नेशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी एनएसई में कथित भ्रष्टाचार से जुड़े सनसनीखेज मामले में विशेष अदालत ने आज कड़ी टिप्पणी की है। सुनवाई करने वाले न्यायाधीशों ने कहा, 'इस तरह के घोटाले हुए तो भारत में कौन निवेश करेगा।' अदालत एनएसई में कथित गड़बड़ियों को लेकर सुनवाई कर रही थी। यह मामला पहली बार चार साल पहले आया था और तब से इस मामले में तेजी नहीं लाने के लिए अदालत ने सीबीआई को भी फटकार लगाई।
न्यायाधीशों ने कहा कि चार साल बीत चुके हैं जब एजेंसी ने तत्कालीन सीईओ चित्रा रामकृष्ण सहित एक्सचेंज के शीर्ष अधिकारियों से जुड़े इस मामले का अध्ययन शुरू किया था। चित्रा को इस साल 6 मार्च को चेन्नई से गिरफ्तार किया गया जबकि उनके तत्कालीन सलाहकार आनंद सुब्रमण्यम को पिछले महीने 24 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था।
एनएसई के इस मामले में ही रहस्यमयी 'हिमालयी योगी' का नाम सामने आया है। इसी रहस्यमयी 'हिमालयी योगी' से एनएसई की पूर्व प्रमुख चित्रा रामकृष्ण कथित तौर पर एनएसई की पूरी गोपनीय जानकारी साझा करती थीं और उसकी सलाह से फ़ैसले लेती थीं। एनएसई के पूर्व समूह संचालन अधिकारी आनंद सुब्रमण्यम की नियुक्ति कथित तौर पर 'हिमालयी योगी' के फ़ैसले से प्रभावित थी।
आनंद सुब्रमण्यम को पहली बार 2013 में एनएसई में मुख्य रणनीतिक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था और फिर 2015 में तत्कालीन प्रबंध निदेशक चित्रा रामकृष्ण द्वारा समूह संचालन अधिकारी के रूप में पदोन्नत किया गया था। 2016 में अनियमितताओं के आरोप सामने आने के बाद आनंद सुब्रमण्यम ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज छोड़ दिया था।
सीबीआई अदालत ने आज कहा कि देश के बाजार नियामक सेबी की भी जांच होनी चाहिए ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या उसने भ्रष्टाचार को रोकने और फिर उसे दंडित करने के लिए कोई कार्रवाई की है।
2018 में व्यापारियों के एक चुनिंदा समूह को कथित तौर पर एल्गोरिथम ट्रेडिंग में तेजी लाने के लिए एनएसई के सर्वरों तक अनुचित पहुंच दी गई थी- इससे उन्हें अन्य व्यापारियों की तुलना में पहले लेनदेन करने की अनुमति मिली थी।
सीबीआई अधिकारियों ने हाल के हफ्तों में मामले से संबंधित दस्तावेज लेने के लिए मुंबई में बाजार नियामक सेबी के कार्यालय का दौरा किया है।
यह मामला फिर से तब सुर्खियों में आ गया जब चित्रा रामकृष्ण ने एनएसई के प्रभारी के रूप में गोपनीय जानकारी उसके साथ साझा की जिन्हें उन्होंने हिमालयी योगी बताया।
बता दें कि 'हिमालयी योगी' का रहस्य अनसुलझा है। एक्सचेंज ने कहा है कि यह 'योगी' समूह परिचालन अधिकारी आनंद सुब्रमण्यम के अलावा दूसरा कोई नहीं था। इस दावे की भी ईवाई द्वारा पुष्टि की गई जिसने फ़ोरेंसिक ऑडिट किया। जबकि शेयर बाज़ार नियामक सेबी ने इसके लिए पर्याप्त सबूत नहीं पाया और वह इससे आश्वस्त नहीं है।
जाँच के दौरान प्रबंध निदेशक रामकृष्ण ने कहा है कि तीसरे पक्ष जो 'ऋग्याजुरसामा' के रूप में थे, वह ई-मेल से 20 वर्षों से अपने आध्यात्मिक मार्गदर्शक 'सिद्ध-पुरुष' या 'परमहंस' से मार्गदर्शन ले रही थीं। उन्होंने जोर देकर कहा है कि वह व्यक्ति सुब्रमण्यम नहीं था।
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