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EVM मामला सुप्रीम कोर्ट में फिर ले जाने की तैयारी, भाजपा ने पेशबंदी शुरू की

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में धांधली के कई आरोप लगे हैं। जिसमें चुनाव को ईवीएम के जरिये प्रभावित करने का आरोप भी है। राज्य के कई इलाकों से शिकायतें हैं कि उन्होंने जिस पार्टी को वोट दिया था, उसकी बजाय भाजपा का प्रत्याशी उन क्षेत्रों में जीता है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के नेता प्रशांत सुदामराव जगताप ने कहा है कि इंडिया गठबंधन ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में ईवीएम और वीवीपैट मशीनों के साथ कथित छेड़छाड़ को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है। यह पहला मौका नहीं है जब केंद्रीय चुनाव आयोग इतने बड़े विवाद में आया है। आयोग की छवि बचाने के लिए भाजपा अपनी पेशबंदी में जुट गई हैं।

उन्होंने कहा कि मंगलवार रात एनसीपी (एससीपी) प्रमुख शरद पवार, सुप्रिया सुले, आप संयोजक अरविंद केजरीवाल, आप के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी के बीच हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में यह फैसला लिया गया। उन्होंने कहा कि इंडिया गठबंधन को सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा है। उसे उम्मीद है कि अदालत "महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हुए घोटाले" के संबंध में उनके पक्ष में फैसला देगी।

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जगताप ने बताया कि "शरद पवार के आवास पर हुई बैठक में हमने भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन को जिताने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है। इसमें वोट संख्या, प्रतिशत में बढ़ोतरी और ईवीएम-वीवीपैट से छेड़छाड़ का मुद्दा भी शामिल है। महाराष्ट्र में इंडिया गठबंधन के सभी दल कोर्ट जाएंगे। हमें सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा है और हम उम्मीद करते हैं कि सुप्रीम कोर्ट हमारे पक्ष में और घोटाले के खिलाफ फैसला सुनाएगा। " 

सुप्रिया सुले ने इस बैठक की पुष्टि करते हुए एक्स पर लिखा कि उनके पिता के आवास पर हुई बैठक में वो भी शामिल थीं। सुप्रिया सुले ने लिखा- "अरविंद केजरीवाल जी, संजय सिंह जी और एनसीपी (सपा) के सांसदों, विधायकों और विधानसभा उम्मीदवारों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक माननीय पवार साहब के साथ हुई। देश को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श किया और आगे बढ़ने के लिए एक रणनीतिक रास्ता तैयार किया।"
महाराष्ट्र में चल रहे घटनाक्रम से चुनाव आयोग बौखलाया हुआ है। मरकडवाड़ी की पंचायत ने जब बैलेट से चुनाव करना चाहा तो चुनाव आयोग ने वहां पुलिस लगवा कर उस गतिविधि को रुकवा दिया। बाद में पुलिस ने गांव वालों को परेशान करने के लिए एफआईआर दर्ज कर ली। हालांकि मरकडवाड़ी में बैलेट से चुनाव का कोई वैधानिक महत्व नहीं था। लेकिन पोल खुलने के डर संबंधित पक्ष डर गए और पुलिस के बल पर गांव वालों को चुप करा दिया। अब महाराष्ट्र के चुनाव अधिकारी से लेकर भाजपा नेता तक चुनाव आयोग के समर्थन में बयान देते फिर रहे हैं।
महाराष्ट्र के अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी किरण कुलकर्णी ने कहा कि ईवीएम को हैक नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि ईवीएम में इस्तेमाल होने वाले चिप्स एक बार प्रोग्राम करने योग्य होते हैं, जिससे छेड़छाड़ असंभव है। कुलकर्णी ने कहा- "मैं यह पूरी जिम्मेदारी के साथ कहता हूं, ईवीएम को हैक नहीं किया जा सकता। ईवीएम के साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। इसका एक सरल कारण है। सबसे पहले, यह एक स्टैंडअलोन मशीन है...किसी भी नेटवर्क या बाहरी गैजेट से कोई संबंध नहीं है। इसलिए, हैकिंग या छेड़छाड़ संभव नहीं है। दूसरा, इसमें इस्तेमाल की गई चिप एक बार प्रोग्राम करने योग्य है, इसलिए कोई रीप्रोग्रामिंग नहीं हो सकती है।''

उन्होंने कहा कि ईवीएम के बारे में गलतफहमी की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि भारत का चुनाव आयोग (ईसीआई) एक प्रक्रिया तय करता है जो मतदाता सत्यापन योग्य पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) गिनती और ईवीएम के माध्यम से एक उम्मीदवार को प्राप्त वोटों के मिलान की अनुमति देता है।

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इससे पहले, मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) एस चोकलिंगम ने मंगलवार को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की वैधता के संबंध में विपक्ष के आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि वीवीपीएटी के बीच "कोई बेमेल" नहीं पाया गया। उनके संबंधित ईवीएम नंबरों के साथ पर्चियों का मिलान किया गया। सभी सही थीं।

उधर, भाजपा ने ईवीएम के समर्थन और केंद्रीय चुनाव आयोग की छवि बचाने के लिए बयानबाजी शुरू कर दी है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और शिवसेना नेता मिलिंद देवड़ा ने विपक्ष की इस बात के लिए निन्दा की है कि वो इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जा रहा है। दोनों नेताओं ने कहा कि विपक्ष जब हारता है तो ईवीएम को दोष देता है और जब जीतता है तो चुप रहता है। हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी ने कहा कि अभी जब आम आदमी पार्टी दिल्ली का चुनाव हारेगी तो फिर ईवीएम को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में होने हैं। 
(इस रिपोर्ट का संपादन यूसुफ किरमानी ने किया)
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क़मर वहीद नक़वी
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