सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने बिलकीस बानो मामले में उम्रकैद की सजा पाए 11 दोषियों की रिहाई मामले में एक अहम फ़ैसला लिया है। उन्होंने दोषियों की रिहाई वाले गुजरात सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए एक विशेष पीठ गठित करने पर सहमति व्यक्त की है।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ के समक्ष बिलकीस बानो की ओर से पेश अधिवक्ता शोभा गुप्ता ने मंगलवार को इस मामले का ज़िक्र किया।
बता दें कि बिलकीस बानो के साथ 3 मार्च, 2002 को भीड़ द्वारा सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। उनके परिवार के सदस्यों की हत्या कर दी गई थी। यह घटना दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका में हुई थी। उस समय बिलकीस बानो गर्भवती थीं। बिलकीस की उम्र उस समय 21 साल थी। इस मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे 11 दोषियों को पिछले साल 15 अगस्त को रिहा कर दिया गया था।
बिलकीस बानो के साथ हुए सामूहिक बलात्कार मामले में 11 दोषी जब गुजरात सरकार की छूट नीति के तहत जेल से बाहर आए थे तो उन्हें रिहाई के बाद माला पहनाई गई थी और मिठाई खिलाई गई थी। इसी रिहाई मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई।
बता दें कि 4 जनवरी, 2023 को न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी ने इस मुद्दे से संबंधित जनहित याचिकाओं की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी ने माना था कि बिलकीस बानो की याचिका को टैग किया जा सकता है और याचिकाओं के बैच में प्रमुख मामला बनाया जा सकता है। हालांकि, उन्हें इस बात की चिंता थी कि चूंकि जस्टिस त्रिवेदी ने खुद को अलग कर लिया, इसलिए उनकी बेंच इस मामले को टैग नहीं कर पाएगी।
याचिकाएँ न्यायमूर्ति रस्तोगी की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध हैं क्योंकि उन्होंने मई 2022 के फ़ैसले को लिखा था जिसमें गुजरात सरकार को छूट के आवेदनों पर फ़ैसला करने का निर्देश दिया गया था।
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