देश भर के सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग को लेकर रविवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में पहुँचे। वे नयी पेंशन योजना का विरोध कर रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि उनको पुरानी पेंशन योजना का ही लाभ दिया जाए।
नयी पेंशन योजना को केंद्र सरकार ने 1 जनवरी, 2004 से राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली यानी एनपीएस के रूप में शुरुआत की थी। एनपीएस एक पेंशन के साथ साथ निवेश योजना है। यह योजना सुरक्षित और विनियमित बाजार आधारित रिटर्न के जरिए सेवानिवृत्ति का लाभ देती है। इस योजना का विनियमन पेंशन कोष नियामक और विकास प्राधिकरण यानी पीएफआरडीए द्वारा किया जाता है। पीएफआरडीए द्वारा स्थापित राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली न्यास एनपीएस के अंतर्गत सभी जमा राशियों का मालिक है।
बता दें कि पुरानी पेंशन योजना यानी ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत सरकार साल 2004 से पहले कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद एक निश्चित पेंशन देती थी। यह पेंशन कर्मचारी के रिटायरमेंट के समय उनके वेतन पर आधारित होती थी। हालांकि, इस स्कीम को 1 अप्रैल 2004 में बंद करके इसे राष्ट्रीय पेंशन योजना से बदल दिया गया।
केंद्र सरकार ने 1 जनवरी 2004 के बाद सरकारी सेवा में शामिल हुए कर्मचारियों को नई पेंशन स्कीम राष्ट्रीय पेंशन योजना के तहत रिटायरमेंट फंड ऑफर कर रही है। इसके तहत सरकारी कर्मचारी पेंशन पाने के लिए अपनी बेसिक सैलरी + डीए में से 10 प्रतिशत और उनके नियोक्ता 14 प्रतिशत तक योगदान देंगे।
एक बयान में एनएमओपीएस ने कहा कि अगर केंद्र सरकार पुरानी पेंशन योजना को बहाल नहीं करती है, तो वे आगामी लोकसभा चुनाव से पहले इसकी बहाली की मांग के लिए वोट फॉर ओपीएस नामक एक अभियान चलाएंगे। कांग्रेस नेता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा, राज्यसभा सांसद संजय सिंह, बहुजन समाज पार्टी के सांसद श्याम सिंह यादव सहित कई विपक्षी नेता भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए।
ओल्ड पेंशन स्कीम को सबसे ज्यादा हवा कांग्रेस पार्टी की तरफ से दी जा रही है। हाल ही में हुए हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों में सरकार में आते ही ओल्ड पेंशन को लोगू करने का वादा किया था। इसके पहले राजस्थान और छत्तीसगढ़, जहां कांग्रेस की सरकारें हैं, इसको लागू कर चुके हैं। केंद्र सरकार की आपत्ति के बाद भी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने तो यहां तक कह दिया है कि ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने में जो खर्च आएगा उसे हम अपने खर्चे से पूरा करेंगे, केंद्र सरकार पैसा दे या फिर न दे।
पुरानी पेंशन कर्मचारियों का अधिकार है। कांग्रेस की राज्य सरकारों ने पुरानी पेंशन बहाल की है।
— Congress (@INCIndia) October 1, 2023
इसे लेकर हमारी नीति साफ है- कर्मचारियों को उनका हक मिलना ही चाहिए।
मोदी सरकार पुरानी पेंशन बहाल करे, देश की सेवा करने वाले कर्मवीरों का सम्मान करे। pic.twitter.com/wkcseIbKFq
देश में पांच राज्य- राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश - पुरानी पेंशन योजना में वापस आ गए हैं जबकि पश्चिम बंगाल ने कभी भी नई पेंशन योजना का विकल्प नहीं चुना।
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