स्वास्थ्य विभाग के आला अफ़सरों की एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद केंद्र ने आदेश दिया है कि जिन राज्यों में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, वहाँ कोरोना टीकाकरण की रफ़्तार तेज़ की जाए।
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव होने हैं।
केंद्र सरकार ने राज्यों को सुझाव दिया है कि वे ज़िला स्तर पर कोरोना टीकाकरण पर ध्यान दें, उसकी रफ़्तार बढ़ाएं और उस पर निगरानी रखें।
इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि कोरोना दिशा निर्देशों का पालन सख़्ती से किया जाए और इसकी निगरानी की जाए कि ऐसा हो रहा है या नहीं।
कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच कुछ लोगों ने यह सुझाव दिया है कि महामारी को देखते हुए चुनाव कुछ दिलों के लिए टाल दिए जाएं।
कोरोना टीकाकरण
सोमवार को हुई बैठक में पता चला कि पाँच चुनाव वाले पाँच राज्यों में से तीन राज्यों ने राष्ट्रीय औसत से कम कोरोना टीकाकरण किया है, दो का प्रदर्शन अच्छा रहा है।
उत्तराखंड और गोवा में राष्ट्रीय औसत से ज्यादा वैक्सीनेशन किया गया है, जबकि उत्तर प्रदेश, पंजाब और मणिपुर में राष्ट्रीय औसत से कम टीकाकरण हुआ है।
केंद्र सरकार ने चुनाव वाले इन राज्यों को कहा है कि वे कोरोना वैक्सीनेशन में तेज़ी लाएँ, ज़िला स्तर पर साप्ताहिक प्लान तैयार करें और रोजाना इसकी समीक्षा करें।
क्या कहा है इलाहाबाद हाई कोर्ट ने?
बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उत्तर प्रदेश में चुनाव टालने और रैलियों पर रोक लगाने को कहा है। अदालत ने यह भी कहा है कि रैलियों को नहीं रोका गया तो नतीजे दूसरी लहर से भी बदतर होंगे। जज ने कहा है कि यूपी चुनाव एक- दो महीने के लिए टाल दिए जाएँ।
चुनाव आयोग की बैठक
इससे पहले सोमवार सुबह चुनाव आयोग ने केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव के साथ उन राज्यों की कोरोना के हालात की समीक्षा की, जहाँ अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इस बैठक में स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने देश में, विशेष तौर पर उत्तराखंड, मणिपुर, गोवा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में कोरोना की स्थिति पर निर्वाचन आयोग को जानकारी दी। इस बैठक में कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट के संक्रमण पर भी बातचीत हुई। चुनाव आयोग ने स्वास्थ्य मंत्रालय से मिले आँकड़ों के आधार पर स्थिति का आकलन किया।
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