कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से ‘चौकीदार चोर है’ बयान को लेकर दायर अवमानना याचिका के सिलसिले में बिना शर्त माफ़ी माँग ली है। बता दें कि रफ़ाल सौदा मामले में अदालत में शुक्रवार को सुनवाई होनी है। राहुल गाँधी ने तीन पेज के अपने हलफ़नामे में कहा है कि वह इस मामले में बिना शर्त माफ़ी माँगते हैं। 10 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए रफ़ाल मामले में पुनर्विचार याचिकाओं पर नए दस्तावेज़ों के आधार पर सुनवाई का फ़ैसला किया था। इसी के बाद राहुल ने कहा था कि अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी यह मान लिया है कि चौकीदार चोर है।
इस मामले में बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी की ओर से अवमानना याचिका दाख़िल की गई है। लेखी की अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने राहुल से स्पष्टीकरण माँगा था, जिसके बाद उन्होंने ख़ेद जताते हुए कहा था कि चुनावी जोश में उन्होंने यह बयान दिया था। केंद्रीय क़ानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने भी चुनाव आयोग से कहा था कि यह आचार संहिता का उल्लंघन है और आयोग को इसका संज्ञान लेना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 3 सदस्यों की बेंच ने सर्वसम्मति से दिए फ़ैसले में कहा था कि जो नए दस्तावेज़ सामने आए हैं, उस आधार पर मामले में दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर अदालत सुनवाई करेगी। बेंच में सीजेआई गोगोई के अलावा जस्टिस एस. के. कौल और जस्टिस के. एम. जोसेफ़ शामिल हैं।
बता दें कि रफ़ाल मामले में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार विपक्षी दलों के निशाने पर है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी सार्वजनिक मंचों से प्रधानमंत्री मोदी पर रफ़ाल डील को लेकर निशाना साधते रहे हैं।
अंग्रेजी अख़बार 'द हिन्दू' ने रफ़ाल से जुड़ी कई ख़बरें छापी थीं, इस पर सरकार ने आरोप लगाया था कि ये ख़बरें चोरी के दस्तावेज़ पर आधारित हैं। 'द हिन्दू' अख़बार की ख़बरों में कहा गया था कि प्रधानमंत्री कार्यालय इस मामले में फ़्रांस से समानांतर बातचीत कर रहा था।
रफ़ाल सौदे में गड़बड़ी को लेकर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण, केंद्र सरकार के पूर्व मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सदस्य अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा के अलावा आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी। केंद्र सरकार ने तर्क दिया था कि सरकारी गोपनीयता क़ानून के अंतर्गत इन दस्तावेज़ों को छापना अवैध है और इसके साथ ही दस्तावेज़ों की चोरी का आरोप भी लगाया गया था। इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरनाक भी बताया गया था।
राहुल गाँधी आरोप लगाते रहे हैं कि मनमोहन सिंह सरकार के समय जो दसॉ कंपनी से जो सौदा किया गया था उसमें एक विमान की क़ीमत 526 करोड़ रुपये बैठती थी। लेकिन मोदी सरकार के सौदे के मुताबिक़ एक विमान की क़ीमत क़रीब 16 सौ करोड़ रुपये हो जाएगी।
राहुल गाँधी के मुताबिक़, मनमोहन सिंह सरकार के समय हुए सौदे में भारत द्वारा ख़रीदे जाने वाले कुल 126 विमानों में से 36 विमानों का निर्माण फ़्रांस में किया जाना था और बाक़ी विमान भारत में सरकारी क्षेत्र की कंपनी एचएएल में बनाये जाने थे। लेकिन मोदी सरकार की सिफ़ारिश पर भारत में अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस समेत कई कंपनियों को ऑफ़सेट पार्टनर बनाया गया।
दरअसल, बीजेपी में इस बात को लेकर बड़ी बेचैनी है कि राहुल गाँधी हर मंच से 'चौकीदार चोर है' के नारे लगवाते हैं। इससे बीजेपी रफ़ाल मुद्दे पर पिछले 6 महीनों से बैकफ़ुट पर चल रही है। राहुल गाँधी के इसी नारे की काट के लिए बीजेपी को प्रधानमंत्री के पक्ष में 'मैं भी चौकीदार' अभियान छेड़ना पड़ा।
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