सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर और केंद्र सरकार के बीच छिड़ी रार और बढ़ती जा रही है। केंद्र सरकार ने शनिवार को ट्विटर को नए डिजिटल नियमों के पालन को लेकर ‘अंतिम नोटिस’ भेजा है। सरकार ने कहा है कि अगर ट्विटर सरकार के नियमों को नहीं मानता है तो वह नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहे।
केंद्र सरकार के नए नियमों के तहत सोशल मीडिया कंपनियों को चीफ़ कम्प्लायेंस अफ़सर, नोडल कांटेक्ट अफ़सर और रेजिडेंट ग्रीवांस अफ़सर को नियुक्त करना होगा और हर महीने सरकार को रिपोर्ट देनी होगी। सरकार ने इन अफ़सरों को नियुक्त करने के लिए तीन महीने का वक़्त दिया था जो 25 मई को ख़त्म हो चुका है।
नोटिस में कहा गया है, “ट्विटर को यह अंतिम नोटिस दिया जा रहा है कि वह नए डिजिटल नियमों का तुरंत पालन करे। अगर वह ऐसा नहीं करता है तो उसे आईटी एक्ट, 2000 में धारा 79 के तहत मिलने वाली छूट वापस ले ली जाएगी और आईटी क़ानून और भारत सरकार के दंड नियमों के नियमों के मुताबिक़ ट्विटर ही नतीजों के लिए उत्तरदायी होगा।”
देखिए, इस विषय पर चर्चा-
कुछ कंपनियां राजी
इस बीच, गूगल, फ़ेसबुक और वाट्सऐप ने नए नियमों के मुताबिक़, तमाम पदों पर अफ़सरों को नियुक्त करने के लिए सहमति दे दी है लेकिन ट्विटर इसके लिए राजी नहीं है। ट्विटर ने हालांकि एक आउटसाइड कंसल्टेंट के नाम का प्रस्ताव सरकार के पास भेजा है लेकिन केंद्र ने इसे ठुकरा दिया है और कहा है कि यह उसकी गाइडलाइंस या नियमों के विपरीत है।
सरकार का कहना है कि जिन सोशल मीडिया कंपनियों के 50 लाख यूजर्स हैं, उन्हें भारत में रहने वाले और उनकी कंपनी में काम कर रहे शख़्स को ही इन पदों पर नियुक्त करना होगा।
ब्लू टिक हटाने पर विवाद
ट्विटर ने शनिवार को उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू के निजी अकाउंट से ब्लू टिक को हटा दिया था। लेकिन थोड़ी ही देर में जब इस पर बवाल शुरू हुआ और मीडिया व सोशल मीडिया में इसे लेकर चर्चा तेज़ हुई तो ट्विटर ने इसे बहाल कर दिया।
एएनआई के मुताबिक़, यह बताया गया है कि नायडू का निजी अकाउंट छह महीने से ज़्यादा वक़्त से निष्क्रिय था और इस वजह से ब्लू टिक को हटा लिया गया था लेकिन अब इसे बहाल कर दिया गया है।
इसके अलावा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत और सह सर कार्यवाह कृष्ण गोपाल, सर कार्यवाह सुरेश जोशी के ब्लू टिक को भी हटा दिया गया था लेकिन कुछ घंटों बाद इसे बहाल कर दिया गया।
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