आईएनएक्स मीडिया मामले में पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम के ख़िलाफ़ जो केस दर्ज हुआ है, वह इंद्राणी मुखर्जी के बयान के आधार पर किया गया है। एनडीटीवी को सूत्रों से यह जानकारी मिली है। इंद्राणी मीडिया कारोबारी पीटर मुखर्जी की पत्नी हैं। साफ़ है कि इंद्राणी मुखर्जी के ही बयान की वजह से पी. चिदंबरम जाँच एजेंसियों के निशाने पर हैं और देश की सियासत में भूचाल मचा हुआ है।
लेकिन इंद्राणी मुखर्जी ख़ुद अपनी बेटी शीना बोरा के मर्डर के मामले में जेल में बंद हैं। बाद में उनके पति पीटर मुखर्जी को भी सीबीआई ने गिरफ़्तार कर लिया था और वह भी जेल में हैं। इंद्राणी ने 2018 में पीटर मुखर्जी से तलाक़ की अर्जी अदालत में दाख़िल की थी और वह आईएनएक्स मीडिया मामले में सरकारी गवाह बन गई थीं। इससे साफ़ होता है कि इंद्राणी मुखर्जी का सरकारी गवाह बन जाना ही चिदंबरम के लिए मुसीबत साबित हुआ।
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बता दें कि इंद्राणी और पीटर, आईएनएक्स मीडिया के प्रमुख थे। आरोप है कि 2007 में कार्ति चिदंबरम ने अपने पिता पी. चिदंबरम के ज़रिए विदेशी निवेश प्रमोशन बोर्ड से आईएनएक्स मीडिया में विदेशी निवेश की मंज़ूरी दिलाई थी और आरोपों के मुताबिक़, इस मामले में सभी नियमों को ताक पर रखा गया था। यह भी आरोप हैं कि आईएनएक्स मीडिया को विदेशी निवेश की मंज़ूरी दिलाने में कार्ति चिदंबरम ने घूस के तौर पर मोटी रकम ली थी। उस दौरान चिदंबरम केंद्र में वित्त मंत्री थे।
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एनडीटीवी के मुताबिक़, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इंद्राणी मुखर्जी के बयान पर भरोसा करते हुए ही दिल्ली हाई कोर्ट में बहस की थी। ईडी ने इसी आधार पर अदालत को भरोसा दिलाया था कि पहली नज़र में चिदंबरम और उनके बेटे के ख़िलाफ़ मजबूत केस बनता है। बता दें कि मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया था जिसके बाद बुधवार रात को सीबीआई ने उन्हें गिरफ़्तार कर लिया था।
एनडीटीवी को सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इंद्राणी मुखर्जी ने ईडी को बताया कि चिदंबरम ने उन्हें आईएनएक्स मीडिया में विदेशी निवेश की मंजूरी देने के बदले कार्ति के व्यवसाय में उसकी मदद करने के लिए कहा था। सूत्रों के मुताबिक़, इंद्राणी ने जाँच एजेंसी को उन दो फ़र्म के नाम भी बताये जिनमें आईएनएक्स मीडिया में कथित अनियमितताओं को नियमित करने के बदले में कार्ति चिदंबरम को भुगतान करने को लेकर चर्चा हुई थी। इन दो फ़र्मों के नाम 'चेस मैनेजमेंट' और 'एडवांटेज स्ट्रेटेजिक' हैं।
जाँच एजेंसी ने आरोप लगाया था कि बातचीत के कुछ रिकॉर्ड ऐसे हैं, जिनकी चर्चा इंद्राणी मुखर्जी ने अपने बयान में की थी और इससे यह पता चलता है कि पी. चिदंबरम की साज़िश में सक्रिय भूमिका थी।
अदालत ने की थी सख़्त टिप्पणी
मंगलवार को अदालत ने चिदंबरम की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए बेहद सख़्त रुख दिखाया था। जस्टिस सुनील गौर ने कहा था, ‘इस मामले में पहली नज़र में जो तथ्य सामने आये हैं वे यह बताते हैं कि याचिकाकर्ता ही इस मामले का सूत्रधार है और वही इस मामले का मुख्य साज़िशकर्ता भी है।’ जस्टिस गौर ने कहा था कि यह एक आर्थिक अपराध है और इस मामले से सख़्ती से निपटा जाना चाहिए। उन्होंने कहा था कि इतने बड़े आर्थिक अपराध के मामले में जाँच एजेंसी के हाथों को बाँधकर नहीं रखा जा सकता।
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शीना बोरा हत्याकांड देश के उन मामलों में से एक है जिसके ख़ुलासे ने पूरे देश में सनसनी फैला दी थी। 24 अप्रैल 2012 को अपनी बेटी शीना बोरा की हत्या करने और शव को महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के एक जंगल में फेंकने के आरोप में इंद्राणी को अगस्त 2015 में गिरफ्तार कर लिया गया था।
सीबीआई ने मामले की जाँच के दौरान इंद्राणी के पूर्व पति संजीव खन्ना और उसके पूर्व चालक को भी गिरफ़्तार कर लिया था। 2015, नवंबर में एजेंसी ने यह दावा किया था कि पीटर मुखर्जी भी इस साज़िश में शामिल थे। एजेंसी ने इस बात का दावा किया था कि शीना बोरा की हत्या के मामले में पैसे को लेकर विवाद भी एक कारण था।
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