कोरोना महामारी की इस दूसरी लहर ने शुरुआती दिनों में ही ऐसे दुर्दिन दिखा दिए हैं, जिनकी कल्पना शायद लोगों ने कभी नहीं की थी। क्योंकि वैक्सीन आ चुकी थी, टीकाकारण शुरू हो गया था और कोरोना के मामले 20 हज़ार से नीचे आ रहे थे। लेकिन अचानक ही पिछले डेढ़ महीने में कोरोना संक्रमण का आंकड़ा दो लाख तक पहुंच गया।
बीते एक हफ़्ते से देश के कई शहरों में कोहराम मचा हुआ है। दिल्ली से लेकर लखनऊ और रायपुर के श्मशान घाटों पर लंबी लाइन लग रही है। पहले अस्पतालों में जगह, बेड्स, आईसीयू, वेंटिलेटर नहीं हैं और जब इन सबके बिना किसी की मौत हो जाए जो श्मशानों और कब्रिस्तानों में अंतिम संस्कार के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है।
दिल्ली की बात करें तो यहां निगमबोध घाट पर हर दिन 30 से ज़्यादा अंतिम संस्कार हो रहे हैं। एनडीटीवी के मुताबिक़, 27 साल के गौतम के दादा की मौत रविवार रात को हुई थी और वे सुबह 8.30 बजे निगमबोध घाट पर उनका शव लेकर पहुंचे थे लेकिन पांच घंटे बाद भी अंतिम संस्कार नहीं हो सका था। और इसके पीछे वजह जगह की कमी होने की थी। गौतम ने कहा कि यहां हालात बेहद ख़राब हैं और हर एंबुलेंस में 2-3 डेड बॉडी आ रही हैं।
क्रबिस्तान में हालात बदतर
दिल्ली के सबसे बड़े क्रबिस्तान में भी इन दिनों पहले के मुक़ाबले ज़्यादा गढ्ढे खोदे जा रहे हैं लेकिन यहां भी जगह ख़त्म होती जा रही है। यह क्रबिस्तान आईटीओ के नज़दीक है। कब्रिस्तान का प्रबंधन देखने वाले मोहम्मद शमीम एनडीटीवी से कहते हैं, “पहले दिन में एक या दो शव आते थे लेकिन अब हर दिन 17 शव आ रहे हैं और पिछले पांच दिनों में हालात बदतर हुए हैं।”
शमीम बताते हैं कि उनके पास अब सिर्फ़ 90 शवों के लिए ही गढ्ढे खोदने की जगह है और अगर हालात यही रहे तो अगले 10 दिन के अंदर जगह ख़त्म हो जाएगी।
नये शवदाह गृह बनाने की ज़रूरत
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में हालात बदतर हैं। रायपुर के श्मशान घाट के प्रबंधक ने एनडीटीवी को बताया कि हर दिन यहां 10 शव आ रहे हैं और एक दिन यह आंकड़ा 16 तक पहुंच गया था। रायपुर के डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल में शवों को रखने की जगह ख़त्म हो गयी है और कुछ दिन पहले यहां 1 दिन में 50 मौतें हुई हैं। हालात इतने ख़राब हैं कि राज्य सरकार ने रायपुर नगर निगम से कहा है कि वह सात दिनों के अंदर विद्युत शवदाह गृहों के टेंडर निकाले और 6 नये शवदाह गृह जल्द बनाए।
भोपाल में भी हालात ख़राब
यही हाल भोपाल का है जहां श्मशान घाट ओर कब्रिस्तान में पहले से कहीं ज़्यादा लाशें पहुंच रही हैं। इस वजह से कब्रिस्तान में जगह और श्मशान घाटों में लकड़ियों की कमी होने लगी है। लोगों को श्मशान घाटों और क्रबिस्तान में अपने परिजनों की अंतिम क्रिया के लिए इंतजार करना पड़ रहा है।
लखनऊ के हालात
लखनऊ का वो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें एक ही साथ कई चिताएं जल रही हैं। यहां के बैकुंठ धाम और भैंसा गृह में हालात बेहद ख़राब हैं। शवदाह के लिए लकड़ियां ख़त्म हो चुकी हैं हालांकि प्रशासन कह रहा है कि ऐसा नहीं है। यही हाल कई कब्रिस्तानों का भी है और वहां बीते कुछ दिनों में बड़ी संख्या में शव आ रहे हैं और गड्ढे खोदने का काम जारी है।
सूरत के हाल
सूरत के जहागिरपुरा शवदाह गृह के बाहर से आई एक फ़ोटो से पता चलता है कि यहां हालात कितने ख़राब हैं। शवदाह गृह के बाहर एंबुलेंस की कतार लगी हुई है और इनमें लाशें रखी हुई हैं।
टीओआई के मुताबिक़, वडाज स्थित शवदाह गृह में पहले जहां 4 से 5 शव रोज आते थे, वहां अब 20 शव आ रहे हैं और ऐसा बीते कई दिनों से हो रहा है। इस शवदाह गृह के बाहर भी अंतिम संस्कार के लिए लंबी लाइनें लग रही हैं।
हालात ये हैं कि यहां इस्तेमाल होने वाली चिमनी तक पिघलनी शुरू हो चुकी हैं क्योंकि ये दिन भर जलती रहती हैं। सूरत के मोरा भागल कब्रिस्तान में गड्ढे खोदने के लिए बड़ी मशीन लाई गई है। यहां मंगलवार को कोरोना के कारण मुसलिम समुदाय के 22 लोगों की मौत हुई है।
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