संविधान सर्वोच्च या संसद और इसमें सुप्रीम कोर्ट कहाँ खड़ा है? इस सवाल का जवाब भले ही कुछ लोगों के दिमाग में स्पष्ट हो, लेकिन कुछ लोगों का कुछ और ही कहना है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हाल ही में संसद के कामों में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप पर नाराजगी जताई थी। पूर्व क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू भी कुछ इसी तरह के विचार रखते दिखे थे। अब पूर्व सीजेआई और मौजूदा राज्यसभा सदस्य रंजन गोगोई ने संविधान के मूलभूत सिद्धांत पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा, 'मेरा विचार है कि संविधान की मूल संरचना के सिद्धांत का एक बहुत ही विवादास्पद न्यायिक आधार है।' यह बात जब मौजूदा सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के सामने रखी गई तो उन्होंने कहा कि 'एक बार न्यायाधीश पद छोड़ने के बाद जो कुछ भी कहते हैं वह सिर्फ राय है और बाध्यकारी नहीं है'। तो सवाल है कि आख़िर संविधान के मूल ढाँचा के सिद्धांत पर ऐसी स्थिति क्यों है?
क्या संसद संविधान को पूरी तरह बदल सकती है, यह बहस ही क्यों?
- देश
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- 9 Aug, 2023
सुप्रीम कोर्ट का संविधान के मूल ढाँचा का सिद्धांत मौजूदा सरकार को खटकता क्यों है? आख़िर एक के बाद एक बयान संसद की सुप्रीमेसी पर क्यों आ रहे हैं?

संविधान के मूल ढाँचा का सिद्धांत क्या है, यह कैसे अस्तित्व में आया और इसपर इतनी बहस क्यों, इस पर चर्चा बाद में, पहले यह जान लें कि हाल में यह चर्चा में क्यों रहा है।