पेगासस सॉफ़्टवेअर से 300 से ज़्यादा भारतीयों की अनधिकृत व ग़ैरक़ानूनी जासूसी की खबर फैलने के बाद यह सवाल उठना लाजिमी है कि यह कैसे काम करता है कि किसी को भनक तक नहीं लगती है।
यह सवाल भी उठता है कि यह दूसरे सामान्य जासूसी उपकरण से अलग कैसे है। क्या इसकी कोई काट है यानी क्या इसे रोका जा सकता है?
पेगासस आपके फ़ोन में बैठा हुआ एक ऐसा जासूस है जो न सिर्फ आपकी कॉल सुन सकता है, मैसेज पढ़ सकता है और कॉंटेक्ट लिस्ट यानी एड्रैस बुक कॉपी कर सकता है, बल्कि इसके आगे भी बहुत कुछ कर सकता है।
यह आपके फ़ोन का माइक खुद ऑन करके उस वक्त भी आपकी बातें सुन सकता है जब आप फ़ोन इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। कैमरा ऑन करके वह सब देख सकता है और अपने आका को दिखा सकता है जो इस कैमरे में दिख रहा हो।
यही नहीं, यह जीपीएस ऑन करके लगातार आपकी लोकेशन भी ट्रैक कर सकता है। और खास बात यह है कि इसमें से कुछ भी आपको पता नहीं चलेगा। यही कारनामा करता है पेगासस जो एक स्पाइवेयर या जासूसी सॉफ्टवेयर है।
फ़ोन में फिट
पेगासस दरअसल ग्रीक माइथोलॉजी का एक कैरेक्टर है। यह एक उड़नेवाला घोड़ा था, जिसकी मदद से उसके सवार ने बहुत से कारनामे अंजाम दिए। यहाँ यह नाम एकदम सही बैठता है। क्योंकि यह जासूसी सॉफ्टवेयर किसी एक एसएमएस, व्हॉट्सऐप या ईमेल के रास्ते आपके फोन में फिट हो सकता है। ऐसे रास्ते भी हैं कि आपके बिना किसी लिंक पर क्लिक किए भी यह आपके फोन में जगह बना सकता है।
क्या है ख़ासियत?
पेगासस की एक ख़सियत यह भी बताई जा रही है कि जिस फ़ोन पर यह लग गया उसके मालिक के घर या दफ़्तर के दूसरे फ़ोन पर या उनके पास अक्सर आनेजाने वाले लोगों के फ़ोन पर भी पहुंच जाता है। इसके लिए यह मोबाइल नेटवर्क की कुछ कमज़ोरियों का फ़ायदा उठाता है।
एक बात साफ़ समझ लीजिए कि इसके बारे में जितनी भी बातें हैं वो ज्यादातर सुनी सुनाई या थर्ड पार्टी की जुटाई हुई जानकारियों पर टिकी हैं। वजह यह कि इसे बनानेवाली कंपनी इज़रायल की एनएसओ ग्रुप इसके बारे में कुछ खास बताती नहीं है। बस इतना कि वो चालीस देशों की सरकारों के साथ काम करती है, आतंकवाद और अपराध से मुकाबले के लिए।
छोटे में बस इतना समझ लीजिए कि यह कंपनी सिर्फ पेगासस ही बनाती है जिसे इज़रायल की सरकार ने एक जंगी हथियार का दर्जा दे रखा है। यानी सरकार की इजाज़त के बिना यह किसी को बेचा नहीं जा सकता। दाम भी कम नहीं है।
अपनी राय बतायें