क्या देश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर आ गई है? विशेषज्ञ और जानकार जो भी राय दें, लेकिन हालात क्या हैं यह ख़ुद ही जान लीजिए। हर रोज़ आने वाले संक्रमण के मामले क़रीब 10 हज़ार से बढ़कर अब 23 हज़ार से ज़्यादा हो गए हैं। कोरोना पॉजिटिव एक्टिव मामले जहाँ 1 लाख 37 हज़ार पहुँच गए थे वे अब बढ़कर 1 लाख 97 हज़ार से ज़्यादा हो गए हैं। पहले जहाँ ठीक होने वाले मरीज़ों की संख्या नये कोरोना पॉजिटिव वालों की संख्या से ज़्यादा थी वहीं अब नये कोरोना पॉजिटिव मरीज़ों की संख्या ज़्यादा हो गई है। और तो और देश के कई ज़िलों में सख़्त लॉकडाउन लगा दिया गया है और महाराष्ट्र सहित कुछ राज्यों ने पूरे राज्य में ही लॉकडाउन लगाने की चेतावनी भी दे दी है।
अब तक माना जाता रहा है कि देश में कोरोना की दूसरी लहर नहीं आई है। अधिकतर ज़िलों में भी अभी तक दूसरी लहर नहीं आई है। कुछ राज्यों के बारे में कहा गया था कि वहाँ दूसरी लहर आ गई थी। हालाँकि यह भी बात छिट-पुट तरीक़े से मीडिया रिपोर्टों में ही कही गई थी। लेकिन अब जो संक्रमण का रुझान दिख रहा है वह संक्रमण की दूसरी स्थिति की ओर इशारा करता है।
और इसीलिए सवाल उठता है कि क्या देश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर आ गई है? उस तरह की जैसी अमेरिका और यूरोप के कई देशों में दूसरी लहर आई थी।
अमेरिका, ब्राज़ील, इंग्लैंड, स्पेन, इटली, फ्रांस, रूस जैसे यूरोपीय देश में बड़ी ख़तरनाक स्थिति दिखी थी।
ये वे देश हैं जहाँ पहली लहर आने के बाद पूरे देश में लॉकडाउन किया गया था और ज़िंदगियाँ थम सी गई थीं। लेकिन जब हालात सुधरे तो स्थिति ऐसी आ गई कि कई देशों में स्कूल तक खोल दिए गए और स्थिति सामान्य सी लगने लगी। लेकिन जब संक्रमण की दूसरी लहर आई तो फिर से कई देशों में लॉकडाउन लगाना पड़ा। पहले से भी ज़्यादा सख़्त। इंग्लैंड जैसे यूरोपीय देश इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं। अमेरिका में तो जब दूसरी लहर आई तो हर रोज़ संक्रमण के मामले कई गुना ज़्यादा हो गए। पहली लहर में जहाँ हर रोज़ सबसे ज़्यादा संक्रमण के मामले क़रीब 75 हज़ार के आसपास थे तो दूसरी लहर में हर रोज़ संक्रमण के मामले 3 लाख से भी ज़्यादा आ गए।
ये वे देश हैं जो निश्चिंत हो गए थे कि स्थिति अब संभल गई है और लोगों ने मास्क उतारकर फेंक दिए थे। उसके नतीजे भी उन्हें भुगतने पड़े।
अब भारत में स्थिति बदलने लगी है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि पिछले 24 घंटे में देश में 23 हज़ार 285 कोरोना संक्रमण के मामले आए हैं।
