केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वह आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग (ईडब्लूएस) के लोगों को आरक्षण देने के मामले में क्रीमी लेयर के लिए सालाना आठ लाख रुपए की सीमा पर पुनर्विचार करेगी।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए इसके लिए चार हफ़्तों का समय भी माँगा।
जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की बेंच से मेहता ने कहा कि इसे देखते हुए एनईईटी की कौंसिलिंग फिलहाल रोक दी जाएगी। इस बेंच में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ भी शामिल हैं।
सरकार को चुनौती
बता दें कि कुछ परीक्षार्थियों ने आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों को मेडिकल के कोर्स में दाखिले में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के केंद्र सरकार और मेडिकल कौंसिल के नोटिस को चुनौती दे रखी है।
इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि था आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए आठ लाख रुपए सलाना आमदनी से कम आमदनी का जो मानदंड तय किया गया है, उस पर उसने क्या किया है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा कि वह बताए कि इसके पीछे क्या आधार है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि आठ लाख रुपये की आमदनी के मानदंड पर क्या वह दुबारा विचार करेगी।
अदालत ने केंद्र सरकार से यह भी पूछा कि क्या यह फ़ैसला अगले साल से लागू हो सकेगा। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सरकार लिए मुश्किल हो सकता है क्योंकि जो भी होगा वह संविधान के संशोधन के तहत होगा।
समझा जाता है कि सरकार आठ लाख रुपए की सीमा को बढ़ा कर 10 लाख करना चाहती है, कुछ लोग 12 लाख रुपए करने की माँग भी कर रहे हैं। इसकी पूरी संभावना है कि सरकार आठ लाख की सीमा को बढ़ा दे।
इस मामले पर अगली सुनवाई 6 जनवरी को होगी।
बता दें कि पहले 25 अक्टूबर को नीट पीजी 2021 काउंसलिंग होनी थी। लेकिन यह मामला टलता गया और अब तक कोई फ़ैसला नहीं हो पाया है।
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