पेगासस सॉफ़्टवेअर के ज़रिए ग़ैरक़ानूनी जासूसी पर तहलका मचा हुआ है, जिसके निशाने पर भारत में पत्रकार ही नहीं, विपक्ष और अब मंत्री बन चुके सरकार के लोग भी थे।
लेकिन इस तरह की जासूसी पहली बार नहीं हुई, अंतर सिर्फ इतना है कि प्रौद्योगिकी बदल जाने से इसका स्वरूप बदल गया है। यह पहले से अधिक सूक्ष्म, घातक और गोपनीय बन गया है, इसे पकड़ना पहले से ज़्यादा मुश्किल हो गया है।
पेगासस सॉफ़्टवेअर का इस्तेमाल कर फ़ोन में एक लिंक भेजा जाता है कि जिससे सॉफ्टवेअर इंस्टॉल हो जाता है और उसके बाद वह सॉफ़्टवेअर उस फ़ोन के सर्वर पर क़ब्ज़ा कर लेता है।
उस फ़ोन के टेक्स्ट, वॉयस कॉल, मैसेज, ई-मेल, फोटो, कैलेंडर यहां तक कि कैमरा व माइक्रोफ़ोन पर भी उसका नियंत्रण हो जाता है। इंस्टॉल होने के बाद इसका पता नहीं चलता है और उसे वहाँ से हटाना बेहद मुश्किल काम होता है।
पहले ऑफ़ लाइन जासूसी होती थी, 'बग' लगा दिए जाते थे, टेलीफोन टैप किए जाते थे, ई-मेल हैक किए जाते थे और फ़ीजिकल या मानवीय जासूसी का सहारा लिया जाता था।
पर मक़सद वही था जो आज है-निगरानी रखना और टारगेट के बारे में जानकारी एकत्रित करना और वह भी ग़ैरक़ानूनी तरीके से।
वी. के. सिंह
तत्कालीन थल सेना प्रमुख जनरल वी. के. सिंह पर आरोप लगा था कि उन्होंने सेना के अंदर अपने विरोधियों पर नज़र रखने के लिए उपकरण लगवा दिए थे। यह काम सेना के खर्च पर और बग़ैर पूर्व अनुमति के करने का आरोप भी लगाया गया था। वी. के. सिंह ने इससे इनकार किया था और इन आरोपों को साबित नहीं किया जा सका था।
राडिया टेप
इसके पहले 2008 में नीरा राडिया टेप कांड हुआ था। वे कॉरपोरेट लॉबीइस्ट थीं। एक उद्योगपति के साथ उनकी लंबी बातचीत को टेप कर लिया गया था और उस टेप को लीक कर दिया गया था।
अमर सिंह टेप
लगभग इसी समय समाजवादी पार्टी के तत्कालीन नेता और अब दिवंगत अमर सिंह की टेलीफोन पर बातचीत को भी टेप कर लिया गया था। लेकिन उसे सार्वजनिक किया जाता उसके पहले वे अदालत से इस पर रोक लगवाने में कामयाब रहे।
टाटा टेप
इसके पहले उद्योगपति रतन टाटा, केशव महिंद्रा और नु्स्ली वाडियो की बातचीत को भी टेप करने का आरोप लगा था। उस बातचीत में रतन टाटा यह कहते हुए पाए गए थे कि असम के उग्रवादी संगठन उल्फ़ा से टाटा टी के चाय बागानों में वसूली किए जाने से वे परेशान थे।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री का इस्तीफ़ा
साल 1998 में ऑडियो टेप उजागर होने के बाद कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री रामकृष्ण हेगड़े को इस्तीफ़ा देना पड़ा था।
राजीव गांधी की जासूसी?
तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष व विपक्ष के नेता राजीव गांधी की जासूसी कराने के आरोप में चंद्रशेखर की सरकार गिर पड़ी थी। राजीव गांधी की जासूसी के लिए दो पुलिस वालों की तैनाती का आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया था और चंद्रशेखर को इस्तीफ़ा देना पड़ा था।
साल 2011 में यह आरोप लगा था कि तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के दफ़्तर में किसी ने 'बग' लगा दिया और उनकी सारी बातें टेप होती रही थीं।
क्या है पेगासस प्रोजेक्ट?
फ्रांस की ग़ैरसरकारी संस्था 'फ़ोरबिडेन स्टोरीज़' और 'एमनेस्टी इंटरनेशनल' ने लीक हुए दस्तावेज़ का पता लगाया और 'द वायर' और 15 दूसरी समाचार संस्थाओं के साथ साझा किया। इसका नाम रखा गया पेगासस प्रोजेक्ट।
'द गार्जियन', 'वाशिंगटन पोस्ट', 'ला मोंद' ने 10 देशों के 1,571 टेलीफ़ोन नंबरों के मालिकों का पता लगाया और उनकी छानबीन की। उसमें से कुछ की फ़ोरेंसिक जाँच करने से यह निष्कर्ष निकला कि उनके साथ पेगासस स्पाइवेअर का इस्तेमाल किया गया था।
इस सूची में भारत के 300 से ज़्यादा लोगों के नाम हैं। इनमें से 40 पत्रकार हैं।
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