कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने शनिवार को आरोप लगाया था कि "(निवर्तमान) गृह मंत्री (अमित शाह) डीएम/कलेक्टरों को फोन कर रहे हैं। अब तक, उन्होंने उनमें से 150 से बात की है। यह स्पष्ट और निर्लज्ज धमकी है, जिससे पता चलता है कि भाजपा कितनी हताश है। लोगों की इच्छाओं का सम्मान होना चाहिए। 4 जून को मोदी, शाह और भाजपा बाहर हो जाएंगे, और इंडिया जनबंधन विजयी होगा। अधिकारियों को किसी भी दबाव में नहीं आना चाहिए और संविधान को बनाए रखना चाहिए।" जयराम रमेश के इस गंभीर आरोप का अमित शाह ने तो संज्ञान नहीं लिया लेकिन चुनाव आयोग ने जरूर लिया।
केंद्रीय चुनाव आयोग ने रविवार को कहा कि किसी भी अधिकारी ने किसी भी "अनुचित प्रभाव" की सूचना नहीं दी है। आयोग ने विपक्ष के नेता जयराम रमेश से इस बारे में जानकारी मांगी है। आयोग ने रविवार शाम 7 बजे तक जानकारी मांगी है, ताकि कार्रवाई की जा सके।
चुनाव आयोग का कहना है कि एक वरिष्ठ नेता होने के नाते, जयराम रमेश ने तथ्यों के आधार पर सार्वजनिक बयान दिया होगा जिन्हें वे सच मानते होंगे।
आयोग ने जयराम रमेश को कम और अपनी सफाई को विस्तार देते हुए लिखा है कि "इस संबंध में यह ध्यान रहे कि आदर्श आचार संहिता लागू होने की वजह से सभी अधिकारी आयोग की प्रतिनियुक्ति (डेपुटेशन) के अधीन हैं और किसी भी निर्देश के लिए सीधे आयोग को रिपोर्ट करते हैं। हालांकि, किसी भी डीएम ने ऐसे किसी भी अनुचित प्रभाव की सूचना नहीं दी है जैसा कि आरोप लगाया गया है। जैसा कि आप जानते हैं, वोटों की गिनती की प्रक्रिया प्रत्येक आरओ (निर्वाचन अधिकारी) का कर्तव्य है और आपके (जयराम रमेश) इस तरह के सार्वजनिक बयान संदेह पैदा करते हैं। व्यापक सार्वजनिक हित में इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।"
आयोग ने जयराम रमेश को लिखा है कि "एक राष्ट्रीय पार्टी के एक जिम्मेदार, अनुभवी और बहुत वरिष्ठ नेता होने के नाते आपको मतगणना के दिन से ठीक पहले, उन तथ्यों/सूचना के आधार पर ऐसा सार्वजनिक बयान देना चाहिए, जिन्हें आप सच मानते हैं। अनुरोध है कि 150 डीएम का विवरण दीजिए, जिन्हें गृह मंत्री ने कथित तौर पर कॉल किया है। उन्हें तथ्यात्मक आधार के साथ आज यानी 2 जून, 2024 को शाम 7 बजे तक साझा किया जाए, ताकि उचित कार्रवाई की जा सके।''
अमित शाह पर जयराम रमेश के आरोपों पर केंद्रीय चुनाव आयोग की सफाई चौंकाने वाली है। अमित शाह ने जयराम रमेश के आरोप का खंडन नहीं किया। लेकिन चुनाव आयोग सफाई दे रहा है कि ऐसा कुछ भी अनुचित नहीं हुआ और न ही किसी अफसर ने ऐसा कुछ बताया है। जाहिर सी बात है कि कौन सा डीएम/कलेक्टर इसकी पुष्टि करेगा। लेकिन यह सफाई या खंडन अमित शाह की तरफ से आना चाहिए था, क्योंकि जयराम रमेश के निशाने पर अमित शाह थे। यह बात सही है कि सभी डीएम/कलेक्टर चुनाव में जिला निर्वाचन अधिकारी बन जाते हैं और सीधे चुनाव आयोग के नियंत्रण में रहते हैं लेकिन जब कांग्रेस अमित शाह को टारगेट कर रही है तो उसमें चुनाव आयोग कहां से आ गया।
केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने अमित शाह का बचाव करते हुए कहा कि "भारत के गृह मंत्री किसी जिला अधिकारी या उपमंडल अधिकारी से बात नहीं करते हैं। गृह मंत्री किसी राज्य के मुख्यमंत्री से बात करते हैं।"
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