यूपी पुलिस ने मुरादाबाद जिले के छजलैट में एक घर में बिना पूर्व अनुमति के एकसाथ नमाज पढ़ने के आरोप में 16 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। यह अपनी तरह का यूपी में पहला मामला है जब घर में नमाज पढ़ने पर केस दर्ज किया गया है। आमतौर पर यूपी के तमाम घरों में हिन्दू-मुसलमान अपने घरों में पूजा पाठ के सामूहिक आयोजन करते हैं, जिनमें 50-100 लोगों का जुटना मामूली बात है। लेकिन कभी किसी ने ऐतराज नहीं किया। इस मामले में भी छजलैट में जमात की नमाज का सामूहिक आयोजन था, जिसमें 30-40 लोग जुटे थे।
पुलिस के मुताबिक हिंदू समुदाय के कुछ सदस्यों ने कहा कि दो व्यक्ति, वाहिद और मुस्तकीम, कई लोगों के साथ अपने घर में नमाज अदा कर रहे थे। हालांकि, इसका कुछ हिंदुओं द्वारा विरोध किया जा रहा था, जिन्होंने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।
एसपी संदीप कुमार मीणा ने बताया कि शिकायत पर संज्ञान लेते हुए पुलिस ने 16 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। पुलिस ने बताया कि छजलैट क्षेत्र के दुल्हेपुर गाँव में दो ग्रामीणों के घर पर बिना किसी सूचना के कुछ लोग इकट्ठे हो गए और उन्होंने वहां नमाज पढ़ी। वहां के कुछ हिन्दुओं ने उन्हें पहले ही आगाह किया था कि वे घर में इस तरह का आयोजन करें। लेकिन वे नहीं माने।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत में मुसलमान अब घरों में भी नमाज़ नहीं पढ़ सकते? क्या अब नमाज़ पढ़ने के लिए भी हुकूमत/पुलिस से इजाज़त लेनी होगी?
@narendramodi को इसका जवाब देना चाहिए, कब तक मुल्क में मुसलमानों के साथ दूसरे दर्जे के शहरी का सुलूक किया जाएगा?
ओवैसी ने टीवी चैनल पर कहा- सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 'नमाज' कहीं भी पढ़ी जा सकती है। घर में 'नमाज' करने में आपत्ति क्यों है? यह अन्याय है।
चंद्र पाल सिंह नाम के एक स्थानीय व्यक्ति की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया था। सिंह ने कहा, आरोपी मौलवी के माध्यम से घर पर सामूहिक नमाज अदा करके एक नई परंपरा शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं, जिसके हम खिलाफ हैं। हम चाहते हैं कि गांव में शांति बनी रहे।
वहीं, पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और आरोपियों की तलाश कर रही है। लेकिन यह अपनी तरह का अजीबोगरीब मामला है। भारत के ग्रामीण इलाकों में आए दिन घरों में कथा, पूजा आदि के आयोजन होते हैं, जिनमें 50-100 लोगों का जुटना आम बात है। ऐसे कार्यक्रम कई बार हफ्ते भर या दस दिनों तक चलते हैं। इसी तरह कुछ लोग घरों में जमात यानी कुछ लोगों के साथ नमाज का आयोजन करते हैं, जिसमें सामूहिक नमाज पढ़ी जाती है। अभी तक ऐसे कार्यक्रमों को लेकर कोई एफआईआर वगैरह नहीं कराई जाती थी। लेकिन हिन्दू-मुस्लिम के बीच खाई को बढ़ाने के लिए अब ऐसी हरकतें भी होने लगी हैं।
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