क्या कोरोना वैक्सीन लेने से आप भी झिझक रहे हैं? यदि ऐसा है तो क्यों? क्या आपके मन में यह सवाल है कि वैक्सीन लगवाने के बाद भी कोरोना संक्रमण हो सकता है तो वैक्सीन लेकर भी क्या फायदा? क्या बुखार और कमजोरी का डर है? कहीं आपने वाट्सऐप पर ऐसा संदेश तो नहीं पाया कि वैक्सीन लेने वालों में से कई लोगों की मौत हो जा रही है? या फिर यह आशंका तो नहीं है कि वैक्सीन लेने से नपुंसक हो जाएँगे?
यदि वैक्सीन के साइड इफ़ेक्ट को लेकर इस तरह के सवाल आपके मन में हैं और ऐसी कोई हिचक है तो संभव है कि इस रिपोर्ट में आपके संदेह दूर हो जाएँ और आपके सवालों के जवाब मिल जाएँ।
क्या वैक्सीन से नपुंसक हो सकते हैं?
इसका जवाब तो सबसे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ से ही जानिए। डब्ल्यूएचओ की प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन का कहना है कि यह एक मनगढ़ंत विचार है। उन्होंने कहा कि वैक्सीन से नपुंसक होने का कोई भी वैज्ञानिक आधार नहीं है। न तो पुरुषों में और न ही महिलाओं में ही। उन्होंने कहा कि वैक्सीन किसी वायरस या बैक्टीरिया को नहीं मारती है और यह तो सिर्फ़ शरीर के इम्युन यानी प्रतिरक्षा प्रणाली को तैयार करने का काम करती है। यह बात एक शोध में भी साबित हो चुकी है। फाइज़र और मॉर्डना वैक्सीन को लेकर यूनिवर्सिटी ऑफ़ मियामी मिल्लर स्कूल ऑफ़ मेडिसीन स्टडी ने शोध किया है। शोध में पाया गया है कि कोरोना वैक्सीन के बाद भी पुरुष के स्पर्म काउंट यानी फर्टिलिटी पर कोई असर नहीं पड़ता है। शोध में 18-35 साल के 45 पुरुष शामिल थे। शोध दिसंबर 2020 में शुरू हुआ था और अप्रैल 2021 में यह ख़त्म हुआ। यानी यह आशंका बेबुनियाद है।
क्या वैक्सीन से मौत होती है?
कई लोगों में वैक्सीन से मौत होने का डर है। न्यूज़18 की रिपोर्ट के अनुसार यूपी के मथुरा में चौकीपुकरा गाँव में कई लोगों को यह डर है। आजतक की रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान, यूपी, बिहार के कई गाँवों और शहरों में भी लोगों ने वैक्सीन से मौत के प्रति डर जताया था। तो क्या इसमें सच्चाई है?
देश में अब तक 30 करोड़ से ज़्यादा लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है जिसमें से एक की मौत केंद्र सरकार ने वैक्सीन की वजह से होना माना है। जून के मध्य में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत आने वाली एडवर्स इवेंट्स फॉलोइंग इम्युनाइज़ेशन यानी एईएफ़आई कमेटी ने यह रिपोर्ट दी थी। रिपोर्ट के अनुसार 31 गंभीर दुष्परिणाम के मामलों का मूल्यांकन किया गया था। इसमें 28 लोगों की मौत हुई थी। इनमें से एक की मौत कोरोना वैक्सीन के दुष्परिणाम के कारण हुई है। 31 मार्च को एक 68 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई थी, जिन्होंने कोरोना वैक्सीन की दोनों खुराकें ली थीं। और बाक़ी लोगों की मौत दूसरे कारणों से हुई है।
इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि वैक्सीन के ख़तरे से ज़्यादा फ़ायदे हैं। यानी वैक्सीन लगवाने से मौत नहीं होती और कोरोना से लड़ने के लिए वैक्सीन ज़रूर लगवाएँ।
क्या वैक्सीन लेने से ख़ून का थक्का जमता है?
यूरोपीय देशों में ख़ून का थक्का जमने के जो मामले आए थे वह भी वैक्सीन के दुष्परिणामों में से एक है। हालाँकि इसके बारे में कहा गया कि लाखों लोगों में से एक में इस तरह के दुष्परिणाम सामने आए हैं। कुछ ऐसा ही भारत में आए दुष्परिणामों के बारे में भी कहा गया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय की कमिटी एडवर्स इवेंट फॉलोइंग इम्यूनाइजेशन यानी एईएफ़आई ने पिछले दिनों अध्ययन में पाया था कि भारत में प्रति दस लाख में 0.61 प्रतिशत लोगों में क्लॉटिंग यानी ख़ून जमने की समस्या आयी थी। पैनल ने कहा था कि उसने 700 में से 498 'गंभीर मामलों' का अध्ययन किया और पाया कि केवल 26 मामले थ्रोम्बोम्बोलिक मामले के रूप में रिपोर्ट किए गए थे। यानी ऐसा लाखों करोड़ों में किसी एक के साथ हो सकता है। लिहाज़ा डरने की ज़रूरत नहीं है।
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क्या वैक्सीन से बुखार आता है?
