केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की बेटी के गोवा में जिस कथित बार को लेकर विवाद हुआ है, वहां से बार शब्द रविवार को हटा दिया गया। लेकिन युवक कांग्रेस ने उस छिपा दिए गए शब्द पर से कागज हटा दिया तो वहां फिर से बार लिखा नजर आने लगा। पूरा वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है। इस बीच केंद्रीय मंत्री ईरानी ने कांग्रेस नेता जयराम रमेश, पवन खेड़ा आदि को मानहानि का नोटिस भेजा है।
कांग्रेस नेताओं ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके आरोप लगाया था कि स्मृति ईरानी की बेटी गोवा में बार चलाती है। इसका लाइसेंस अवैध है। क्योंकि जिस शख्स को यह लाइसेंस मिला था, उसकी मौत हो चुकी है। कांग्रेस के इस आरोप के बाद स्मृति ईरानी ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई और आंखों में आंसू लाते हुए कहा कि वो चूंकि राहुल गांधी और सोनिया गांधी पर आरोप लगा चुकी हैं, इसलिए उन्हें घेरा जा रहा है। केंद्रीय मंत्री ईरानी ने कहा कि उनकी बेटी का कोई बार गोवा में नहीं है। उन्होंने कांग्रेस नेताओं को कोर्ट में देखने की धमकी भी दी थी।
स्मृति ईरानी के इस आरोप के बाद कांग्रेस ने एक और सबूत साझा किया, जिसमें स्मृति ईरानी का बयान है। उसमें वो कह रही हैं कि उन्हें अपनी बेटी के इस कारोबार पर गर्व है। मनी कंट्रोल डॉट कॉम ने स्मृति ईरानी के इस बयान को प्रकाशित किया था। कांग्रेस नेताओं ने मनी कंट्रोल का लिंक भी शेयर किया था।
बहरहाल, स्मृति ईरानी ने रविवार को कांग्रेस के तीन नेताओं और उनकी पार्टी को यह आरोप लगाने के लिए कानूनी नोटिस भेजा कि उनकी 18 वर्षीय बेटी गोवा में "अवैध बार" चला रही है।
कानूनी नोटिस विपक्षी दल के पवन खेड़ा, जयराम रमेश और नेता डिसूजा को भेजा गया है।
केंद्रीय मंत्री ने बिना शर्त लिखित माफी और अपनी बेटी के खिलाफ लगे आरोपों को तत्काल प्रभाव से कांग्रेस से वापस लेने की मांग की है।
ईरानी ने शनिवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस नेताओं को उनकी बेटी के किसी भी गलत काम का सबूत दिखाने की चुनौती दी। ईरानी ने कांग्रेस नेताओं को धमकी दी थी कि वो कानून की अदालत और जनता की अदालत में जवाब मांगेगी।
एक बयान में, स्मृति ईरानी की बेटी के वकील ने कहा है कि उनके मुवक्किल न तो मालिक हैं और न ही सिली सोल्स गोवा नामक रेस्तरां का संचालन कर रही हैं और उन्हें किसी भी प्राधिकरण से कोई कारण बताओ नोटिस नहीं मिला है जैसा कि आरोप लगाया गया है।
कांग्रेस ने बार को दिए गए कारण बताओ नोटिस की एक प्रति साझा की और आरोप लगाया कि नोटिस देने वाले आबकारी अधिकारी का कथित तौर पर अधिकारियों के दबाव के बाद तबादला किया जा रहा है। पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने दावा किया है कि बार का लाइसेंस एक ऐसे शख्स के नाम पर लिया गया है, जिसे मरे हुए एक साल से ज्यादा हो गया है।
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