कुछ अहम मुद्दों पर राज्यसभा में नियम 267 के तहत बहस को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तक़रार इतनी बढ़ी कि बात उपराष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास तक पहुंच गई। विपक्ष का कहना है कि उसके पास इसके अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। मोदी सरकार राज्यसभा में नियम 267 के तहत किसी भी मुद्दे पर चर्चा करने को तैयार नहीं है। यही वजह है कि उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति इस नियम के तहत किसी भी मुद्दे पर चर्चा की मंजूरी नहीं दे रहे। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर मोदी सरकार राज्यसभा में नियम 267 के तहत चर्चा से क्यों भाग रही है?
राज्यसभा में नियम 267 के तहत चर्चा से क्यों भाग रही है मोदी सरकार?
- विश्लेषण
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- यूसुफ़ अंसारी
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- 11 Dec, 2024


यूसुफ़ अंसारी
राज्यसभा में नियम 267 के तहत चर्चा कराने की विपक्ष की मांग को खारिज क्यों किया जा रहा है? आख़िर नियम 267 में ऐसा क्या है कि मोदी सरकार इसके लिए तैयार नहीं है?
मोदी के कार्यकाल में सिर्फ एक बार चर्चा
2014 में मोदी सरकार बनने के बाद राज्यसभा में सिर्फ एक बार नियम 267 के तहत चर्चा हुई है। नवंबर 2016 में 'नोटबंदी' लागू होने के बाद तत्कालीन उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी ने इस मुद्दे पर नियम 267 के तहत राज्यसभा में चर्चा कराई थी। उनके बाद उपराष्ट्रपति बने बीजेपी के वरिष्ठ नेता एम वेंकैया नायडू ने अपने 5 साल के कार्यकाल में एक बार भी नियम 267 के तहत किसी भी मुद्दे पर चर्चा की मंजूरी नहीं दी। मौजूदा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी अपने ढाई साल के कार्यकाल में इस नियम के तहत एक बार भी किसी मुद्दे पर चर्चा नहीं कराई है। बल्कि वह तो इस नियम के इस्तेमाल को लेकर विपक्ष पर कई बार बेहद तल्ख़ टिप्पणी कर चुके हैं।
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