप्त करने और उस पर बहस करने का अवसर दिए बिना कोई आदेश देना उचित नहीं होगा। इसलिए अब मामले की सुनवाई 8 जुलाई को होगी। उस दिन आपत्तियां दर्ज की जाएंगी।
इससे पहले अदालत ने कहा कि वह भगवान आदि विश्वेश्वर विराजमान के दोस्त होने का दावा करने वाले किरण सिंह की याचिका की सुनवाई पर आदेश सुरक्षित रख रही है। सिंह ने प्रतिवादियों (अंजुमन इस्लामिया मस्जिद कमेटी सहित) के खिलाफ अंतरिम निषेधाज्ञा मांगी है कि वे हिंदू याचिकाकर्ताओं / भक्तों के प्रवेश और शिव लिंग की धार्मिक गतिविधियों में बाधा उत्पन्न न करें। याचिका में कहा गया है कि चूंकि पांच हिंदू महिलाओं द्वारा दायर मुख्य मुकदमे के निपटारे में समय लग सकता है, देवताओं के भक्तों को पूजा और अन्य धार्मिक प्रदर्शन के अधिकार से वंचित रहेंगे। यदि हिंदू समुदाय के उपासकों द्वारा सेवा पूजा, राज भोग, आरती और अन्य धार्मिक पूजा करने की अनुमति नहीं दी जाती है तो उन्हें अपूरणीय क्षति होगी।
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