कुछ और बातें
बहरहाल, अडानी की संपत्ति बढ़ने की रफ़्तार तेज होने की कुछ खास वजह भी है। एक समय जिस गौतम अडानी के बारे में ख़बर आई थी कि कोरोना काल में जहाँ आम तौर पर लोगों की आय कम हुई थी वहाँ अडानी हर रोज़ 1000 करोड़ कमा रहे थे। आर्थिक मामलों के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार आलोक जोशी ने हाल में एक लेख में बताया था कि अंबानी के कारोबार के बढ़ने और उनके तौर-तरीकों पर वर्षों से सवाल उठते रहे हैं। अब गौतम अडानी पर भी उठ रहे हैं। जिस तेज़ी से उनका कारोबार फैल रहा है उसी तेज़ी से सवाल भी बढ़ रहे हैं। इस वक्त का सबसे बड़ा सवाल है अडानी समूह पर कर्ज को लेकर।फिच रेटिंग की सहयोगी क्रेडिटसाइट्स ने एक रिपोर्ट में चेतावनी भी दी है कि हालात बहुत बिगड़े तो कर्ज पर डिफॉल्ट का डर भी हो सकता है। यह खतरा काफी गंभीर लगता है, खासकर यह देखते हुए कि मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज 2020 में ही खुद को नेट डेट फ्री या कर्जमुक्त घोषित कर चुकी है। लेकिन असलियत यह है कि मार्च 22 में भी रिलायंस इंडस्ट्रीज़ पर लगभग तीन लाख करोड़ रुपए का कर्ज था।
उधर, अडानी समूह पर कर्ज का आंकड़ा लगभग दो लाख बीस हज़ार करोड़ रुपए का था। कर्ज की रकम कंपनी ने अपने कारोबार को ही बढ़ाने में लगाई है। अगर अडानी समूह इसी रफ्तार से बढ़ता रहा तो जो कर्ज आज बड़ा लग रहा है वही कल छोटा दिखने लगेगा। इसीलिए खतरे की घंटी बजानेवाली क्रेडिटसाइट्स की रिपोर्ट में ज्यादा चिंता इस बात पर दिखती है कि कंपनी में प्रोमोटर ज्यादा पैसा लगाने की बजाय कर्ज के भरोसे कारोबार बढ़ा रहे हैं। हालांकि उन्हें लगता है कि बैंकों और सरकार से कंपनी के रिश्ते आश्वस्ति का भाव देते हैं।
दूसरी तरफ यह बात भी ध्यान देने लायक है कि अडानी समूह का कर्ज भले ही बढ़ा हो, उसकी कमाई के मुकाबले कर्ज का अनुपात काफी कम हुआ है, और इसे घटाने की कोशिशें भी चल रही हैं।
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