इससे एक दिन पहले 22 हज़ार 854 मामले सामने आए थे। दो महीने बाद इतना ज़्यादा मामले आए। इससे पहले कई दिनों तक क़रीब 18 हज़ार संक्रमण के मामले आते रहे थे। पिछले 9-10 फ़रवरी से हर रोज़ लगातार संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं। संक्रमण के सक्रिए मामले भी फ़रवरी के मध्य से बढ़ते चले गए। 'वर्ल्ड ओ मीटर्स इंफो' के आँकड़ों के अनुसार कोरोना के ठीक होने वाले मरीज़ों की संख्या क़रीब 11 हज़ार है तो नये संक्रमण के मामले 21 हज़ार से ज़्यादा।
24 घंटे में जितने भी ताज़ा मामले सामने आए हैं उनमें से 85 फ़ीसदी मामले 6 राज्यों- महाराष्ट्र, केरल, पंजाब, कर्नाटक, गुजरात और तमिलनाडु में आए हैं। महाराष्ट्र में क़रीब 13 हज़ार, केरल में 2400, पंजाब में 1400, कर्नाटक में 800 और गुजरात में 700 नए केस सामने आने लगे हैं। देश की राजधानी में भी कोरोना संक्रमण के मामले फिर बढ़ने लगे हैं। गुरुवार को 400 से ज़्यादा नए केस सामने आए थे।
पॉजिटिविटी दर बढ़ गई
पॉजिटिविटी रेट यानी संक्रमित पाए जाने वाले मरीज़ों की दर बढ़ गई है। इसे आसान भाषा में कहें तो कोरोना जाँचने के लिए जितने भी लोगों के सैंपल लिए गए उसमें से जितने लोग संक्रमित पाए गए उसकी दर बढ़ गई है। मिसाल के तौर पर यदि 100 लोगों के सैंपल लिए गए और 5 लोगों में कोरोना की पुष्टि हुई तो इसका मतलब है कि पॉजिटिविटी रेट 5 फ़ीसदी है।
पहले पॉजिटिविटी दर औसत रूप से जहाँ 1.6 फ़ीसदी तक गिर गई थी वह अब 2.6 फ़ीसदी हो गई है। यानी यह दर बढ़ रही है। हालाँकि विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि यह दर 5 फ़ीसदी से नीचे रहनी चाहिए।
कोरोना संक्रमण के मामले काफ़ी तेज़ी से बढ़ने लगे हैं तो सवाल है कि कहीं अमेरिका और इंग्लैंड जैसी स्थिति तो नहीं हो जाएगी जहाँ दूसरी लहर आई थी तो कोरोना पूरी तरह अनियंत्रित हो गया था। हालाँकि इस बारे में कुछ भी साफ़ तौर पर नहीं कहा जा सकता है। लेकिन अब स्थितियाँ थोड़ी अलग हैं।
एक तो यह कि कोरोना वैक्सीन आ चुकी है और दूसरी हर्ड इम्युनिटी भी काफ़ी हद तक विकसित हो चुकी है। हर्ड इम्युनिटी से मतलब है कि इतनी बड़ी जनसंख्या में कोरोना के ख़िलाफ़ एंटी बॉडी बन जाना कि फिर कोरोना के फैलने का ख़तरा ही नहीं रहे। सामान्य तौर पर माना जाता है कि यदि किसी देश की जनसंख्या में 60-70 फ़ीसदी लोगों में हर्ड इम्युनिटी विकसित हो जाए तो फिर कोरोना फैल नहीं पाएगा। कई शहरों में कराए गए सीरो सर्वे की रिपोर्टों में कहा गया है कि देश में 50-55 फ़ीसदी लोगों में हर्ड इम्युनिटी विकसित हो चुकी है। हर्ड इम्युनिटी विकसित करने में कोरोना वैक्सीन भी सहायक हो सकती है, लेकिन इतनी बड़ी आबादी को वैक्सीन लगाने में समय लगेगा।
इस सबके बावजूद एक बड़ी चुनौती यह है कि कोरोना के नये स्ट्रेन यानी नये रूप में कोरोना आ चुका है। इस पर वैक्सीन और हर्ड इम्युनिटी कैसे असर करती है, इसे जानने में समय लगेगा।
अपनी राय बतायें