पीएम मोदी और गुजरात दंगे 2002 पर बनी बीबीसी की डॉक्युमेंट्री का अमेरिका ने भी समर्थन नहीं किया। उसने सारे मामले से ही अनभिज्ञता जता डाली। इससे पहले ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक ने भी पीएम मोदी का बचाव किया था। इन सारी बातों के बावजूद बीबीसी की डॉक्युमेट्री इस समय सोशल मीडिया पर जबरदस्त ढंग से शेयर की जा रही है। भारत सरकार ने बेशक इसे यूट्यूब, फेसबुक और इंस्टाग्राम समेत तमाम सोशल मीडिया साइटों पर बैन कर दिया हो लेकिन वो इसकी शेयरिंग यानी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने से नहीं रोक पाई। इस विवाद के बहाने गुजरात दंगों पर फिर से चर्चा हो रही है और मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया जा रहा है।
बीबीसी डॉक्युमेंट्री पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने सोमवार को कहा कि मैं उस डॉक्युमेंट्री से परिचित नहीं हूं जिसका आप उल्लेख कर रहे हैं। लेकिन मैं उन साझा मूल्यों से बहुत परिचित हूं जो यूएस और भारत को दो जीवंत लोकतंत्र बनाते हैं।
एक प्रेस ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए, प्राइस ने कहा कि ऐसी कई वजहें हैं जो भारत के साथ अमेरिका की ग्लोबल रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करते हैं जिसमें राजनीतिक, आर्थिक और असाधारण रूप से लोगों के बीच गहरे संबंध शामिल हैं। हम हर उस चीज़ को देखते हैं जो हमें एक साथ जोड़ती है, और हम उन सभी तत्वों को मजबूत करने के लिए तत्पर हैं जो हमें एक साथ बांधते हैं।
उन्होंने इस तथ्य पर भी जोर दिया कि अमेरिका भारत के साथ जो साझेदारी साझा करता है वह असाधारण रूप से गहरी है और दोनों राष्ट्र उन मूल्यों को साझा करते हैं जो अमेरिकी लोकतंत्र और भारतीय लोकतंत्र के लिए सामान्य हैं। मुझे इस डॉक्युमेंट्री के बारे में पता नहीं है जिसका आप (पत्रकार) जिक्र कर रहे हैं।
यहां यह बताना जरूरी है कि अमेरिका वही देश है, जिसने गुजरात दंगों के बाद तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी की यूएस यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया था। उस समय अमेरिका ने गुजरात के दंगों को धार्मिक आजादी के लिए खतरा बताया था। यूएस कांग्रेस में वहां के कई सदस्यों ने भारत विरोधी रुख अपनाया था। मोदी जब पीएम बन गए तो उसी अमेरिका ने दोस्ती का हाथ बढ़ाया। उन्हें अमेरिका आने का भी निमंत्रण मिला। अमेरिका ने वीजा प्रतिबंध फौरन हटा लिए थे।
पिछले हफ्ते, यूके के प्रधान मंत्री ऋषि सुनक ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बचाव किया और बीबीसी डॉक्युमेंट्री से खुद को दूर कर लिया। यह भी कहा कि वो भारतीय पीएम के चरित्र चित्रण से सहमत नहीं हैं। सुनक ने ये टिप्पणी पाकिस्तानी मूल के सांसद इमरान हुसैन द्वारा ब्रिटिश संसद में उठाए गए सवाल पर की थी।
भारत सरकार ने बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री को दिखा रहे कई यूट्यूब चैनलों पर 21 जनवरी को बैन लगा दिया था। इस संबंध में सूचना प्रसारण मंत्रालय ने दिशा निर्देश जारी किया था। केंद्र सरकार ने सिर्फ यूट्यूब ही नहीं पचास से ज्यादा ट्विटर अकाउंट को भी प्रतिबंधित करने के निर्देश दिए थे। अभी भी तमाम सोशल मीडिया मंचों पर बीबीसी की डॉक्युमेंट्री का लिंक शेयर किया जा रहा है।
इस डॉक्युमेंट्री में बताया गया है कि ब्रिटिश सरकार ने भी 2002 के गुजरात नरसंहार की गुप्त रूप से जांच कराई थी। इसमें गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर सवाल उठाए गए हैं। बीबीसी ने इसका प्रसारण ब्रिटेन में तो कर दिया लेकिन उसने भारत में दिखाने से मना कर दिया है। लेकिन कुछ यूट्यूब चैनलों ने इस फिल्म को बीबीसी की साइट से अपलोड कर प्रसारित कर दिया। कई ट्विटर हैंडलों से उसे ट्वीट भी किया गया है।
क्या हुआ था गुजरात में
इस डॉक्युमेंट्री में बताया गया है कि ब्रिटिश सरकार ने भी 2002 के गुजरात नरसंहार की गुप्त रूप से जांच कराई थी। इसमें गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर सवाल उठाए गए हैं। बीबीसी ने इसका प्रसारण ब्रिटेन में तो कर दिया लेकिन उसने भारत में दिखाने से मना कर दिया है। लेकिन कुछ यूट्यूब चैनलों ने इस फिल्म को बीबीसी की साइट से अपलोड कर प्रसारित कर दिया। कई ट्विटर हैंडलों से उसे ट्वीट भी किया गया है।
गुजरात के गोधरा में 27 फरवरी 2002 को साबरमती ट्रेन में आग लगाने के बाद राज्य में हिंसा भड़क उठी थी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक करीब दो हजार लोग इन दंगों में मारे गए थे। मुस्लिम महिलाओं से गैंगरेप की घटनाएं हुई थीं। घर जला दिए गए थे। तमाम एनजीओ और मानवाधिकार संगठनों की जांच में कहा गया था कि इस दंगे में पांच हजार से भी ज्यादा मौतें हुई थीं। इस मामले की जांच हुई, जिसने तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी को क्लीन चिट दी थी। मोदी मजबूत होते चले गए और देश के पीएम बन गए।
गुजरात दंगे की जांच को बाद में कोर्ट में भी चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने भी पीएम मोदी को न सिर्फ बेदाग बताते हुए क्लिन चिट दी, बल्कि इस मामले को उठाने वाले पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट, बी श्रीकुमार, सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और दंगे में 68 लोगों के साथ जिंदा जला दिए गए एहसान जाफरी की विधवा जकिया जाफरी को दंडित करने के लिए कहा। फैसला आने के 24 घंटे के अंदर ही तीस्ता सीतलवाड़ और बी. श्रीकुमार को गिरफ्तार कर लिया गया। संजीव भट्ट एक कथित हत्या के मामले में बहुत पहले से ही जेल में हैं। उनकी जमानत अर्जी कई अदालतों से खारिज हो चुकी है।
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