loader
रुझान / नतीजे चुनाव 2024

झारखंड 81 / 81

इंडिया गठबंधन
56
एनडीए
24
अन्य
1

महाराष्ट्र 288 / 288

महायुति
233
एमवीए
49
अन्य
6

चुनाव में दिग्गज

गीता कोड़ा
बीजेपी - जगन्नाथपुर

हार

कल्पना सोरेन
जेएमएम - गांडेय

जीत

नया ट्रेंड है कि सरकार भी जजों को बदनाम करने लगी है: सीजेआई 

भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा है कि अब सरकार ने भी जजों को बदनाम शुरू कर दिया है! उन्होंने कहा कि यह नया चलन शुरू हुआ है। उन्होंने कहा है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है।

सीजेआई रमना ने यह टिप्पणी तब की जब छत्तीसगढ़ में पूर्व आईआरएस अधिकारी और पूर्व मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव अमन कुमार सिंह के ख़िलाफ़ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएँ दायर की गईं। उन दोनों में से एक याचिका छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दायर की गई है। सुनवाई के दौरान दोनों वकीलों द्वारा रखी गई दलीलों को लेकर सीजेआई ने सख़्त टिप्पणी की। 

ताज़ा ख़बरें

जिस मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की वह मामला पूर्व आईआरएस अधिकारी और पूर्व मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव अमन कुमार सिंह से जुड़ा है। उनके ख़िलाफ़ आय से अधिक संपत्ति मामले में एफ़आईआर दर्ज की गई थी। हाई कोर्ट में जब इस मामले की सुनवाई हुई तो अदालत ने एफ़आईआर को अनुचित मानते हुए रद्द करने का आदेश दिया। 

हाई कोर्ट के उसी फ़ैसले का ज़िक्र करते हुए एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि प्राथमिकी रद्द करने का तर्क यह है कि आरोप संभावना पर आधारित है। उन्होंने कहा कि एक शिकायत की गई थी, और रिट याचिका प्रारंभिक जांच स्तर पर दायर की गई थी।

'लाइव लॉ' की रिपोर्ट के अनुसार दवे की दलील पर सीजेआई रमना ने टिप्पणी की, 'आप जो भी लड़ाई लड़ें, वह ठीक है। लेकिन अदालतों को बदनाम करने की कोशिश मत करें। मैं इस अदालत में भी देख रहा हूं, यह एक नया चलन है।' रिपोर्ट के अनुसार इस पर छत्तीसगढ़ राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि वे उस बिंदु पर बिल्कुल भी दबाव नहीं डाल रहे हैं।

इस पर सीजेआई ने जोर देकर कहा,

नहीं, हम हर दिन देख रहे हैं। आप एक वरिष्ठ वकील हैं, आपने इसे हमसे अधिक देखा है। यह एक नया चलन है, सरकार ने न्यायाधीशों को बदनाम करना शुरू कर दिया, यह दुर्भाग्यपूर्ण है।


सीजेआई एनवी रमना, सुप्रीम कोर्ट

इस पर वरिष्ठ वकील दवे ने कहा कि उन्होंने इस मामले में किसी की छवि खराब नहीं की है। उन्होंने दलील दी कि वह उस प्रवृत्ति के रूप में नहीं देख रहे हैं और एक दलील रख रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इसमें कोई प्रतिशोध नहीं है।

देश से और खबरें

वकील सिद्धार्थ दवे ने दलील दी कि इस मामले में आरोप आय से अधिक संपत्ति का है। उन्होंने कहा कि जाँच के दौरान जब प्रतिवादी से संपत्ति का ब्यौरा देने के लिए कहा जाएगा, यदि वह ऐसा करने में सक्षम होंगे तो जाँच अपने आप बंद हो जाएगी।

याचिकाकर्ता की इस दलील पर सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, 'अनुमानों और आपके आरोपों के आधार पर हम इस तरह के उत्पीड़न को जारी रखने की अनुमति नहीं दे सकते।' सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ सुनवाई कर रही थी।

ख़ास ख़बरें

इस पर दवे ने कहा है कि 'यह अनुमान नहीं था। हम कह रहे हैं कि किसी ने 2500 करोड़ जमा किए हैं।' सीजेआई ने कहा, 'विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) बढ़ाचढ़ा कर बताती है, 2500 करोड़!" इसके बाद दवे ने कहा कि जिस तरह से लोग पैसे जमा करते वह चौंकाने वाला होता है। इस दलील पर सीजेआई ने टिप्पणी की, 'इस तरह लोगों को सामान्यीकरण न करें। कल जब सरकार बदलेगी, दूसरी सरकार आएगी तो वे कहेंगे कि लाख। हजार बन जाएँगे लाख'।

इस बीच छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने अदालत को बताया कि सेवा में शामिल होने पर प्रतिवादी के पास 11 लाख की संपत्ति थी और अब उसने 2.76 करोड़ की 7 संपत्तियां खरीदी हैं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट पीठ इस मामले की सुनवाई 18 अप्रैल को जारी रखेगी।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें