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अयोध्या विकास परियोजना में गड़बड़ियाँ हुईं; सीएजी

अयोध्या विकास परियोजना के कार्यान्वयन में अनियमितताएं पाई गई हैं। इसके साथ ही ठेकेदारों को अनुचित लाभ दिए जाने की रिपोर्ट आई है। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानी सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में ये गड़बड़ियाँ बताई हैं। अयोध्या विकास परियोजना केंद्र की स्वदेश दर्शन योजना के तहत क़रीब छह साल पहले लाई गई।

अयोध्या विकास परियोजना स्वदेश दर्शन योजना के तहत रामायण सर्किट का हिस्सा है। इसे 27 सितंबर, 2017 को 127.21 करोड़ रुपये की लागत से मंजूरी दी गई थी, जिसमें से 115.46 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं। अयोध्या के अलावा, उत्तर प्रदेश में रामायण सर्किट के तहत चित्रकूट और श्रृंगवेरपुर दो अन्य परियोजनाएँ हैं। वैसे, स्वदेश दर्शन योजना की शुरुआत 2015 में की गई थी।

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सीएजी ने स्वदेश दर्शन योजना की शुरुआत यानी जनवरी 2015 से लेकर मार्च 2022 तक के प्रदर्शन का ऑडिट किया है। इस ऑडिट रिपोर्ट को बुधवार को लोकसभा में पेश किया गया। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि छह राज्यों में छह परियोजनाएं या सर्किट में ठेकेदारों को 19.73 करोड़ रुपये का अनुचित लाभ दिया गया। 

इन परियोजनाओं में अयोध्या का विकास, गोवा में सिंक्वेरिम-अगुआडा जेल का विकास, हिमाचल प्रदेश में हिमालयन सर्किट, तेलंगाना में हेरिटेज सर्किट, सिक्किम में रंगपो-सिंगतम और मध्य प्रदेश में बौद्ध सर्किट का विकास शामिल है।

अंग्रेजी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार अयोध्या विकास परियोजना में ठेकेदारों को दिए गए अनुचित लाभ को लेकर सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है, 'कार्यान्वयन एजेंसी उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम द्वारा नियुक्त ठेकेदार को पांच प्रतिशत की दर से प्रदर्शन गारंटी जमा करने की आवश्यकता थी। यानी 62.17 करोड़ रुपये के अनुबंध मूल्य का 3.11 करोड़ रुपये हुआ। हालाँकि, ठेकेदार ने इसके नवीनीकरण (सितंबर 2021) के समय रिकॉर्ड पर कोई कारण बताए बिना, प्रदर्शन गारंटी की कम राशि यानी केवल 1.86 करोड़ रुपये जमा की।'
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रिपोर्ट में कहा गया है, 'अयोध्या के गुप्तार घाट पर काम को समान आकार के 14 लॉट में विभाजित किया गया था और विभिन्न निजी ठेकेदारों को काम सौंपा गया था। हालाँकि, एजेंसी ने ठेकेदारों द्वारा प्रस्तावित वित्तीय बोलियों/दरों का तुलनात्मक विश्लेषण करने में उचित सावधानी नहीं बरती और समान प्रकृति और स्वीकृत लागत के काम उन्हीं ठेकेदारों को दे दिए, लेकिन अलग-अलग दरों पर। इस वजह से 19.13 लाख रुपये की बचत नहीं की जा सकी।'

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 'तीन ठेकेदारों को काम देने के बाद राज्य सरकार ने स्वत: संज्ञान लेते हुए उनका जीएसटी पंजीकरण रद्द कर दिया था। इस प्रकार, वे अब पंजीकृत ठेकेदार नहीं थे और जीएसटी जुटाने के हकदार नहीं थे। हालाँकि, एक ठेकेदार को उसके जीएसटी पंजीकरण पर कुल 19.57 लाख रुपये का अनियमित भुगतान किया गया था और अन्य दो ठेकेदारों के मामले में, यह भुगतान के लिए लंबित था।'

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द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में एक केस स्टडी भी दी है, जिसमें गुप्तार घाट के विकास के लिए नहीं किए गए कार्यों के लिए ठेकेदारों को अनियमित भुगतान दिखाया गया है।

गुप्तार घाट के विकास कार्य में 1,447.50 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से 23,767 वर्ग मीटर में पत्थर पटिया की आपूर्ति और फिक्सिंग का कार्य शामिल था। इस कार्य में एमएस क्लैंप (आपूर्ति और फिक्सिंग) की लागत 216.88 रुपये प्रति वर्ग मीटर शामिल है। रिपोर्ट में कहा गया कि साइट निरीक्षण के दौरान, यह देखा गया कि कोई भी एमएस क्लैंप ठीक नहीं किया गया था। 

कैग ने अयोध्या विकास परियोजना के कार्यान्वयन में 8.22 करोड़ रुपये के अनावश्यक यानी अतिरिक्त व्यय की भी बात कही है। रिपोर्ट में परियोजना के शुरुआती वर्षों में निगरानी तंत्र की कमी की बात भी कही गई है। 

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क़मर वहीद नक़वी
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