पेगासस सॉफ़्टवेअर के ज़रिए ग़ैरक़ानूनी जासूसी पर तहलका मचा हुआ है, जिसके निशाने पर भारत में पत्रकार ही नहीं, विपक्ष और अब मंत्री बन चुके सरकार के लोग भी थे।
जासूसी के आरोप में गिर गई थी चंद्रशेखर की सरकार!
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- 22 Jul, 2021
जासूसी पहली बार नहीं हुई, अंतर सिर्फ इतना है कि प्रौद्योगिकी बदल जाने से इसका स्वरूप बदल गया है। यह पहले से अधिक सूक्ष्म, घातक और गोपनीय बन गया है, इसे पकड़ना पहले से ज़्यादा मुश्किल हो गया है।

लेकिन इस तरह की जासूसी पहली बार नहीं हुई, अंतर सिर्फ इतना है कि प्रौद्योगिकी बदल जाने से इसका स्वरूप बदल गया है। यह पहले से अधिक सूक्ष्म, घातक और गोपनीय बन गया है, इसे पकड़ना पहले से ज़्यादा मुश्किल हो गया है।
पेगासस सॉफ़्टवेअर का इस्तेमाल कर फ़ोन में एक लिंक भेजा जाता है कि जिससे सॉफ्टवेअर इंस्टॉल हो जाता है और उसके बाद वह सॉफ़्टवेअर उस फ़ोन के सर्वर पर क़ब्ज़ा कर लेता है।
उस फ़ोन के टेक्स्ट, वॉयस कॉल, मैसेज, ई-मेल, फोटो, कैलेंडर यहां तक कि कैमरा व माइक्रोफ़ोन पर भी उसका नियंत्रण हो जाता है। इंस्टॉल होने के बाद इसका पता नहीं चलता है और उसे वहाँ से हटाना बेहद मुश्किल काम होता है।