सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए लाई गई अग्निपथ योजना को लेकर आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह के एक ट्वीट के बाद रार छिड़ गई है। संजय सिंह ने मंगलवार सुबह ट्वीट कर कहा कि भारत के इतिहास में पहली बार सेना भर्ती में जाति पूछी जा रही है। उन्होंने सवाल पूछा कि मोदी जी आपको अग्निवीर बनाने हैं या जातिवीर।
इसके बाद बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने भी इस मामले में ट्वीट कर कहा कि जाति न पूछो साधु की लेकिन जात पूछो फौजी की।
आजादी के बाद 75 वर्षों तक सेना में ठेके पर “अग्निपथ” व्यवस्था लागू नहीं थी। सेना में भर्ती होने के बाद 75% सैनिकों की छँटनी नहीं होती थी लेकिन संघ की कट्टर जातिवादी सरकार अब जाति/धर्म देखकर 75% सैनिकों की छँटनी करेगी।सेना में जब आरक्षण है ही नहीं तो जाति प्रमाणपत्र की क्या जरूरत? https://t.co/x8mpIwLcJC
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) July 19, 2022
मामले में विवाद बढ़ने के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि अग्निपथ योजना के लिए पुरानी व्यवस्था में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है और जो व्यवस्था पहले से थी, वही बनी हुई है।
बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेन्स कर कहा कि भारत की सेना धर्म या जाति के आधार पर भर्ती नहीं करती है। पात्रा ने कहा कि साल 2013 में भारतीय सेना ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल कर कहा था सेना भर्ती की प्रक्रिया में जाति की कोई भूमिका नहीं है हालांकि इसके बाद भी जाति का एक कॉलम होता है जिसे प्रशासनिक और ऑपरेटिव जरूरतों के लिए भरा जाना जरूरी होता है।
‘जाति में बांटने की कोशिश’
पात्रा ने कहा कि आम आदमी पार्टी और कुछ दलों के नेताओं की कोशिश है कि सड़क पर आगजनी हो और युवाओं के बीच अफवाह फैलाई जाए। उन्होंने कहा कि जाति के आधार पर देश को कैसे बांटा जाए इसकी कोशिश कुछ राजनीतिक दल कर रहे हैं। पात्रा ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने सर्जिकल स्ट्राइक पर भी सवाल उठाए थे।
सेना का बयान
इस बारे में सेना की ओर से कहा गया है कि उम्मीदवार पहले से ही जाति और धर्म के कॉलम को भरते रहे हैं और अग्निवीरों की भर्ती के लिए नियम में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
इंडिया टुडे के मुताबिक, सेना से जुड़े सूत्रों ने कहा कि सेना में शहीद होने वाले जवानों के अंतिम संस्कार करने के लिए उनका धर्म पता होना जरूरी होता है।
उधर, सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को दिल्ली हाई कोर्ट को ट्रांसफर कर दिया है। बता दें कि अग्निपथ योजना के विरोध में बीते दिनों बिहार, उत्तर प्रदेश से लेकर तेलंगाना तक हिंसक प्रदर्शन हुए थे।
इस दौरान रेलवे की संपत्ति को भी अच्छा-खासा नुकसान पहुंचा था। उत्तर प्रदेश और बिहार में पुलिस ने बड़े पैमाने पर एफआईआर दर्ज की थी और सैकड़ों लोगों की गिरफ्तारियां भी की थी।
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इस योजना के तहत 17.5 साल से 21 साल के 45000 से 50000 युवाओं को 4 साल के लिए सेना में भर्ती किया जाएगा। जुलाई 2023 तक इसका पहला बैच तैयार हो जाएगा। इस योजना के तहत जिन युवाओं का चयन सेनाओं में होगा उन्हें अग्निवीर के नाम से जाना जाएगा और इसमें चयन ऑनलाइन केंद्रीय सिस्टम के जरिए होगा।
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क्या है योजना में खास?
अग्निपथ योजना के तहत चयन होने के बाद युवाओं को 6 महीने की ट्रेनिंग दी जाएगी और फिर उन्हें 3.5 साल के लिए अलग-अलग जगहों पर तैनात किया जाएगा। इस दौरान उनकी तनख्वाह 30000 से शुरू होगी और यह 40000 रुपए तक जाएगी। इस दौरान उनकी तनख्वाह का 30 फीसद पैसा सेवा निधि प्रोग्राम के तहत रखा जाएगा और सरकार भी इतनी ही राशि का योगदान हर महीने करेगी। इसके अलावा उन्हें भत्ते भी दिए जाएंगे। उन्हें मेडिकल और इंश्योरेंस सेवाओं का भी फायदा मिलेगा।
4 साल की नौकरी पूरी होने के बाद हर जवान के पास ब्याज मिलाकर एक 11.71 लाख रुपए की धनराशि होगी और यह पूरी तरह कर मुक्त होगी। इसके अलावा 48 लाख रुपए का लाइफ इंश्योरेंस कवर भी अग्निपथ योजना के तहत शामिल होने वाले जवानों को 4 साल तक की अवधि के दौरान मिलेगा।
4 साल के बाद केवल 25 फीसद जवान ही आर्म्ड फोर्सेस में वापस आ सकेंगे और वे 15 साल तक सेना में फिर से सेवा करेंगे। जबकि बाकी लोग सेवाओं से बाहर हो जाएंगे। उन्हें किसी तरह की पेंशन की सुविधा का फायदा भी नहीं मिलेगा। अग्निवीरों की शैक्षणिक योग्यता के लिए वही क्राइटेरिया होगा जो सेना में भर्ती होने के लिए होता है। यानी उन्हें 10 वीं पास होना जरूरी होगा।
योजना की आलोचना
योजना के आलोचकों का कहना है कि 6 महीने की ट्रेनिंग बेहद कम है और आर्म्ड फोर्सेस में ट्रेनिंग के लिए काफी ज्यादा वक्त चाहिए। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को पहले एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इस योजना को लागू करना चाहिए था और अगर योजना सफल होती तब इसे आगे बढ़ाया जाना चाहिए था।
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की एक बड़ी सीमा चीन और पाकिस्तान से लगती है और भारत की इस बड़ी सीमा को 4 साल की अग्निपथ योजना के तहत ट्रेनिंग पाने वाले युवाओं के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता। उसके लिए लंबी ट्रेनिंग कर चुके और सेना में स्थायी नौकरी वाले युवा ही चाहिए।
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