Rahul Gandhi ji,
— Sambit Patra (@sambitswaraj) May 4, 2020
I have attached guidelines of MHA which clearly states that “No tickets to be sold at any station”
Railways has subsidised 85% & State govt to pay 15%
The State govt can pay for the tickets(Madhya Pradesh’s BJP govt is paying)
Ask Cong state govts to follow suit https://t.co/Hc9pQzy8kQ pic.twitter.com/2RIAMyQyjs
रेलवे बोर्ड ने भाड़ा लेने की बात मानी
पर रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वी. के. यादव ने यह साफ़ शब्दों में माना है कि लौट रहे मज़दूरों को मुफ़्त यात्रा की सुविधा नहीं दी जाएगी। उन्होंने इसका कारण भी बताया है।उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, 'समस्या यह है कि आप एक बार यात्रा मुफ़्त कर देते हैं तो सभी लोग इसके हक़दार हो जाएंगे। इससे यह होगा कि यात्रा करने वालों की निगरानी करना मुश्किल हो जाएगा। यह सेवा सबके लिए नहीं है, यह सिर्फ़ फँसे हुए मज़दरों और छात्रों वगैरह के लिए है, इसलिए हम मामूली किराया ले रहे हैं।'
रेलवे को भाड़ा हर हाल में चाहिए
गृह सचिव अजय भल्ला ने अख़बार से कहा, 'दो मई को जारी स्टैंडर्ड ऑपरेशनल प्रोसीज़र में रेल मंत्रालय ने साफ़ कर दिया है कि मुसाफ़िर से भाड़ा वसूला जाना है।'रेलवे के इस एसओपी में कहा गया है, 'राज्य सरकार के स्थानीय अधिकारी टिकट मुसाफ़िरों को सौंप देंगे और उनसे भाड़ा एकत्रित कर रेलवे को दे देंगे।'“
'हमने देखा है कि 3-4 मॉडल सामने आ रहे हैं। कई जगहों पर नियोक्ता ही कर्मचारियों को घर जाने के पैसे दे रहे हैं, कुछ जगहों पर ग़ैरसरकारी संगठन उनके लिए पैसे का जुगाड़ कर रहे हैं। इसके बाद जिन जगहों से ये मुसाफ़िर ट्रेन पकड़ रहे हैं वे राज्य सरकार भाड़ा चुका रही हैं तो कुछ मामलों में ये मुसाफ़िर जहाँ जा रहे हैं, वहाँ की राज्य सरकार टिकट के पैसे दे रही है।'
वी. के. यादव, अध्यक्ष, रेलवे बोर्ड
झारखंड ने दिया भाड़ा
इसे समझने की कोशिश करते हैं। झारखंड सरकार ने राजस्थान के कोटा से राँची के नज़दीक हटिया तक की ट्रेन चलाने के लिए 5.4 लाख रुपये रेलवे को चुकाया है। झारखंड सरकार को अभी तेलंगाना के लिंगमपल्ली से हटिया तक चलाए गए श्रमिक एक्सप्रेस का भाड़ा चुकाना है।वसई रोड से गोरखपुर जंक्शन तक के इस टिकट पर छपा है 740 रुपए। यह टिकट 2 मई 2020 को शाम 7.01 पर काटा गया और इस पर यात्रा की तारीख़ है 3 मई 2020। क्या वसई रोड से गोरखपुर के भाड़ा का 15 प्रतिशत 740 रुपए है?
ओड़िया समुदाय का एक प्रतिनिधि एक अधिकारी के साथ रेलवे अधिकारियों से मिला, 1200 टिकट के पैसे दिए और उनसे टिकट ले लिया। उन्होंने ये टिकट मुसाफ़िरों को दे दिए।
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