दिल्ली के बॉर्डर पर बैठे किसानों का आंदोलन जितना ज़मीन पर है, उससे कहीं ज़्यादा सोशल मीडिया पर। सोशल मीडिया के जरिये यह आंदोलन दुनिया भर में फैले पंजाबियों तक पहुंच चुका है। किसानों पर हरियाणा सरकार ने जो आंसू गैस के गोले छोड़े हैं, ठंड में बुजुर्गों पर पानी की बौछार की है, उससे पंजाबियों में बहुत नाराज़गी दिखाई देती है।
किसान आंदोलन को गंभीरता से ले केंद्र, पाक की है नज़र
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- 5 Mar, 2021
भारत सरकार और ख़ुफ़िया एजेंसियों को बेहद विनम्र होकर और प्यार मोहब्बत के साथ ही आंदोलन कर रहे किसानों और युवा पीढ़ी को समझाना होगा।
किसान आंदोलन के दौरान सिखों को खालिस्तानी कहे जाने, उन्हें देश विरोधी बताए जाने या उनके आंदोलन को विदेशों से फंडिंग होने की बात कहने से ज़मीन चीरकर अन्न उगाने वाले अन्नदाताओं के मान-सम्मान को ठेस पहुंची है। इस तरह की बातों से पंजाब का माहौल बिगड़ सकता है। कैसे, इसके लिए थोड़ा इतिहास में जाते हैं।
पंजाब बहुत संवदेनशील सूबा है। ये विशाल पंजाब था, जिसका 1947 में हुए बंटवारे के दौरान लगभग आधा हिस्सा पाकिस्तान में चला गया। आज भी बोली दोनों जगह लगभग एक है।