कोरोना संकट ने बड़ी संख्या में लोगों के सामने भूख का संकट खड़ा कर दिया है और यही स्थिति राशन के लिए लगने वाली लंबी-लंबी लाइनों में दिख रही है। यह संकट इसलिए आया क्योंकि एक तो बड़ी संख्या में लोगों की नौकरियाँ गईं, जिनकी नौकरी बची भी उनकी तनख्वाह कम हो गई, दूसरी आमदनी पर निर्भर लोगों की आय भी घटी और जो कुछ रुपये बचत के थे वे बीमारों के इलाज में खर्च हो गए। कई लोगों को अब मुश्किल से ही काम मिलता है और ऐसे में पूरे परिवार का ख़र्च चलाना मुश्किल हो जाता है।
आर्थिक संकट: मध्य वर्ग भी राशन की लाइनों में लगने के लिए मजबूर!
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- 15 Jul, 2021
कोरोना संकट ने बड़ी संख्या में लोगों के सामने भूख का संकट खड़ा कर दिया है और यही स्थिति राशन के लिए लगने वाली लंबी-लंबी लाइनों में दिख रही है।

मध्य वर्ग की कैसी स्थिति है, यह सेंटर फॉर मॉनिटरिंग द इंडियन इकोनॉमी यानी सीएमआईई के आँकड़ों से भी पता चलता है। सीएमआईई की रिपोर्ट के अनुसार सिर्फ़ मई महीने में 1.5 करोड़ से अधिक भारतीयों की नौकरी चली गई। मई ही वह महीना था जब कोरोना की दूसरी लहर चरम पर थी। हर रोज़ 4 लाख से भी ज़्यादा केस आने लगे थे। अस्पतालों में बेड, दवाइयाँ और ऑक्सीजन जैसी सुविधाएँ भी कम पड़ गई थीं। ऑक्सीजन समय पर नहीं मिलने से बड़ी संख्या में लोगों की मौतें हुई थीं। अस्पतालों में तो लाइनें लगी ही थीं, श्मशानों में भी ऐसे ही हालात थे। इस बीच गंगा नदी में तैरते सैकड़ों शव मिलने की ख़बरें आईं और रेत में दफनाए गए शवों की तसवीरें भी आईं।