सरकारी कर्मचारियों के दिन अच्छे नहीं चल रहे हैं। मोदी सरकार ने कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बहाली की मांग को लेकर हड़ताल या विरोध में भाग लेने के खिलाफ चेतावनी दी है।
पुरानी पेंशन योजना केंद्र सरकार, बीजेपी और विपक्षी दल कांग्रेस के बीच टकराव का भी मुद्दा बन गया है। हिमाचल विधानसभा चुनाव के दौरान पुरानी पेंशन की बहाली मुख्य चुनावी मुद्दा था। कांग्रेस ने चुनाव से पहले वादा किया था कि वो सत्ता में आई तो इसे बहाल कर देगी। गुजरात विधानसभा चुनाव में भी यह मुद्दा बना लेकिन वोटर प्रभावित नहीं हुए। राजस्थान और छत्तीसगढ़ की कांग्रेस शासित सरकारों ने पुरानी पेंशन योजना बहाल करके बीजेपी पर दबाव बढ़ा दिया है। यूपी में भी सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना की मांग कर रहे हैं। यूपी में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल के तमाम मुद्दों में से एक यह भी मुद्दा है। केंद्रीय कर्मचारी संगठनों ने भी अब सरकार के सामने पुरानी पेंशन योजना की मांग कर दी है। यही वजह है कि केंद्र सरकार को आदेश जारी करना पड़ा। समझा जाता है कि 2024 के चुनाव में विपक्ष इसे बड़ा मुद्दा बना सकता है।
इंडियन एक्सप्रेस की आज मंगलवार को एक रिपोर्ट के मुताबिक कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने सभी मंत्रालयों को भेजे पत्र में कहा- निर्देश दिया जाता है कि 'पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए संयुक्त फोरम' के बैनर तले राष्ट्रीय संयुक्त कार्रवाई परिषद ने विशेष रूप से ओपीएस पर 21 मार्च को देश भर में जिलास्तरीय रैलियां करने की योजना बनाई है।
इसमें यह भी कहा गया है कि उन्हें विरोध सहित किसी भी रूप में हड़ताल करने से रोका जा सकता है। प्रस्तावित विरोध/हड़ताल की अवधि के दौरान आवेदन करने पर कर्मचारियों को आकस्मिक अवकाश या अन्य प्रकार की छुट्टी स्वीकृत न करने के निर्देश जारी किए जा सकते हैं। हड़ताल में शामिल होने वाले कर्मचारियों की सूचना उसी दिन शाम को विभाग को भेज दी जाए।
इस आदेश पर कार्रवाई करते हुए पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने अपने कर्मचारियों को ओपीएस की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन में भाग लेने पर कार्रवाई की चेतावनी दी है। उसमें कहा गया है कि यदि कोई अधिकारी हड़ताल/विरोध में भाग लेता है, तो उसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भी यह मुद्दा उठा चुका है। कर्नाटक के सरकारी कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की मांग की है। लेकिन यूपी में बिजली कर्मचारियों ने जब इस मुद्दे पर हड़ताल की तो उन पर यूपी सरकार ने एक्शन कर दिया। करीब 450 कर्मचारियों पर कार्रवाई की गई है। राज्य सरकार ने तमाम जिलों से ऐसे बिजली कर्मचारियों के नाम उनके अधिकारियों से मांगे हैं जो हड़ताल में शामिल रहे या कोई नुकसान पहुंचाया है। इस तरह बीजेपी शासित सरकारों ने साफ कर दिया है कि वे पुरानी पेंशन योजना को बहाल नहीं करेंगे। केंद्र सरकार की मंशा भी अब सामने आ गई है।
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