हो सकता है कि बुखार आए भी और नहीं भी। विशेषज्ञ कहते हैं कि कोरोना वैक्सीन जब शरीर में इम्युन यानी प्रतिरक्षा प्रणाली को तैयार करता है तो कई लोगों में बुखार हो सकता है। कई लोगों में कुछ भी लक्षण नहीं दिख सकता है और कई लोगों में हल्का बुखार। कुछ लोगों में शरीर में दर्द और सुई देने की जगह पर दर्द। हालाँकि बहुत कम ही मामलों में ज़्यादा तेज़ बुखार आता है। अधिकतर मामलों में दुष्परिणाम नहीं के बराबर होते हैं। दूसरी बीमारियों की वैक्सीन लेने पर भी इतने मामूली दुष्परिणाम सामने आते रहे हैं। इसलिये ज़्यादा चिंता न करें।
क्या वैक्सीन लेने के बाद भी संक्रमण हो सकता है?
संक्रमण हो सकता है। लेकिन अलग-अलग हालात में इसका असर अलग होगा। यदि आपने संक्रमण होने पर वैक्सीन ली है या वैक्सीन लेने के दौरान या अगले कुछ दिनों में संक्रमण हुआ हो तो वैक्सीन का असर उतना नहीं होता है। अब कई रिपोर्टों में यह बात सामने आ चुकी है कि कई वैक्सीन पहली खुराक लेने के दो हफ़्ते में कुछ सुरक्षा प्रदान करने लगती है। कुछ वैक्सीन 20 फ़ीसदी तो कुछ 30 या 40 फ़ीसदी तक सुरक्षा प्रदान कर सकती हैं। लेकिन वैक्सीन की दोनों खुराक लेने पर कोरोना होने का ख़तरा काफ़ी कम हो जाता है। कई ऐसे मामले आए हैं जिसमें वैक्सीन की दोनों खुराक लगने के बाद भी कोरोना संक्रमण हुआ है। लेकिन एक ख़ास अंतर यह है कि दोनों खुराक लेने वाले व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत नहीं पड़ती है। यानी मरीज़ की गंभीर स्थिति नहीं होती है। कोरोना से फिर शरीर काफ़ी बेहतर तरीक़े से लड़ता है।
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कोरोना होने के बाद क्या वैक्सीन ज़रूरी नहीं?
विशेषज्ञ कहते हैं कि कोरोना से ठीक होने के बाद भी वैक्सीन लेना ज़रूरी होता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि कोरोना से लड़ने के लिए शरीर में बनी एंटी-बॉडी कुछ समय तक ही मज़बूत होती है और दो-तीन महीने में फिर से संक्रमित होने का ख़तरा हो जाता है। ऐसे में कोरोना से ठीक होने के तुरंत बाद वैक्सीन लेने की ज़रूरत नहीं होती है। लेकिन 2-3 महीने में वैक्सीन को ले लेना बेहतर होगा।
क्या गर्भवती महिलाओं को दिक्कत है?
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को ही कहा है कि अब गर्भवती महिलाएँ भी कोरोना वैक्सीन लगवा सकती हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि उसने गर्भवती महिलाओं को कोरोना वैक्सीन लगाने से जुड़ी गाइडलाइंस जारी कर दी है। स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ़्रेंस में इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च के महानिदेशक डॉक्टर बलराम भार्गव ने कहा कि वैक्सीन गर्भवती महिलाओं के लिए उपयोगी है और इसे दिया जाना चाहिए। इससे पहले पिछले महीने ही घोषणा की गई थी कि अपने बच्चों को स्तनपान करवाने वाली महिलाएँ भी कोरोना टीका लगवा सकती हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ की प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन कहती हैं कि माँ और अजन्मे बच्चे के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए वैक्सीन लगाना चाहिए। वह कहती हैं कि न तो सुरक्षा को लेकर कोई बड़ी चिंता है और न ही उसके विपरीत परिणाम को लेकर। उन्होंने कहा है कि जहाँ कोरोना का ख़तरा ज़्यादा है वहाँ गर्भवती महिलाओं को वैक्सीन लगवाना ही चाहिए। उन्होंने कहा है कि वैक्सीन लेने के फ़ायदे ख़तरे से ज़्यादा हैं।
कुल मिलाकर कोरोना संक्रमण के जिस तरह के ख़तरे हैं उससे बचाव का फ़िलहाल वैक्सीन के अलावा कोई दूसरा उपाय नहीं है। इसीलिए तमाम विशेषज्ञ और जानकार कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन को बेहद ज़रूरी बता रहे हैं।
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