फ़रवरी, 2019 में जब देश में लोकसभा चुनाव को लेकर माहौल गर्म था, तब जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में भारत के 40 से ज़्यादा जवान शहीद हो गए थे। विपक्ष ने आरोप लगाया था कि इस हमले से राजनीतिक फ़ायदा लिया गया। पुलवामा हमले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सवालों के घेरे में थे और यह सवाल तब से लेकर बीती 29 अक्टूबर तक विपक्षी दल उठाते रहे थे।
लेकिन 29 अक्टूबर को पाकिस्तान के मंत्री फ़वाद चौधरी ने वहां की संसद में जो कहा, उसके बाद बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष पर जोरदार पलटवार किया है। फ़वाद चौधरी ने कहा था, ‘पुलवामा में जो हमारी क़ामयाबी है, वो इमरान ख़ान की क़यादत में इस कौम की क़ामयाबी है, उसके हिस्सेदार आप भी सब हैं, उसके हिस्सेदार हम भी सब हैं।’
फ़वाद से एक दिन पहले पूर्व स्पीकर सरदार अयाज़ सादिक ने पाकिस्तान की संसद में कहा था कि भारतीय विंग कमांडर अभिनंदन के पकड़े जाने के बाद पाकिस्तान के आर्मी चीफ़ के पैर कांप रहे थे और उनके माथे पर पसीना था।
बहरहाल, फ़वाद के बयान का जिक्र करते हुए मोदी शनिवार को विपक्ष पर ख़ूब बरसे। मोदी ने कहा, ‘देश कभी भूल नहीं सकता कि जब अपने वीर बेटों के जाने से पूरा देश दुखी था, तब कुछ लोग उस दुख में शामिल नहीं थे। वो पुलवामा हमले में भी अपना राजनीतिक स्वार्थ खोज रहे थे।’ मोदी राष्ट्रीय एकता दिवस के मौक़े पर गुजरात के केवड़िया में लोगों को संबोधित कर रहे थे।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘देश भूल नहीं सकता कि तब कैसी-कैसी बातें कही गईं, कैसे-कैसे बयान दिए गए। देश भूल नहीं सकता कि जब देश पर इतना बड़ा घाव लगा था, तब स्वार्थ और अहंकार से भरी भद्दी राजनीति कितने चरम पर थी।’
गुजरात से ही आने वाले मोदी ने कहा कि उस वक़्त वे विवादों से दूर रहते हुए सारे आरोपों को झेलते रहे। उन्होंने कहा, ‘मेरे दिल पर वीर शहीदों का गहरा घाव था। पाकिस्तान की संसद में जो सत्य स्वीकारा गया है, उसने इन लोगों के असली चेहरे को देश के सामने ला दिया है।’
क्या कहा था विपक्षी नेताओं ने
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि पाकिस्तान और इमरान ख़ान मोदी जी का खुलकर सपोर्ट कर रहे हैं और अब यह साफ हो चुका है कि मोदी जी का उनके साथ कोई गुप्त गठबंधन है। केजरीवाल ने चुभने वाला सवाल लिखा था- ‘हर कोई यह पूछ रहा है कि क्या पाकिस्तान ने 14 फ़रवरी को पुलवामा में हमारे 40 जवानों को चुनाव से पहले मोदी जी की मदद करने के लिए मारा था।’
पुलवामा हमले की बरसी पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने ट्वीट कर तीन सवाल पूछे थे। राहुल का पहला सवाल था- हमले से सबसे अधिक फायदा किसको हुआ?, दूसरा सवाल था- हमले की जांच से अब तक क्या हासिल हुआ है और तीसरा सवाल यह कि इस हमले में हुई सुरक्षा की चूक के लिए बीजेपी की सरकार में किसे जिम्मेदार ठहराया गया है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पुलवामा आतंकी हमले की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए पूछा था कि जब लोकसभा चुनाव नजदीक हैं तो ऐसे वक्त में क्या सरकार युद्ध की तैयारी कर रही है।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ़्रेन्स के नेता फारूक़ अब्दुल्ला ने कहा था कि पुलवामा हमले के पीछे नरेंद्र मोदी का हाथ है क्योंकि वह किसी भी क़ीमत पर चुनाव जीतना चाहते थे। उन्होंने यह भी कहा था कि महात्मा गांधी के हत्यारे आज दिल्ली की गद्दी पर बैठे हैं।
लेकिन फ़वाद चौधरी के बयान के बाद प्रधानमंत्री ने विपक्षी नेताओं को खुलकर जवाब दिया है और कहा है, ‘अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए ये लोग किस हद तक जा सकते हैं। पुलवामा हमले के बाद की गई राजनीति इसका बड़ा उदाहरण है।’
मोदी ने कहा कि देश की सुरक्षा के हित में, सुरक्षा बलों के मनोबल के हित में ये नेता ऐसी राजनीति न करें। उन्होंने कहा कि ऐसे नेता अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए जाने-अनजाने में देश विरोधी ताक़तों के हाथों में खेलकर देश का हित नहीं कर पाएंगे।
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