डॉ. हर्षवर्धन ने शुक्रवार को कहा था कि सबसे पहले हेल्थकेयर और फ़्रंटलाइन वर्कर्स को टीका लगाया जाएगा। तीन जनवरी को ही ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया यानी डीसीजीआई ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया और भारत बायोटेक के टीके को मंजूरी दी है। हालाँकि, भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को 'क्लिनिकल ट्रायल मोड' में ही अनुमति दी गई है और कहा जा रहा है कि फ़िलहाल इसको बैक-अप के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा।
कोरोना टीकाकरण की तैयारियों के लिए 2 जनवरी को पूरे देश में ड्राई रन आयोजित किया गया था। दूसरा राष्ट्रव्यापी ड्राई रन 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 736 ज़िलों में आयोजित किया गया था। 28 दिसंबर को भी चार राज्यों में दो दिन के लिए ड्राई रन किया गया था।
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नये क़िस्म के कोरोना को लेकर चिंता
नये क़िस्म के कोरोना पर यदि मौजूदा वैक्सीन बेअसर हुई तो वायरस के संक्रमण पर नियंत्रण कैसे होगा? दरअसल, दक्षिण अफ्रीका में जो नये क़िस्म का कोरोना पाया गया है उसके बारे में वैज्ञानिकों को संदेह है कि मौजूदा वैक्सीन कारगर साबित नहीं होगी। ऐसे में क्या नये सिरे से वैक्सीन की ज़रूरत होगी? और जब तक नयी वैक्सीन नहीं बन जाती है तब तक क्या दुनिया भर में कोरोना का खौफ पहले जैसे हो जाएगा? ब्रिटिश स्वास्थ्य सचिव मैट हैंकॉक ने कहा है कि दक्षिण अफ्रीका में पहचानी जाने वाली कोरोना की नयी क़िस्म ब्रिटेन में मिले नये क़िस्म के कोरोना से ज़्यादा संक्रामक है यानी यह एक बड़ा ख़तरा है।
ब्रिटेन में जो नये क़िस्म का कोरोना संक्रमण मिला है वही अब भारत में भी फैलने लगा है। अब तक कम से कम 90 ऐसे मामले भारत में भी आ चुके हैं। इससे यह आशंका होती है कि कहीं भारत में स्थिति न बिगड़ जाए! इसलिए देश में अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है। हालाँकि वैज्ञानिकों ने कहा है कि ब्रिटेन में जो नये क़िस्म का कोरोना फैला है उस पर मौजूदा वैक्सीन प्रभावी होगी, लेकिन दक्षिण अफ्रीका के बारे में संदेह है।
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