सहमति के मुताबिक़, टैंक और तोपों को पहले दिन ही पीछे कर लिया जाएगा। दूसरे चरण में भारत-चीन की सेनाएं पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे से लगातार तीन दिनों तक अपने 30 प्रतिशत सैनिक पीछे हटाएंगीं। इस कदम से भारतीय सैनिक फिंगर-4 के पास धान सिंह थापा चौकी पर वापस चले जाएंगे जबकि चीनी सैनिक फिंगर-8 पर 5 मई के पहले वाली तैनाती की स्थिति तक लौट जाएंगे।
रंजीत कुमार
छह महीने से अधिक वक़्त तक पूर्वी लद्दाख के सीमांत इलाक़ों में भारतीय सेनाओं के साथ तनातनी के बाद चीनी सेना अब पीछे लौटेने को तैयार हो गई है। अभी यह साफ नहीं हुआ है कि सैन्य तनातनी के चुनिंदा इलाक़ों से चीनी सैनिक पीछे हटने को तैयार हुए हैं या चरणबद्ध तरीके से, लेकिन टकराव के सभी सीमांत इलाकों से दोनों देशों के सेनिक पीछे हट जाएंगे।
लौटेंगे भारतीय सैनिक
आमने- सामने की सैन्य तैनाती वाले कई इलाक़ों से चीनी सेना द्वारा पीछे हटने को राजी होने के बाद उम्मीद की जा रही है कि पूर्वी लद्दाख की सीमांत पर्वतीय बर्फीली चोटियों से लौटने वाले अधिकांश भारतीय सैनिक दीपावली अपने साथियों और परिवारजनों के बीच मनाएंगे।
भारत और भारतीय सेना के लिये यह राहत देने वाला घटनाक्रम है। रक्षा सूत्रों ने बताया कि चीन और भारत की सेनाएं पूर्वी लद्दाख के सीमांत इलाकों से तीन चरणों में अपने सैनिक और टैंक-तोप आदि को पीछे ले जाने पर हुई सहमति को लागू करेंगी। उम्मीद है कि दीपावली के पहले सीमांत इलाकों से एक तिहाई से अधिक सैनिक पीछे हट जाएंगे।
सैनिकों को पीछे ले जाने के तीन चरणों वाली योजना के तहत पैंगोंग झील के दक्षिणी इलाके से टैंक और बख्तरबंद वाहनों और तोपों को वास्तविक नियंत्रण रेखा से काफी पीछे दोनों सेनाएं ले जाएंगी। सहमति के मुताबिक़,
टैंक और तोपों को पहले दिन ही पीछे कर लिया जाएगा।
दूसरे चरण में भारत-चीन की सेनाएं पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे से लगातार तीन दिनों तक अपने 30 प्रतिशत सैनिक पीछे हटाएंगी।
इस कदम से भारतीय सैनिक फिंगर-4 के पास धान सिंह थापा चौकी पर वापस चले जाएंगे।
चीनी सैनिक फिंगर-8 पर 5 मई के पहले वाली तैनाती की स्थिति तक लौट जाएंगे।
तीसरे चरण में दोनों देशों के सैनिक अग्रिम ठिकानों से तैनाती ख़त्म कर देंगे।
दोनों देशों के सैनिकों के पीछे लौटने की प्रक्रिया पर निगरानी ऱखने के लिये भी दोनों सेनाओं ने साझा व्यवस्था की है।
सरकार की मुहर
रक्षा सूत्रों के मुताबिक़, भारतीय राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व द्वारा चीनी चुनौती से निबटने के लिये दिखाए गए असाधारण साहस और संकल्प का नतीजा है कि चीनी पीपल्स लिबरेशन आर्मी अपने सैनिकों को 5 मई के पहले की स्थिति तक वापस ले जाने को तैयार हुई है।
भारतीय सैन्य हलकों को अत्यधिक राहत प्रदान करने वाले इस घटनाक्रम पर सैन्य अधिकारी अभी आधिकारिक तौर पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहे हैं, लेकिन यहां रक्षा सूत्रों ने बताया कि दोनों सेनाओं के बीच पिछले 6 नवम्बर को सीमा पर स्थित चुशुल के भारतीय इलाके में चीनी और भारतीय सैन्य कमांडरों के बीच हई बैठक के दौरान यह सहमति हुई है, जिस पर गहन विचार करने के बाद भारतीय राजनीतिक नेतृत्व ने मुहर लगाई है।
बातचीत का नौवां दौर
इस सहमति से पिछले 5 मई से चीन सीमा पर चल रहे सैन्य तनाव के अब ख़त्म होने के आसार दिखने लगे हैं। विश्वस्त रक्षा सूत्रों के अनुसार, पिछले 6 नवम्बर को भारत और चीन के बीच सैन्य कमांडरों के बीच हुई आठवें दौर की वार्ता में चीन की ओर से कुछ सकारात्मक प्रस्ताव रखे गए, जिन पर भारतीय वार्ताकार विचार कर रहे हैं।
रक्षा सूत्रों के मुताबिक, भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच जल्द ही नौंवे दौर की वार्ता तय की जाएगी, जिसमें भारतीय सैन्य कमांडर ठोस ज़मीनी कदम उठाए जाने पर चर्चा करेंगे ।
क्या हुआ था 5 मई को?
