भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना की तीखी आलोचना के बाद सीबीआई ने जजों के ख़िलाफ़ पोस्ट करने के मामले में 5 लोगों को गिरफ़्तार किया है। पाँचों लोगों पर आरोप है कि उन्होंने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के जजों के ख़िलाफ़ अपमानजनक पोस्ट किया है। इस कार्रवाई से दो दिन पहले ही सीजेआई रमन्ना ने कहा था कि जब हाई प्रोफाइल मामलों में अनुकूल आदेश पारित नहीं किए जाते तो न्यायपालिका को बदनाम करने की प्रवृत्ति है। वह धनबाद के न्यायाधीश उत्तम आनंद की कथित हत्या के मामले में सुनवाई के दौरान टिप्पणी कर रहे थे।
सीजेआई रमन्ना ने कहा था, 'गैंगस्टरों से जुड़े हाई प्रोफाइल मामलों में वाट्सऐप और फेसबुक पर अपमानजनक संदेश न्यायाधीशों को मानसिक रूप से परेशान करने के लिए भेजे जाते हैं।'
मुख्य न्यायाधीश ने कहा था, 'सीबीआई ने कुछ नहीं किया है। हमने सीबीआई के रवैये में कुछ बदलाव की उम्मीद की थी लेकिन कोई बदलाव नहीं हुआ है। खेद है कि यह स्थिति है।' सीजेआई रमन्ना ने कहा था कि जब न्यायाधीश सीबीआई और खुफिया ब्यूरो से धमकी की शिकायत करते हैं तो वे कोई जवाब नहीं देते। उन्होंने कहा था, 'जाँच एजेंसियाँ बिल्कुल भी मदद नहीं करती हैं और मैं ज़िम्मेदारी की भावना के साथ यह बयान दे रहा हूँ। मैं और अधिक खुलासा नहीं कर रहा हूँ। कुछ करना होगा।'
धनबाद के न्यायाधीश उत्तम आनंद की कथित हत्या के मामले के बाद न्यायाधीशों की सुरक्षा के लिए लंबित याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने केंद्र से एक सप्ताह के भीतर जवाब देने को भी कहा है।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि जब निचली अदालतों के जज धमकियों के बारे में शिकायत करते हैं तो सीबीआई और ऐसी ही दूसरी जाँच एजेंसियाँ कोई प्रतिक्रिया नहीं देती हैं।
11 आरोपियों से पूछताछ
सीबीआई ने जिन लोगों को गिरफ़्तार किया है उनपर यह आरोप लगाया गया था कि अभियुक्तों ने जानबूझकर न्यायपालिका को निशाना बनाकर, न्यायालय के फ़ैसलों के बाद न्यायाधीशों और न्यायपालिका के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपमानजनक पोस्ट किए।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, मामला दर्ज होने के बाद सीबीआई ने विभिन्न डिजिटल प्लेटफॉर्म पर मामले में नामजद 16 आरोपियों में से 13 को ट्रेस कर लिया। इनमें से तीन विदेश में पाए गए। सीबीआई ने अब तक 13 में से 11 आरोपियों से पूछताछ की है और उनमें से 5 को गिरफ्तार किया है। सीबीआई द्वारा आरोपी व्यक्तियों के परिसरों की तलाशी भी ली गई जिसमें कई आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद हुए।
सीबीआई ने पिछले साल नवंबर में आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था, जिसमें धारा 506 (आपराधिक धमकी) और आईटी अधिनियम की धारा 67 शामिल हैं।
बता दें कि जज उत्तम आनंद के साथ धनबाद ज़िले की यह घटना 28 जुलाई को हुई थी। शुरुआती रिपोर्ट आई थी कि जज की मौत ऑटो की टक्कर से हुई। लेकिन इसके साथ ही हत्या की आशंका जताई जा रही थी। बाद में इस घटना का वीडियो आने पर वह आशंका और पुष्ट हुई कि यह टक्कर जानबूझकर मारी गई है। घटना सुबह उस वक़्त हुई थी जब एडिशनल जज उत्तम आनंद मॉर्निंग वॉक पर थे।
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वीडियो क्लिप में दिख रहा था कि जज उत्तम आनंद सड़क किनारे मॉर्निंग वॉक पर थे और पूरी सड़क खाली थी। लेकिन ऑटो ड्राइवर ऑटो को बीच सड़क से किनारे ले आया और जज को टक्कर मारकर फरार हो गया। बाद में ऑटो को जब्त कर लिया गया था। उस ऑटो को चुराया गया था। काफ़ी पहले ही दो लोगों की गिरफ़्तारी हो चुकी है।
बता दें कि जज के ऑटो से धक्का लगने की घटना की वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो सुप्रीम कोर्ट ने इसका संज्ञान लिया था। सीजेआई एनवी रमन्ना ने झारखंड हाई कोर्ट के चीफ़ जस्टिस से इस मामले में बात की थी।
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