मास्क आधार को लेकर रविवार सुबह जारी की गई
एडवाइजरी को भारत सरकार ने तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया है। सरकार का यह यूटर्न उसके बयान का गलत मतलब लगाए जाने के बाद आया है। सरकार ने रविवार शाम को कहा कि प्रेस रिलीज की गलत व्याख्या की संभावना के मद्देनजर मास्क आधार का बयान वापस ले लिया गया है।
यूआईडीएआई ने पहले मास्क आधार के इस्तेमाल का सुझाव दिया था, जिसमें आधार के सिर्फ अंतिम चार अंक दिखते हैं। सरकार ने कहा था कि मास्क आधार वाली फोटोकॉपी ही तमाम जगहों पर जमा कराई जाए या शेयर की जाए। आधार प्राधिकरण के बयान की सोशल मीडिया पर गोपनीयता विशेषज्ञों और कार्यकर्ताओं ने आलोचना की। जिन्होंने कहा कि यूआईडीएआई को इस जोखिम का बहुत पहले ध्यान रखना चाहिए था और तब जनता को सूचित करना चाहिए था।
हालांकि, नवीनतम सरकारी बयान ने संकेत दिया कि यह आलोचना सलाहकार की गलत व्याख्या पर आधारित है, क्योंकि यूआईडीएआई ने केवल लोगों को अपने आधार नंबरों का उपयोग करने और साझा करने में सामान्य विवेक का प्रयोग करने की सलाह दी है। यूआईडीएआई ने पहले मास्क आधार के इस्तेमाल का सुझाव दिया था, जिसमें आधार के सिर्फ अंतिम चार अंक दिखते हैं। सरकार ने कहा था कि मास्क आधार वाली फोटोकॉपी ही तमाम जगहों पर जमा कराई जाए या शेयर की जाए।
आधार प्राधिकरण के बयान की सोशल मीडिया पर गोपनीयता विशेषज्ञों और कार्यकर्ताओं ने आलोचना की। जिन्होंने कहा कि यूआईडीएआई को इस जोखिम का बहुत पहले ध्यान रखना चाहिए था और तब जनता को सूचित करना चाहिए था।
हालांकि, नवीनतम सरकारी बयान ने संकेत दिया कि यह आलोचना सलाहकार की गलत व्याख्या पर आधारित है, क्योंकि यूआईडीएआई ने केवल लोगों को अपने आधार नंबरों का उपयोग करने और साझा करने में सामान्य विवेक का प्रयोग करने की सलाह दी है।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने रविवार को कहा कि यह पता चला है कि यह (पहले यूआईडीएआई का बयान) उनके द्वारा फोटोशॉप आधार कार्ड के दुरुपयोग के प्रयास के संदर्भ में जारी किया गया था। विज्ञप्ति में लोगों को सलाह दी कि वे अपने आधार की फोटोकॉपी किसी भी संगठन के साथ साझा न करें क्योंकि इसका दुरुपयोग किया जा सकता है। वैकल्पिक रूप से, एक मास्क आधार का इस्तेमाल किया जा सकता है।
सरकार की "सामान्य विवेकशीलता" की परिभाषा में व्यक्तिगत सुरक्षा उपाय शामिल होंगे जिनका उपयोग संवेदनशील दस्तावेजों का लेन-देन करते समय किया जाता है।
सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में आधार की वैधता को बरकरार रखा, लेकिन गोपनीयता पर चिंता जताई। लेकिन सरकार ने बैंकिंग से लेकर दूरसंचार सेवाओं तक हर चीज के लिए इसे अनिवार्य बनाने पर जोर दिया।
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