क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो महीने से अधिक समय से चल रहे किसान आन्दोलन और उसे स्थानीय से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिलने वाले समर्थन से बौखला गए हैं? क्या वे यह बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं कि लोग इससे जुड़ते जा रहे है? ये सवाल इसलिए पूछे जा रहे हैं कि उन्होंने बजट सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई बहस में आन्दोलनकारियों और उन्हें समर्थन देने वालों पर तीखा तंज किया।