दिल्ली के जामा मसजिद परिसर में नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन में शामिल होने पर गिरफ़्तार किए गए भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद 'रावण' को बुधवार को ज़मानत मिल गई। उन्हें यह ज़मानत सशर्त मिली है। अदालत ने उनको चार हफ़्ते तक दिल्ली से दूर रहने को कहा है।
चंद्रशेखर आज़ाद का यह मामला 20 दिसंबर का है। जामा मसजिद परिसर में नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन में भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर एकाएक शामिल हुए थे। जब पुलिस उनको हिरासत में लेने पहुँची थी तो वह वहाँ से बच निकले थे। उसके अगले दिन तड़के ही उन्हें हिरासत में तब लिया गया था जब उन्होंने जामा मसजिद के बाहर पुलिस के सामने आत्म समर्पण किया था। बाद में उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया था। तब से वह जेल में थे। हालाँकि, उन्हें इस दौरान हर शनिवार को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में दूसरे मामले में पुलिस के सामने पेश होना पड़ता था।
बता दें कि एक दिन पहले यानी मंगलवार को सुनवाई के दौरान तीस हज़ारी कोर्ट ने पुलिस के ख़िलाफ़ सख्त टिप्पणी की थी। जज कामिनी लाउ ने कहा, 'धरना में क्या ग़लत है? प्रदर्शन में क्या ग़लत है? प्रदर्शन करना संवैधानिक अधिकार है।' पुलिस द्वारा चंद्रशेखर के सोशल मीडिया पोस्ट का उठाने पर जज ने कहा, 'हिंसा कहाँ है? इन पोस्टों में ग़लत क्या है? किसने कहा कि प्रदर्शन नहीं कर सकते... क्या आपने संविधान पढ़ा है?'
कोर्ट ने कहा कि 'आप ऐसे पेश आ रहे हैं जैसे जामा मसजिद पाकिस्तान में है। यदि यह पाकिस्तान में भी था तो आप वहाँ जाकर प्रदर्शन कर सकते थे। बँटवारे से पहले पाकिस्तान भी भारत का ही हिस्सा था।'
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