ग़ौरतलब है कि गत 5 मई के बाद से चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी पूर्वी लद्दाख के सीमांत इलाकों पैंगोंग त्सो झील, हॉट स्प्रिंग, गलवान, गोगरा औऱ देपसांग घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पार अतिक्रमण कर भारतीय इलाक़ों में घुसी थी। भारतीय सैनिकों ने इन्हें चुनौती दी तो चीन ने अपने सैनिकों को पीछे हटाने से इनकार कर दिया था।
चीनी सेना की चुनौती का जवाब देने के लिये भारतीय सेना ने भी उन इलाक़ों में करीब 50 हज़ार से अधिक सैनिक टैंकों और तोपों के साथ तैनात कर दिये।
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युद्ध की आशंका
चीन ने भी इसी तरह की तैनाती की, जिससे कई सीमांत इलाक़ों में दोनों देशों की सेनाएं अपने टैकों और तोपों के साथ दो से 300 मीटर की दूरी पर तैनात हो गईं। इससे वहां युद्ध भड़कने की नौबत पैदा हो गई थी। भारत की तीनों सेनाओं के प्रधान सेनापति जनरल बिपिन रावत ने पिछले सप्ताह शंका जाहिर की थी कि वहां युद्ध कभी भी छिड़ सकता है।
रक्षा सूत्रों के मुताबिक़, भारतीय सेना ने चीनी सेना से साफ कहा है कि वह अपने सैनिकों को 5 मई से पहले की स्थिति पर वापस ले जाए। भारत ने यह भी कहा है कि चीनी सेना ने जो भारी सैन्य जमावड़ा किया हआ है, वह समाप्त करे और अपने सैनिकों को शांतिकाल के ठिकानों पर वापस ले जाए।
चीनी सेना को लग रहा है कि ऐसा करना भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण करने जैसा होगा। इसलिये वह ऐसा कोई प्रस्ताव लाना चाह रही है, ताकि वह अपनी जनता को बता सके कि उसने अपनी शर्तों पर भारत के साथ समझौता किया है।
बर्फबारी
रक्षा सूत्रों के अनुसार, हालांकि पूर्वी लद्दाख के सीमांत इलाकों में भारी बर्फबारी शुरू हो गई है और तापमान शून्य से दस-बीस डिग्री नीचे चला गया है, भारतीय सेना ने चीन से साफ कहा है कि वह तब तक वहां से अपने सैनिकों को पीछे नहीं हटाएगा जब तक चीन अपने सैनिकों को 5 मई से पीछे हटाने को तैयार नहीं होगा।
सूत्रों के मुताबिक़, भारतीय सेना ने जिस चतुर रणनीति के ज़रिये चीन पर सैन्य दबाव बनाया, उसकी चीन ने कभी उम्मीद नहीं की थी।
भारतीय सेना ने जिस तरह पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग झील के दक्षिण तट वाली चोटियों पर कब्जा कर चीन को भौंचक कर दिया, वह बेमिसाल है। भारत के इस कदम के बाद चीन ने प्रस्ताव रखा था कि भारत और चीन पैंगोंग झील के दोनों तटों की चोटियों से अपने सैनिक वापस बुला लें।
लेकिन भारत ने कहा कि पैंगोंग त्सो झील के इलाक़े से तभी अपने सैनिक पीछे हटाएगा, जब पूर्वी लद्दाख के सभी सीमांत इलाक़ो से चीन अपने सैनिक पीछे हटाने को तैयार होगा औऱ इसके लिये जमीनी स्तर पर ठोस कदम उठा कर दिखाएगा।
जिस तरह गत 15 जून को गलवान घाटी में चीनी सैनिकों ने पीछे हटने से मना किया और भारतीय सैनिकों पर धोखे से घेर कर कंटीली बेतों से हमला किया, उसके बाद भारतीय सेना कदम फूंक- फूंक कर रखना चाहती है। भारतीय सेना चीन के किसी भी कथित समझौता प्रस्ताव को काफी नापतौल कर स्वीकार कर रही है और चीनी सेना के हर प्रस्ताव को शक की निगाह से देख रही है।
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रंजीत कुमार
रंजीत कुमार देश के मशहूर रक्षा विशेषज्ञ हैं। और पढ़ें »
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