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राहुल गांधी (कांग्रेस) बनाम मोहन भागवत (आरएसएस)

राहुल पर हमले के लिए बीजेपी ने 'अर्बन नक्सल' का पुराना राग अलापा

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा नेता विपक्ष राहुल गांधी को जवाब देने में बुधवार को भटक गये। राहुल ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के संविधान और स्वतंत्रता आंदोलन विरोधी बयानों के लिए उन्हें देशद्रोही कहा। नड्डा जवाब देने के लिए मैदान में उतरे। नड्डा ने एक्स पर लिखा, “अब और नहीं छिपाया जा सकता। कांग्रेस का बदसूरत सच अब उनके अपने नेता द्वारा उजागर किया गया है। मैं राहुल गांधी की यह स्पष्ट रूप से कहने के लिए 'तारीफ' करता हूं कि देश जानता है कि वह भारत से लड़ रहे हैं! 
नड्डा ने आगे लिखा है- ”यह कोई रहस्य नहीं है कि राहुल गांधी और उनके ईको सिस्टम का शहरी नक्सलियों और डीप स्टेट के साथ घनिष्ठ संबंध है जो भारत को बदनाम करना, नीचा दिखाना और बदनाम करना चाहता है। उनकी बार-बार की हरकतों ने भी इस विश्वास को मजबूत किया है। उन्होंने जो कुछ भी किया या कहा है वह भारत को तोड़ने और हमारे समाज को विभाजित करने की दिशा में है।”
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नड्डा ने कहा, ''कांग्रेस का उन सभी ताकतों को बढ़ावा देने का इतिहास रहा है जो कमजोर भारत चाहते हैं। सत्ता के लिए उनके लालच का मतलब देश की अखंडता से समझौता करना और लोगों के विश्वास को धोखा देना था। लेकिन, भारत की जनता समझदार है। उन्होंने फैसला किया है कि वे राहुल गांधी और उनकी सड़ी-गली विचारधारा को हमेशा खारिज करेंगे।''
नड्डा का राहुल को अर्बन नक्सल कहना बीजेपी की पुरानी आदत या रणनीति का हिस्सा है। पीएम मोदी से लेकर बीजेपी आईटी सेल चलाने वाले अमित मालवीय तक सरकार विरोधी रुख रखने वाले नेताओं, लेखकों, पत्रकारों, सामाजिक संगठनों, रंगकर्मियों, समुदायों आदि को अर्बन नक्सल करार देते रहे हैं।
राहुल गांधी और कांग्रेस भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में आरएसएस की भूमिका को लेकर सवाल उठाते रहे हैं। आरएसएस लंबे समय से भारत की आजादी की लड़ाई को कमतर या इतिहास से मिटाने की कोशिश करता रहा है। अभी तक आरएसएस और बीजेपी इस चीज को साजिश रच कर करते थे लेकिन पहली बार आरएसएस के किसी नेता ने आजादी की लड़ाई को महत्वहीन कहा है। भारतीय संविधान को नीचा दिखाया है। बीजेपी में ऐसी सांसद (कंगना रानौत) भी हैं जो भारत को 2014 में स्वतंत्रता मिलने की बात कहती रही हैं। बहरहाल, भागवत चूंकि सरसंघ चालक हैं, इसलिए राहुल ने उनकी बात को गंभीरता से लेते हुए हमला किया है। 
आरजेडी का हमलाबिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने भी भागवत पर तीखा हमला बोला है। तेजस्वी ने बुधवार को कहा-  आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत जी का अब बस यही कहना कि “दलितों-पिछड़ों का आरक्षण खत्म होगा तभी देश को असल मायनों में आजादी मिलेगी”, बाक़ी रह गया है। उनके इस कथन से कि देश को असल स्वतंत्रता 2024 में ही मिली है। आरएसएस प्रमुख ने आज़ादी के करोड़ों मतवालों, दीवाने देशभक्तों, असंख्य शहीदों एवं स्वतंत्रता सेनानियों का घोर अपमान किया है। संघ के लोगों का स्वतंत्रता संग्राम में अपना कोई योगदान नहीं था इसलिए ये अब बाकियों के योगदान को खत्म करने के नए प्रपंच रच रहे हैं।
  • तेजस्वी ने कहा- इनका संगठन तो स्वयं अंग्रेजों का दलाल और मुख़बिर रहा है। 
तेजस्वी ने आगे कहा- दलितों-पिछड़ों, मेहनतकश एवं कृषक वर्गों के ऐतिहासिक योगदान को कमतर करना ही आरएसएस का हमेशा से उद्देश्य रहा है। मोहन भागवत जी, देश गुलामी की तरफ़ अग्रसर है क्योंकि डॉलर के मुकाबले रुपया सर्वकालिक निम्नस्तर पर है, उस पर ध्यान दीजिए। मोहन भागवत जी बताएँ कि:-  1. देश के बहुसंख्यक दलितों-पिछड़ों को असल आजादी कब मिलेगी?  2.दलित-पिछड़ा से घृणा करने वाले सौ साल पुराने संगठन आरएसएस के कर्ता-धर्ता बताए कि आज तक कोई दलित पिछड़ा आरएसएस का प्रमुख क्यों नहीं बना? 3. महिला आरएसएस प्रमुख क्यों नहीं बनी? 4. जातिगत जनगणना कब होगी? 5. दलितों-पिछड़ों का आरक्षण उनकी आबादी के अनुपात में कब बढ़ेगा?

खड़गे का भी हमला

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी भागवत पर हमला बोला है। खड़गे ने बुधवार को कांग्रेस के कार्यक्रम में कहा- कई विभाजनकारी ताकतें, जिनका आज़ादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं था, उन्होंने बाद में संविधान, तिरंगा, अशोक चक्र से लेकर समाज की प्रगति के लिए बन रहे कायदे-कानूनों तक का विरोध किया। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा- जब राम मंदिर बना, तब देश को आजादी मिली। वहीं नरेंद्र मोदी को लगता है कि जब 2014 में वे प्रधानमंत्री बने, तब देश को आजादी मिली। यह शर्म की बात है। आरएसएस-बीजेपी के लोगों को आजादी का दिन इसलिए याद नहीं, क्योंकि उन लोगों ने देश की आजादी में कोई योगदान नहीं दिया। कांग्रेस को आजादी इसलिए याद है, क्योंकि हमारे लोगों ने आजादी के लिए अपनी जान दी, ठोकरें खाईं और घर छोड़े। इसलिए मैं मोहन भागवत जी के बयान की निंदा करता हूँ।
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उधर, कांग्रेस के संचार प्रभारी जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा- मोहन भागवत अक्सर बेतुके बयान देते रहे हैं। लेकिन इस बार अपने निम्नतम मानकों से भी नीचे जाकर उन्होंने जो कहा है वो न सिर्फ़ चौंकाने वाला है बल्कि स्पष्ट रूप से राष्ट्र-विरोधी है। उनका यह बयान न सिर्फ़ महात्मा गांधी और उस समय की पूरी असाधारण पीढ़ी का घोर अपमान है, जिन्होंने हमें आज़ादी दिलाई, बल्कि 26 जनवरी 1950 को लागू हुए संविधान पर भी एक और हमला है। भागवत को अपनी अपमानजनक टिप्पणियों के लिए तुरंत माफी मांगनी चाहिए, जो उस विचारधारा की मानसिकता को दर्शाती हैं जिसने न तो स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया और न ही राष्ट्रपिता और डॉ. अंबेडकर को उनके जीवनकाल में सम्मान दिया।
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क़मर वहीद नक़वी
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