निर्भया कांड के दोषियों को 22 जनवरी को फांसी होगी या नहीं, इस पर संदेह के बादल मंडरा रहे हैं। क्योंकि दिल्ली सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट से कहा है कि चारों दोषियों को 22 जनवरी को इसलिए फांसी नहीं दी जा सकती क्योंकि इनमें से एक दोषी मुकेश सिंह ने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर की है। दिल्ली सरकार के वकीलों ने अदालत से कहा कि राष्ट्रपति के द्वारा दोषियों की दया यचिका पर फ़ैसला होने के बाद भी उन्हें 14 दिन का वक्त मिलेगा। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने मुकेश सिंह और विनय शर्मा की ओर से दायर क्यूरेटिव पिटीशन को खारिज कर दिया था। 7 जनवरी को पटियाला हाउस कोर्ट ने दोषियों के ख़िलाफ़ डेथ वारंट जारी किया था।
दिल्ली सरकार और जेल के अधिकारियों ने जस्टिस मनमोहन और संगीता ढींगरा सहगल को बताया कि नियमों के मुताबिक़ अदालत को दया याचिका पर फ़ैसला होने तक इंतजार करना होगा। हाई कोर्ट ने ऐसी स्थिति में दोषियों के सरकारी तंत्र का इस्तेमाल करने और दया याचिका दायर करने पर नाराज़गी जताई जबकि उनके ख़िलाफ़ डेथ वारंट जारी किया जा चुका है। दोषियों को सितंबर, 2013 में मौत की सजा सुनाई गई थी। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने इस फ़ैसले को बरक़रार रखा था।
सुप्रीम कोर्ट के द्वारा विनय शर्मा और मुकेश की क्यूरेटिव पिटीशन को ख़ारिज किये जाने के बाद दोनों के पास दया याचिका का ही विकल्प बचा है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट एक अन्य दोषी अक्षय सिंह की पुनर्विचार याचिका को पहले ही ख़ारिज कर चुका है।
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