loader

राफ़ेल- फ्रांस ने जाँच बैठा दी तो मोदी सरकार की चुप्पी क्यों: कांग्रेस

राफ़ेल सौदे में कथित घोटाले की जाँच के लिए फ़्रांस में जज नियुक्त किए जाने के मामले में कांग्रेस ने पूछा है कि 24 घंटे बाद भी मोदी सरकार की ओर से इस पर प्रतिक्रिया क्यों नहीं आई है? पार्टी ने पूछा है कि जब फ्रांस ने जाँच बैठा दी तो मोदी सरकार क्यों चुप है? पार्टी ने आरोप लगाया कि राफ़ेल सौदे में बिचौलियों को करोड़ों रुपये दिए गए। इसने 59000 करोड़ रुपये के इस सौदे पर जो ताज़ा खुलासा हुआ है उस पर मोदी सरकार पर निशाना साधा है।

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने रविवार को पार्टी कार्यालय में प्रेस कॉन्फ़्रेंस की। इसमें उन्होंने एक दूसरे मामले में ईडी द्वारा गिरफ़्तार बिचौलिए से बरामद हुए कागजात का हवाला देते हुए कहा, 'ईडी ने उस कागजात का क्या किया, हमें नहीं मालूम, लेकिन फ्रांस ने ही उन कागजों का हवाला देते हुए अप्रैल में यह खुलासा किया था कि गिफ़्ट्स दिए गए। करोड़ों-करोड़ों रुपये इस कथित मिडलमैन (बिचौलिए) को दिए गए। राफ़ेल की डील में दिए गए।'

ताज़ा ख़बरें

राफ़ेल लड़ाकू विमान की ख़रीद के सौदे को लेकर एक नया घटनाक्रम यह हुआ है कि फ़्रांस के एक ऑनलाइन पोर्टल मीडियापार्ट ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में बताया है कि फ़्रांस में एक जज को जांच के लिए नियुक्त किया गया है। मीडियापार्ट ने अप्रैल महीने में कुछ रिपोर्ट छापकर दावा किया था कि भारत और फ़्रांस के बीच हुई इस डील में एक भारतीय बिचौलिया कंपनी शामिल थी और उसे 1 मिलियन यूरो (8.62 करोड़) रुपये दिए गए थे। 

मीडियापार्ट ने ताज़ा रिपोर्ट में कहा है कि इस मामले में फ़्रांस की पब्लिक प्रोसीक्यूशन सर्विसेज (पीएनएफ़) की वित्तीय अपराध शाखा ने 14 जून से राफ़ेल लड़ाकू विमान की ख़रीद में हुए सौदे की जांच शुरू कर दी है। 

इस बड़े सौदे को लेकर विवाद कल उस समय फिर उठा जब कांग्रेस ने एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की जांच की मांग की। लेकिन ये सवाल उठाए जाने के एक दिन बाद भी सरकार की ओर से जवाब नहीं आने पर आज फिर कांग्रेस ने सरकार को कटघरे में खड़ा किया।  

पवन खेड़ा ने रफ़ाल पर अंतर-सरकारी सौदे का मतलब समझाते हुए कहा कि यह दो देशों के बीच सौदा था यानी इसमें दो सरकारें शामिल थीं। 

कांग्रेस नेता ने कहा कि दो सरकारों में से एक फ्रांस ने तो जाँच बैठा दी, लेकिन दूसरी सरकार चुप्पी साधे हुए है। उन्होंने कहा कि इस सौदे से जिसको पैसे मिले, जिसको लाभ हुआ उसने जाँच शुरू करवा दी, लेकिन जिससे पैसे गए, जिसको नुक़सान हुआ वह चुप है।

पवन खेड़ा ने कहा कि क्या किसी भी लोकतंत्र में यह संभव है कि करदाता का पैसा लुट रहा हो, सरेआम नुक़सान पहुँचाया जा रहा हो, लेकिन जाँच नहीं कराई जाए। उन्होंने कहा कि इस मामले में एक शब्द भी क्यों नहीं बोला जा रहा है। उन्होंने कहा कि अंतर सरकारी सौदे का मतलब होता है कि कोई बिचौलिया या दलाल नहीं हो, यह सुनिश्चित हो जाता है। उन्होंने फ़्रांस के जाँच पत्र का हवाला देते हुए कहा कि इस सौदे का मतलब था कि इसमें कोई भ्रष्टाचार नहीं हो, कोई दबाव डालने वाला नहीं हो, कोई मनी लाउंड्रिंग नहीं हो, कोई फेवरटिज़्म नहीं हो। 

उन्होंने कहा कि आगे कहा कि अब राफ़ेल सौदे में हर रोज़ नए खुलासे हो रहे हैं और अब यह साफ़ है कि 570 करोड़ की चीज सरकार ने 1670 करोड़ रुपये में खरीदी।

congress alleges documents show middlemen got crores in rafale deal - Satya Hindi

बता दें कि मीडियापार्ट ने अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि राफ़ेल विमान बनाने वाली कंपनी दसॉ एविशेएन ने भारतीय कारोबारी अनिल अंबानी के साथ 26 मार्च, 2015 को पहले एमओयू पर दस्तख़त किए थे और इसके दो हफ़्ते बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पेरिस आए थे और इसमें उन्होंने 126 राफ़ेल विमानों के पुराने सौदे को बदलकर 36 राफ़ेल लड़ाकू विमान ख़रीदने का नया सौदा किया था। 

भारत और दसॉ एविशेएन के बीच 126 राफ़ेल लड़ाकू विमान के सौदे और इसे बनाने को लेकर बातचीत चल रही थी। लेकिन 10 अप्रैल, 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुराने समझौते को रद्द करने का एलान कर दिया और कहा कि अब 36 विमान ही ख़रीदे जाएंगे। इसके बाद जून, 2015 में रक्षा मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर 126 लड़ाकू विमान खरीदने की निविदा वापस ले ली। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें