महाराष्ट्र के ठाणे जिले में छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल में 24 घंटों में कम से कम 16 मरीजों की मौत होने के बाद सरकार निशाने पर आ गई है और अधिकारियों से लेकर मंत्री तक को सफ़ाई देनी पड़ रही है। इसके कारण अस्पताल के अधिकारियों को उन वजहों की जाँच करना पड़ा है कि आख़िर इतनी मौतें कैसे हुईं। हालाँकि, ठाणे नगर निगम ने पत्रकारों से इस बात की पुष्टि की है कि 48 घंटों में 18 मौतें हुई हैं।
यह अस्पताल ठाणे नगर निगम द्वारा चलाया जा रहा है। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार ठाणे नगर आयुक्त अभिजीत बांगर का कहना है, 'पिछले 48 घंटों में 18 मौतें हुई हैं। जिन मरीजों की मौत हुई है उनमें से कुछ पहले से ही क्रोनिक किडनी रोग, निमोनिया, केरोसिन विषाक्तता, सड़क दुर्घटना और अन्य कारणों सहित विभिन्न बीमारियों का इलाज करा रहे थे। मैंने इन मौतों के बारे में सीएम को जानकारी दे दी है।'
नगर निगम आयुक्त ने कहा है कि इस घटना की निष्पक्ष जांच के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा ताकि यह पता लगाया जा सके कि मरीजों को सर्वोत्तम उपचार मिला या नहीं।
कलवा में छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल शहर में एकमात्र त्रिस्तरीय चिकित्सा सुविधा के रूप में कार्य करता है और विशेष रूप से आसपास के उपनगरों और पड़ोसी जिलों से बड़ी संख्या में रोगियों की देखभाल करता है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार अस्पताल के डीन डॉ. राकेश बारोट ने 16 मरीजों की मौत की पुष्टि की, जिनमें ज्यादातर बुजुर्ग मरीज थे। रिपोर्ट के अनुसार यह मामला 10 अगस्त को तब सामने आया जब 12 घंटे के भीतर पांच मरीजों की मौत हो गई।
उन्होंने कहा, 'अस्पताल में चिकित्सा सुविधाओं का अभाव है, इसमें डॉक्टर नहीं हैं, कर्मचारियों की कमी है। इससे स्वाभाविक रूप से मरीजों के इलाज में बाधा आती है और आम लोग पीड़ित होते हैं और अपनी जान गंवा रहे हैं।'
एनसीपी के साथ महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना यानी एमएनएस ने आरोप लगाया कि मौतों के लिए नगर निगम आयुक्त और अस्पताल प्रशासन जिम्मेदार हैं।
महाराष्ट्र के मंत्री दीपक केसरकर ने कहा है, 'हमारी संवेदनाएं परिवारों के साथ हैं। अगर कोई लापरवाही पाई गई तो कार्रवाई होगी और मुआवजा भी दिया जाएगा।'
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