loader

वैक्सीन तो आई, पर चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था संभालेगी कैसे?

कोरोना की वैक्सीन आ गई। अब उम्मीदें पूरी होने जा रही हैं। इंग्लैंड में वैक्सीन लगनी शुरू भी हो गईं। भारत में भी वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंजूरी के लिए कम से कम तीन कंपनियों ने आवेदन कर दिया है। जल्द मंजूरी मिलने की उम्मीद है। तो क्या इसके साथ ही अब भारत की समस्या पूरी तरह ख़त्म हो गई? क्या 130 करोड़ देशवासियों के लिए वैक्सीन पहुँचाना कम चुनौती भरा काम है? इतनी वैक्सीन कब तक मिलेगी? कोरोना की वैक्सीन के लिए विशेष व्यवस्था चाहिए। कई कंपनियों की वैक्सीन के लिए -20 से -80 डिग्री तक तापमान चाहिए। दूर-दराज के क्षेत्रों में वैक्सीन कैसे पहुँचेगी? भारत में स्वास्थ्य व्यवस्था और सेवाएँ भी बेहद ख़राब हैं। 2019 के वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा सूचकांक के अनुसार 195 देशों में भारत 57वें स्थान पर था। ऐसे में सरकार के लिए एकाएक सभी लोगों के लिए वैक्सीन की व्यवस्था करना क्या आसान होगा?

ख़ास ख़बरें

हालाँकि कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस महामारी को रोकने के लिए सभी 130 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने की ज़रूरत नहीं होगी। माना जा रहा है कि 70 फ़ीसदी आबादी को भी यह वैक्सीन लगा दी जाए तो हर्ड इम्युनिटी पाने के लिए यह काफ़ी होगा। हर्ड इम्युनिटी का मतलब है कि जब अधिकतर लोग कोरोना से संक्रमित हो जाएँगे तो उन लोगों के शरीर में इस वायरस से लड़ने वाली इम्युनिटी यानी एंटीबॉडी विकसित हो जाएगी और फिर लोगों में संक्रमण उस तेज़ी से नहीं फैल पाएगा। कई शोध में ये दावे किए जाते रहे हैं। 

देश की 70 फ़ीसदी आबादी को वैक्सीन लगाने का मतलब होगा 90 करोड़ की आबादी। हालाँकि कहा जा रहा है कि क्योंकि 10 साल से नीचे के बच्चे और गर्भवती महिलाओं पर इसका ट्रायल नहीं हुआ है तो वे भी इस वैक्सीन के दायरे से बाहर रहेंगे। ऐसे में क़रीब 70 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाई जानी होगी। चूँकि हर व्यक्ति को दो डोज वैक्सीन लगेगी इस हिसाब से क़रीब 140 करोड़ वैक्सीन की ज़रूरत होगी। अब इतनी वैक्सीन भारत में कब तक उपलब्ध होगी, यह अभी तक साफ़ नहीं है। यानी यह एक बड़ी चुनौती है।

अब तक भारत में जिन कंपनियों की वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंजूरी के लिए आवेदन किया गया है उनमें फ़ाइजर कंपनी, ऑक्सफ़ोर्ड के साथ क़रार करने वाली कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया और भारत की कंपनी भारत बायोटेक हैं।

सीरम इंस्टिट्यूट वैक्सीन का उत्पादन करने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है। इसके अलावा भारत में ही जायडस कैडिला, भारत बायोटेक, रेड्डी लैबोरेट्रीज़ जैसी कई कंपनियाँ हैं जो वैक्सीन का उत्पादन करती हैं। हालाँकि इनमें से जिन कंपनियों ने वैक्सीन विकसित करने वाली विदेशी संस्थाओं से क़रार किया है उनके यहाँ बनाई जाने वाली वैक्सीन में से काफ़ी ज़्यादा विदेश में भी जाएँगी। 

coronavirus vaccine management in india a challenge - Satya Hindi

क्या वैक्सीन की ट्रैकिंग होगी? 

