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नागपुर से लोकसभा चुनाव का बिगुल क्यों फूंक रही है कांग्रेस, जानें बड़ी वजहें

लोकसभा चुनाव में 3-4 महीने ही बाक़ी हैं और कांग्रेस की इसकी पुरजोर तैयारियों में जुट गई है। पार्टी अपने 139वें स्थापना दिवस से अभियान की शुरुआत करने जा रही है। इसने नागपुर में कार्यक्रम का आयोजन किया है और इस रैली को 'हैं तैयार हम' नाम दिया है। इस रैली को मल्लिकार्जुन खड़गे के अलावा सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी संबोधित करेंगे। 

सवाल है कि कांग्रेस ने इतना अहम आयोजन के लिए नागपुर को ही क्यों चुना? पार्टी के मुख्यालय दिल्ली, या दक्षिण भारत या फिर उन राज्यों में क्यों नहीं जहाँ उसकी सरकार है? जानिए, वो बड़ी वजहें जिनकी वजह से नागपुर में यह आयोजन किया जा रहा है। 

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1. 'लोकतंत्र की रक्षा' का संकल्प

कांग्रेस ने नागपुर की रैली को 'हैं तैयार हम' नाम दिया है। पार्टी का कहना है कि यह देश में लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए लड़ने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करने के लिए है। नागपुर को देश का भौगोलिक केंद्र माना जाता है। लोकतंत्र की सुरक्षा का संकल्प आरएसएस के गढ़ नागपुर से लेने का एक अलग ही संदेश जाएगा!

2. नागपुर से कांग्रेस का जुड़ाव

दिसंबर 1920 में कांग्रेस का नागपुर सत्र आयोजित हुआ था। इसमें महात्मा गांधी के नेतृत्व में पार्टी ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन शुरू करने का फ़ैसला लिया था। स्वतंत्रता के बाद 1959 में आयोजित कांग्रेस के नागपुर सत्र में इंदिरा गांधी को एआईसीसी अध्यक्ष बनाया गया था। नागपुर हमेशा कांग्रेस का गढ़ रहा था। 1980 से 2019 तक भाजपा नागपुर लोकसभा सीट से केवल तीन बार- 1996, 2014 और 2019 में ही जीत पाई है।

3. 2024 का लोकसभा चुनाव

कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती 2024 जीतने की है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि आपातकाल के बाद इंदिरा गांधी ने नागपुर में एक रैली आयोजित की थी, जिसने तब विदर्भ से सभी सीटों को जीतने वाली पार्टी के लिए रास्ता साफ़ किया था। उनका दावा है कि पार्टी की गुरुवार की रैली इसी तरह देश की राजनीति में बड़ा बदलाव करेगी।

उत्तर प्रदेश की 80 सीटों के बाद 48 सीटों के साथ महाराष्ट्र लोकसभा चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

4. आरएसएस का मुख्यालय

आरएसएस का मुख्यालय नागपुर में है। इसकी स्थापना 1925 में शहर के डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा की गई थी। बीजेपी आरएसएस की ही राजनीतिक शाखा है और कांग्रेस के सामने बीजेपी बड़ी चुनौती है। राहुल गांधी बीजेपी पर हमले करने के लिए आरएसएस को निशाना साधते रहे हैं और उसको बाँटने वाली विचारधारा का प्रतिनिधित्व करने वाला क़रार देते रहे हैं।

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5. आंबेडकर की दीक्षाभूमि

यह नागपुर में था कि बीआर आंबेडकर ने 14 अक्टूबर, 1956 को दशेरा में अपने लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म को अपनाया था। ऐतिहासिक स्थल का एक स्मारक है जिसे दीक्षाभूमि कहा जाता है। कांग्रेस के नेताओं ने कहा है कि पार्टी ने गुरुवार को एक वैचारिक कारण से गुरुवार की रैली के लिए नागपुर को चुना है। आंबेडकर की विरासत पर दावा करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ भाजपा 'संविधान को बदलने' पर तुली हुई है।

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क़मर वहीद नक़वी
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