रेलवे ने वरिष्ठ नागरिकों और खिलाड़ियों को रेल किराए में मिलने वाली छूट देने से इनकार कर दिया है। रेलवे ने इसके पीछे उसे लगातार हो रहे नुकसान का हवाला दिया है। संसद में लोकसभा सांसदों के द्वारा इस संबंध में उठाए गए सवाल के जवाब में रेलवे मंत्रालय की ओर से यह जवाब दिया गया।
रेल मंत्रालय का कहना है कि उसे वरिष्ठ नागरिकों को यात्री किराए में छूट देने पर 2017-18 के दौरान 1491 करोड़, 2018-19 में 1636 करोड़ और 2019-20 में 1667 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि ज्यादातर वर्गों में यात्री किराया बहुत कम है। कम किराए और रियायतों के कारण भारतीय रेलवे को बार-बार नुकसान उठाना पड़ा है। इसके अलावा कोरोना के कारण पिछले दो वर्षों में यात्री किराए से होने वाली कमाई 2019- 2020 की तुलना में कम है और इसका असर रेलवे के वित्तीय हालात पर पड़ता है।
मार्च 2020 यानी कोरोनावायरस से पहले 58 साल से ऊपर की वरिष्ठ महिला नागरिक को 50 फ़ीसदी जबकि 60 वर्ष से ऊपर के वरिष्ठ पुरुष नागरिक को 40 फ़ीसदी की छूट रेलवे के किराए में मिलती थी। कोरोना काल में इस छूट को रोक दिया गया था। अब रेल मंत्रालय ने कहा है कि वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाली रियायत शुरू नहीं होगी।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस मामले में ट्वीट कर मोदी सरकार पर निशाना साधा है।
विज्ञापनों का ख़र्च: ₹911 Cr
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 22, 2022
नया हवाई जहाज़: ₹8,400 Cr
पूंजीपति मित्रों के टैक्स में छूट: ₹1,45,000 Cr/साल
लेकिन सरकार के पास बुज़ुर्गों को रेल टिकट में छूट देने के लिए ₹1500 करोड़ नहीं हैं।
मित्रों के लिए तारे तक तोड़ कर लाएंगे, मगर जनता को कौड़ी-कौड़ी के लिए तरसाएंगे।
अब सवाल यह है कि रेल मंत्रालय ने जो आंकड़े दिए हैं कि उसे किस साल में कितना नुकसान हो रहा है वह अधिकतम नुकसान 1667 करोड़ है, तो क्या बुजुर्गों के लिए सरकार के पास इतनी रकम भी नहीं है कि वह बुजुर्ग नागरिकों की थोड़ी सी मदद के लिए इतना खर्च उठा सके जबकि सरकार अपने विज्ञापनों में अच्छा-खासा पैसा खर्च कर रही है।
आरटीआई से मिली एक जानकारी के मुताबिक मोदी सरकार ने मई, 2014 में सत्ता में आने के बाद से 2018, मई तक अपने प्रचार में 4343 करोड़ रुपए खर्च किए थे। यह खर्च प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में दिए गए विज्ञापनों पर किया गया था।
अपनी राय बतायें