पूर्व में योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने भी एक लेख लिखकर कई वैक्सीन की उपलब्धता को अच्छा बताया है। उन्होंने कहा है कि बेहतर तो यह भी होगा कि वैक्सीन लगाए जाने वाले लोगों को ट्रैक किया जाए। उन्होंने लिखा है कि यदि किसी वैक्सीन में कोई दिक्कत होगी और ट्रायल में यह पकड़ में नहीं आई होगी तो उसकी पहचान की जा सकती है। इसको ट्रैक करने में आधार नंबर से बैच नंबर को लिंक कर इसकी जानकारी रखी जा सकती है। इसके बाद जो वैक्सीन भारत में सबसे ज़्यादा कारगर होगी उसे ही बाक़ी लोगों को लगाने के लिए सलाह दी जा सकती है। 

एक बड़ी दिक्कत यह भी है कि भारत में जो ग़रीब हैं उनको वैक्सीन कैसे दी जाएगी? यह सवाल इसलिए है क्योंकि कुछ वैक्सीन तो इतनी महँगी हैं कि उसे ग़रीब लगवा ही नहीं सकता है। सवाल तो यह पूछा जा रहा है कि क्या केंद्र सरकार मुफ़्त में सबको टीका लगवाएगी? सरकार की ओर से अब तक सकारात्मक जवाब नहीं आया है। राज्यों के सामने भी वैक्सीन कार्यक्रम की व्यवस्था संभालने से लेकर इसके स्टोरेज और दूसरी व्यवस्था की ज़िम्मेदारी होगी।

एक तर्क यह दिया जा रहा है कि वैक्सीन को सरकारी अस्पतालों के माध्यम से दिया जाए। लेकिन इस लिहाज से फाइज़र और मॉडर्ना जैसी वैक्सीन को चुनना संभव नहीं होगा क्योंकि वे काफ़ी महँगी हैं। इसलिए संभव है कि निजी अस्पतालों को भी वैक्सीन कार्यक्रम से जोड़ा जाए।

वैक्सीन सुरक्षित कैसे रहेगी?

इन चुनौतियों से निपट भी लिया जाए तो एक बड़ा सवाल यह है कि वैक्सीन को सुरक्षित रखने के लिए फ़्रीज़िंग की ज़रूरत होगी। यह फ़्रीजिंग -80 डिग्री सेल्सियस तक होनी चाहिए। यानी ऐसी वैक्सीन को सामान्य फ़्रीज़ में रखा नहीं जा सकता है तो देश भर में दूर-दराज तक पहुँचाना, स्टोर रखना और फिर इसे लोगों को टीका लगाना क्या बड़ी चुनौती नहीं होगी?

वीडियो में देखिए, क्या कोरोना वैक्सीन से ख़तरा भी है?

यह सवाल ख़ासकर मॉडर्ना और फाईज़र वैक्सीन के संदर्भ में ज़्यादा उठता है। रिपोर्टों में कहा गया है कि इन दोनों वैक्सीन को -20 से लेकर -80 डिग्री सेल्सियस यानी ज़ीरो से भी नीचे के तापमान पर रखना होगा। लेकिन ऑक्सफ़ोर्ड की वैक्सीन के संदर्भ में ऐसा नहीं है। ऑक्सफ़ोर्ड की वैक्सीन को सामान्य रेफ़्रिजरेटर के तापमान पर भी सुरक्षित रखा जा सकता है। इसीलिए कहा जा रहा है कि भारत के लिए ऑक्सफ़ोर्ड की वैक्सीन ज़्यादा सही और दूर-दराज के क्षेत्रों में पहुँचाने के लिए आसान होगी।

बहरहाल, देश की इतनी बड़ी आबादी के लिए सिर्फ़ ऑक्सफ़ोर्ड की वैक्सीन पर तो निर्भर रहा नहीं जा सकता है इसलिए मॉडर्ना और फ़ाईज़र जैसी वैक्सीन के लिए भी व्यवस्था रखे जाने की ज़रूरत होगी।

एक सवाल यह भी था कि वैक्सीन आई तो सबसे पहले किसको मिलेगी? जब वैक्सीन आएगी तो एकाएक तो 140 करोड़ वैक्सीन बन नहीं सकती। फिर यह कैसे तय होगा कि पहले किसको दिया जाए और बाद में किसे? हालाँकि अब रिपोर्टों में कहा गया है कि सरकार ने तय किया है कि पहले एक करोड़ फ़्रंटलाइन स्वास्थ्य कर्मियों की पहचान की गई है जिनको सबसे पहले उपलब्ध होने वाली कोरोना वैक्सीन दी जाएगी। इसके साथ ही एक साथ कई गंभीर बीमारियों से जूझने वालों को टीका लगाया जाएगा। 

ये चुनौतियाँ ख़ासकर इसलिए भी ज़्यादा अहम हैं क्योंकि भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई हुई है। इसका कारण है कि सरकार जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद का एक फ़ीसदी से कुछ ज़्यादा ख़र्च करती है जो दुनिया में सबसे कम ख़र्च करने वाले देशों में है। हालाँकि सरकार ने हाल में दावे किए हैं कि वह इससे कहीं ज़्यादा ख़र्च करती है। ऐसे में मुफ्त वैक्सीन दिए जाने की उम्मीदें भी धूमिल होती हैं।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें